आईपीएल-8: ये है इंडिया का त्यौहार बाजार
स्मिता मिश्र
एक कहावत है कि हिन्दुस्तान में 10 कोस में पानी का स्वाद बदल जाता है और 20 कोस में बोली। भारतीय संविधान में 22 अधिकारिक भाषाएं है। देश के एक
कोने से लेकर दूसरे कोने तक पानी, भाषा, संस्कृति सभी कुछ अलग हो जाता है।
लेकिन फिर भी कुछ चीजें ऐसी है जोकि पूरे भारत को एक करती है और जाहिर सी बात है
कि क्रिकेट उस सूची में सबसे ऊपर है। अभी आईसीसी विश्वकप क्रिकेट का खुमार उतरा भी
नहीं था कि आईपीएल का बाजार सज गया।
अभी कुछ समय पूर्व अनेक विवादों से ग्रस्त आईपीएल प्रतियोगिता के आयोजन पर
बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया था। सट्टेबाजी, मैच फिक्सिंग जैसी धांधलेबाजी के आरोपों से आईपीएल लगातार सुर्खियों मे रहा।
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन पर अदालती रूख और राजस्थान क्रिकेट संघ पर बीसीसीआई के रूख ने स्थितियों को और जटिल बना दिया।
चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल टीमों की मान्यता समाप्त करने की मांग तक
उठी। भारतीय कप्तान की इन प्रकरणों में कथित संलिप्तता से भी बहुत हल्ला-गुल्ला मचा।
ऐसी लग रहा था कि आईपीएल आयोजन अब अतीत का विषय हो जाएगा लेकिन इन सभी कयासों
को दर-किनार करते हुए आईपीएल-8 नए तामझाम, नई पूंजी के साथ शुरू हो गया। ज़ाहिर
है जहाँ बाजार का इतना पैसा लगा हो, वहां बाजार
की शक्तियां जल्दी हार नहीं मानती बल्कि नई रणनीति के साथ पूंजी निवेश करती है। आईपीएल-8 की लोकप्रियता का आलम यह है कि
आईपीएल के सभी मैचों के अधिकांश टिकटे बिक चुकी हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की माने
तो पहले 5 मैचों की टीवीआर यानी ,टेलीविज़न व्यूअरशिप रेटिंग, औसतन 4.4 रही जोकि पिछले संस्करण में 3.1 औसत थी। अभी तक के आंकड़े के
अनुरूप आईपीएल मैचों के टीवी दर्शकों की संख्या में 41% का उछाल आया है। जाहिर सी बात है कि इसके पीछे प्रायोजक कंपनियों की विपणन
रणनीति की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मल्टी स्क्रीन, मीडिया (एमएसएम) आईपीएल के आधिकारिक प्रसारक है।
उन्होंने तमाम विवादों तो दरकिनार करते हुए नए बाजार खोजने की रणनीति पर काम किया।
भारत की भाषिक विविधताओं को संभावित बाजार के रूप में खोजा। छोटे-छोटे शहरों के लोगों को आईपीएल के ‘दर्शक’ के रूप में तब्दील करने के लिए क्षेत्रीय भाषा के टीवी चैनलों से करार किया।
आईपीएल-8 को पहले अंग्रेजी से
हिन्दी में लाया गया और अब क्षेत्रीय भाषा को में इसका प्रसारण किया जा रहा है
जिससे इसकी टीवीआर में अद्भुत उछाल आया है। विज्ञापन की दरें भी पिछले संस्करण से 10 से 15 प्रतिशत ज्यादा है। दस से पंद्रह सेकिंड की विज्ञापन दर
साढे चार से पांच लाख तक पहुंच गई है। पेप्सी, वोडाफोन, हीरो मोटो-कार्प, पे-टीएम, इंटेक्स मोबाइल, अमेजन, कार देखो डॉट कॉम, मैजिक ब्रिक्स, रेमंड, कैडबरी और पारले प्रोडक्ट सहित 12 मुख्य प्रायोजक सहित अन्य
प्रायोजकों से 950 करोड़ रूपए की संभावित
आय एमजीएम को होने का अनुमान लगाया जा रहा है जिनमें 190 से 240 करोड़ रुपए ऑनलाइन कंपनियों से ही
मिलने की संभावना है।
भारतीय संगीतकार सलीम-सुलेमान का नया गीत ‘इसमें है दिलों का प्यार, ये है इंडिया का
त्योहार’ कैंपेन के द्वारा आईपीएल के बाजार को एक छद्म किस्म की देशभक्ति और संस्कृति
एकता से जोड़ने का प्रयास किया गया है। ऐसी देशभक्ति जो एक चौके और छक्के के लगने
पर फिरंगी चीयर लीडर्स के थिरकने के साथ ही उभर कर आती है। टीवी पर पेप्सी का एक
विज्ञापन खूब लोकप्रिय हो रहा है जिसमें पेप्सी आम दर्शकों से आईपीएल की विज्ञापन
फिल्म बनाने का संदेश दे रही है। विराट कोहली जब एक बुजुर्ग महिला से पूछते हैं कि
‘आंटी मैं क्या करूं?’ तो आंटी जी उदासीन भाव से जवाब देती है-“ बेटा ! तू अपने खेल पर ध्यान दे।
ज्यादा एड-शैड न किया कर।“ बस यही वह पंच है
जो कमाल का हैI किसी भी खिलाड़ी की पहचान उसके खेल से
होती है। खिलाड़ी को उसके खेल के कारण ही ऐड या आगे चलकर सीरियल या फिल्मे मिलती
हैं। इन सबके लिए जरूरी है कि खेल में खिलाड़ी अच्छा करे। आईपीएल कहने को क्रिकेट श्रृंखला
है लेकिन इसमें खिलाड़ी की बजाय ब्रांड खेलते हैं। टीम के हारने के बावजूद टीम
मालिक ब्रांड वैल्यू को बनाए रखने के लिए काफी मशक्कत करते हैं। इसके लिए टीम के
प्रचार पर जम कर पैसा बहाया जाता है। आईपीएल लोगों को रोजगार और नए खिलाड़ियों को
मौका जरूर दे रहा है। लेकिन खिलाड़ी, खिलाड़ी बनने की बजाय ब्रांड जा रहा है। इससे आईपीएल क्रिकेट
के खेल की बजाय ब्रांड और पैसे का खेल ज्यादा बन गया है। खिलाड़ी का महत्व तभी
है जब तक वह अपना खेल ईमानदारी से खेलता रहता है। बाजार तो अपने आप सफल खिलाडी के
पीछे आता है I लेकिन अगर खिलाड़ी बाजार के उत्पाद के रूप में ही काम करेगा और अपना
मूल कार्य भूल जाएगा तो बाजार को भी उस खिलाड़ी को भूलने में ज्यादा देर नहीं
लगेगी।
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