तीसरा सबसे बड़ा इन्टरनेट का उपभोक्ता होते हुए भी कोई भी भारतीय भाषा इन्टरनेट पर उपयोग की जाने
वाली 20 शीर्षस्थ भाषाओं में सम्मिलित नहीं है . कारणों की पड़ताल करें तो
निम्नलिखित तथ्य सामने आते हैं :
1. भारत में अधिकांश हिन्दी भाषी व्यक्ति भी इंटरनेट पर हिन्दी का उपयोग
नहीं करते. कम्प्यूटर पर हिन्दी में कार्य करने की तमाम तकनीकी
सुविधाओं के बावजूद वे अपनी भाषा के प्रयोग के प्रति बेहद उदासीन है .
2.अभी भी वे यूनीकोड से परिचित नहीं है . जो अंगरेजी नहीं जानते वे भी
हिन्दी रोमन में लिखते हैं .
3. हिंदीतर भाषी समाज में भी इन्टरनेट पर भारतीय भाषाओं में कार्य करने
की सुविधाओं की उपलब्धता का प्रचार व्यस्थित रूप सनहीं हो पाया
है .
4. हिन्दी और भारतीय भाषाओं के अनेक लेखकों /साहित्यकारों से भेंट का
अवसर मिला किन्तु वे इन्टरनेट की पहुँच से बहुत दूर है . समाज में
अपनी भाषा के प्रति जागरुकता लाने के प्रति भी वे गंभीर नहीं है .
5. ई-मेल आदि हिन्दी और भारतीय भाषाओं में भेजने की मानसिकता अभी तक
विकसित नहीं हो पाई है .
इन्टरनेट से हटकर यदि हम भारत में मोबाइल प्रयोक्ताओं की चर्चा करें तो 5
वर्ष में यह संख्या 14.6 प्रतिशत से बढकर 70.9 प्रतिशत
पर जा पहुंची है .
इन्टरनेट पर हिन्दी एवंअन्य भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढाने के लिए
विद्यालयों /महाविद्यालयों /विश्वविद्यालयों में प्रभावी अभियान चलाने की
गहन आवश्यकता है . नई पीढी इससे जुड़ेगी तो बात बहुत दूर तक जाएगी .
कारण और भी बहुत से हैं किन्तु फिलहाल इतना ही .
- डॉ जवाहर कर्नावट
सहायक महाप्रबंधक ,बैंक ऑफ़ बडौदा ,
कारपोरेट कार्यालय , बान्द्रा-कुर्ला कोम्प्लेक्स ,मुम्बई .
+91 75063 -78525
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