एस एम एस (SMS) शॉर्ट मैसेज सर्विस परिचय (बी ए प्रोग्राम 6 th सेमेस्टर)


एस एम एसSMS Marketing Tips for Successful Text Message Campaigns | CleverTap
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एस एम एस (SMS) शॉर्ट मैसेज सर्विस अथवा लघु संदेश सेवा के लिये प्रयोग किया जाता है। अपने मोबाइल से छोटे छोटे संदेश दूसरों के मोबाइल पर भेजने के लिये इस सेवा का प्रयोग किया जाता है। सभी मोबाइल कंपनियां यह सेवा सपने ग्राहकों को प्रदान करतीं हैं। मोबाइल के चलन के साथ हिन्दी एस एम एस का चलन भी बहुत बढ़ा है। हिन्दी में मजेदार एस एम एस और एस एम एस में कई तरह के चुटकुले बहुत प्रचलन में हैं। देवनागरी में भी कई मोबाइल फ़ोनों पर हिन्दी एस एम एस भेजे जा सकते हैं। युवाओं में यह बहुत पसंद किया जाता है। युवाओं में अधिक प्रचलित यह सेवा बधाई संदेशों और चुटकलों को संप्रेषित करने में भी प्रयोग की जाती है। युवा अपने मोबाइल पर अधिकतर इस प्रकार के एस एम एस का संकलन रखते हैं। फट से कोई मजेदार एस एम एस प्राप्त हुआ और झट से उसे अपने मित्रों को प्रेषित कर दिया जाता है।

एसएमएस का इतिहास
इन दिनों एसएमएस यानी शॉर्ट मैसेज सर्विस का जलवा है। संचार क्रांति के दौर में सबसे ज़्यादा चर्चित है तो सिर्फ़ एसएमएस। मोबाइल उपभोक्ताओं को लगभग मुफ़्त में पड़ने वाला एसएमएस पलक झपकते ही दुनिया के किसी भी कोने में बैठे परिचित, दोस्तों या रिश्तेदारों के पास संदेशा पहुँचा देता है। ब्रिटेन में जन्मे एसएमएस की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जन्म के पहले महीने में इसकी औसत संख्या जो 0.4 थी वहीं अब हर दिन दुनिया भर में करो़ड़ों मैसेज इधर से उधर हो जाते हैं। अकेले भारत में आम दिनों में हर महीने औसतन पाँच करोड़ से ज़्यादा एसएमएस आते-जाते हैं, जबकि ख़ास दिनों में यह संख्या 400 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। दुनिया का पहला कमर्शियल एसएमएस यूँ तो 3 दिसंबर, 1992 को ब्रिटेन के नील पापवर्थ ने रिचर्ड जारविश को वोडाफ़ोन नेटवर्क पर भेजा था। लेकिन मोबाइल फ़ोन से निकलने वाले इस पहले एसएमएस को इस मुकाम तक पहुँचने में लंबा सफर तय करना पड़ा।[1]

पहले संदेश को लगे 12 साल
एसएमएस की कहानी 1980 के दशक से शुरू होती है। ब्रिटेन की मोबाइल कम्युनिटी ने पहली बार इस बात पर विचार किया कि मोबाइल के जरिए कैसे लिखित संदेश भेजे जा सकते हैं। यह कवायद जीएसएम कंपनियों ने मिलकर शुरू की। फ़रवरी 1985 तक आते-आते यह विचार तेजी से उभरने लगा था। जीएसएम सब ग्रुप डब्ल्यूपी 3 के चेयरमैन जे. ऑडेस्टेड ने नए डिजिटल सेल्यूलर सिस्टम के लिए एसएमएस की पूरी अवधारणा तैयार की। उन्होंने एक जीएसएम दस्तावेज 'सर्विस एंड फेसिलिटी टू बी प्रोवाइडेड इन द जीएसएम सिस्टम' तैयार किया जिसे बहस के लिए जीएमएस ग्रुप आईडीईजी के पास भेजा। यहाँ से इस दस्तावेज को मई 1987 में फेरडहेल्म हिलिब्रांड की अध्यक्षता वाली तकनीकी कमेटी के पास भेजा गया। तकनीकी कमेटी ने पहलुओं का अध्ययन करने और ज़रूरी फेरबदल के बाद इसे हरी झंडी दिखा दी। 3 दिसंबर 1992 को वोडाफ़ोन नेटवर्क से दुनिया का पहला कमर्शियल एसएमएस भेजा गया, जिसकी सफल डिलीवरी के बाद एसएमएस सेवा मोबाइल फ़ोन पर शुरू हो गई। पहला संदेश कम्प्यूटर से मोबाइल फ़ोन पर भेजा गया था। इसमें लिखा था 'मैरी क्रिसमस'

धीमी थी रफ्तार
1995 तक इसमें लोगों की कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी। ब्रिटेन में हर महीने उपभोक्ता औसतन 0.4 मैसेज भेजते थे। नेटवर्क प्रदाता कंपनियों की धीमी चाल से मैसेज डिलीवर होने में देरी के कारण भी लोगों ने इसमें रुचि नहीं ली। अत्याधुनिक तकनीकों के बाद एसएमएस सर्विस तेज़ हुई।

भारत में ऐसा 1990 में निजी फ़ोन कंपनियों के आने के बाद भारत में सूचना क्रांति का सूत्रपात हुआ। वर्ष 2000 से भारत में मोबाइल का क्रेज शुरू हुआ और मात्र चार साल में मोबाइल फ़ोन उपभोक्ताओं ने लैंडलाइन उपभोक्ताओं को पछाड़ दिया। भारत में इस दीपावली पर हर घंटे 40 लाख एसएमएस भेजे गए।




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