Tuesday, June 23, 2015

हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की इंटरनेट पर उपस्थिति कैसी है/ डॉ जवाहर कर्नावट


तीसरा सबसे बड़ा इन्टरनेट का उपभोक्ता होते हुए भी कोई  भी भारतीय भाषा इन्टरनेट पर उपयोग की जाने
वाली 20 शीर्षस्थ भाषाओं में सम्मिलित नहीं है . कारणों की पड़ताल करें तो
निम्नलिखित तथ्य सामने आते हैं :

1. भारत में अधिकांश हिन्दी भाषी व्यक्ति भी इंटरनेट पर हिन्दी का उपयोग
नहीं करते. कम्प्यूटर पर हिन्दी में कार्य करने की तमाम तकनीकी
    सुविधाओं के बावजूद वे अपनी भाषा के प्रयोग के प्रति बेहद उदासीन है .

2.अभी भी वे यूनीकोड से परिचित नहीं है . जो अंगरेजी नहीं जानते वे भी
हिन्दी रोमन में लिखते हैं .

3. हिंदीतर भाषी समाज  में भी  इन्टरनेट पर भारतीय भाषाओं में कार्य करने
की सुविधाओं की उपलब्धता का प्रचार व्यस्थित रूप सनहीं हो पाया
    है .
4. हिन्दी और भारतीय भाषाओं के अनेक लेखकों /साहित्यकारों से भेंट का
अवसर मिला किन्तु वे इन्टरनेट की पहुँच से बहुत दूर है . समाज में
     अपनी भाषा के प्रति जागरुकता लाने के प्रति भी वे गंभीर नहीं है .
5.  ई-मेल आदि हिन्दी और भारतीय भाषाओं में भेजने की मानसिकता अभी तक
विकसित नहीं हो पाई है .

इन्टरनेट से हटकर यदि हम भारत में मोबाइल प्रयोक्ताओं की चर्चा करें तो 5
वर्ष में यह संख्या 14.6 प्रतिशत से बढकर 70.9 प्रतिशत
पर जा पहुंची है .

इन्टरनेट पर हिन्दी एवंअन्य  भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढाने के लिए
विद्यालयों /महाविद्यालयों /विश्वविद्यालयों में प्रभावी अभियान चलाने की
गहन आवश्यकता है . नई पीढी इससे जुड़ेगी तो बात बहुत दूर तक जाएगी .

कारण और भी बहुत से हैं किन्तु फिलहाल इतना ही .

- डॉ जवाहर कर्नावट
सहायक महाप्रबंधक ,बैंक ऑफ़ बडौदा ,
कारपोरेट कार्यालय , बान्द्रा-कुर्ला कोम्प्लेक्स ,मुम्बई .
+91 75063 -78525

Wednesday, June 17, 2015

आपदा प्रबंधन में कारगर: एडवेंचर स्पोर्ट्स

आपदा प्रबंधन में कारगर: एडवेंचर स्पोर्ट्स

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मई का महीना पर्वतारोहण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। माउंट एवरेस्ट पर पहली विजय     29 मई 1953 को, प्रथम भारतीय दल 20 मई 1965 को, पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल   23 मई 1984 को, दो बार पर्वतारोहण करने वाली भारतीय महिला संतोष यादव भी 1992 और 1993 में मई महीने में ही माउंट एवरेस्ट पर चढ़ी। वह इसलिए क्योंकि मई का मौसम पहाड़ों पर सबसे शांत और कम जोखिम भरा माना जाता है। लेकिन अप्रैल के अंतिम और मई के शुरुआती समय में पहाड़ ने ऐसी करवट ली कि नेपाल से लेकर भारत तक की धरती हिल गई और ऐसी थरथराई कि दोनों देशों में हजारों जिंदगियां लील गई। 20 दिनों के अंतराल में आए दो भारी भूकंपों ने नेपाल के इतिहास की पहचान को ही नष्ट कर दिया। ऐसे संकट के समय में सर्वाधिक मूल्यवान होता है मानव जीवन। इतिहास को तो पुन:निर्मित किया जा सकता है लेकिन जीवन वापिस नहीं आ सकता। इसलिए ऐसी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे बड़ा प्रयास होता है मानव जीवन को  बचाने का, लेकिन समयोचित आपदा प्रबंधन न होने के कारण जीवन से संघर्ष करते लोगों तक समय पर मदद नहीं पहुंच पाती है।Image result for adventure sports
ऐसे जोखिम भरे समय में कुशल आपदा-प्रबंधन की बहुत गहन आवश्यकता पड़ती है। भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल मौजूद तो है लेकिन उसकी दक्षता का लाभ त्वरित कार्रवाई में परिवर्तित नहीं हो पाता है। ऐसे समय में राष्ट्रीय निकायों की अपेक्षा स्थानीय निकाय अपेक्षाकृत अधिक कारगर सिद्ध होते हैं। क्योंकि तत्काल रूप से वे ही समय पर उपलब्ध होते हैं। ऐसे भीषण आपदाओं में राष्ट्रीय स्तर की अपेक्षा, ब्लॉक स्तर की दक्ष प्रतिभाएं ज्यादा जीवन बचा सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि पंचायत स्तर पर ही जोखिम से निपटने का कौशल यानी लाइफ सेविंग स्किल का प्रशिक्षण अनिवार्यत: लागू किया जाए।
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इसमें एडवेंचर स्पोर्ट्स की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है जोकि हवा, पानी, धरती पर जोखिम उठाकर खेला जाता है। इस तरह के खेलों से जहां मनोरंजन और स्वास्थ्य लाभ मिलता है वहीं खतरों के खिलाड़ी बनकर आत्मविश्वास भी अर्जित किया जाता है। एडवेंचर स्पोर्ट्स के खिलाडी को अपने कम्फर्ट जोन से पहले निकलना होता है,जोखिम उठा कर अपनी मानवीय क्षमताओं को विकसित करना होता है I दरअसल एडवेंचर स्पोर्ट्स का लक्ष्य ही है अपने भय पर विजय पाना I ऐसे व्यक्ति आपदा के समय न केवल अपनी जान बचाता है बल्कि अपने साथियों की भी जान बचाता है।

 आज जब स्किल इंडिया की बात चल रही है, स्कूल, कॉलेज के पाठ्यक्रम को संशोधित किया जा रहा हैतो ऐसे समय में यह आवश्यक है कि एडवेंचर स्पोर्ट्स को स्किल डेवलेपमेंट के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में पाठ्यक्रम में अनिवार्यत: शामिल किया जाए। 

आईपीएल-8: ये है इंडिया का त्यौहार / बाजार

आईपीएल-8: ये है इंडिया का त्यौहार बाजार

 स्मिता मिश्र

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एक कहावत है कि हिन्दुस्तान में 10 कोस में पानी का स्वाद बदल जाता है और 20 कोस में बोली। भारतीय संविधान में 22 अधिकारिक भाषाएं है। देश के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक पानी, भाषा, संस्कृति सभी कुछ अलग हो जाता है। लेकिन फिर भी कुछ चीजें ऐसी है जोकि पूरे भारत को एक करती है और जाहिर सी बात है कि क्रिकेट उस सूची में सबसे ऊपर है। अभी आईसीसी विश्वकप क्रिकेट का खुमार उतरा भी नहीं था कि आईपीएल का बाजार सज गया।
अभी कुछ समय पूर्व अनेक विवादों से ग्रस्त आईपीएल प्रतियोगिता के आयोजन पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया था। सट्टेबाजी, मैच फिक्सिंग जैसी धांधलेबाजी के आरोपों से आईपीएल लगातार सुर्खियों मे रहा। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन पर अदालती रूख और  राजस्थान क्रिकेट संघ पर बीसीसीआई के रूख ने स्थितियों को और जटिल बना दिया। चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल टीमों की मान्यता समाप्त करने की मांग तक उठी। भारतीय कप्तान की इन प्रकरणों में कथित संलिप्तता से भी बहुत हल्ला-गुल्ला मचा।
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ऐसी लग रहा था कि आईपीएल आयोजन अब अतीत का विषय हो जाएगा लेकिन इन सभी कयासों को दर-किनार करते हुए आईपीएल-8 नए तामझाम, नई पूंजी के साथ शुरू हो गया। ज़ाहिर है जहाँ  बाजार का इतना पैसा लगा हो, वहां बाजार की शक्तियां जल्दी हार नहीं मानती बल्कि नई रणनीति के साथ पूंजी निवेश करती है। आईपीएल-8 की लोकप्रियता का आलम यह है कि आईपीएल के सभी मैचों के अधिकांश टिकटे बिक चुकी हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की माने तो पहले 5 मैचों की टीवीआर यानी ,टेलीविज़न व्यूअरशिप रेटिंग, औसतन 4.4 रही जोकि पिछले संस्करण में 3.1 औसत थी। अभी तक के आंकड़े के अनुरूप आईपीएल मैचों के टीवी दर्शकों की संख्या में 41% का उछाल आया है। जाहिर सी बात है कि इसके पीछे प्रायोजक कंपनियों की विपणन रणनीति की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मल्टी स्क्रीन, मीडिया (एमएसएम) आईपीएल के आधिकारिक प्रसारक है। उन्होंने तमाम विवादों तो दरकिनार करते हुए नए बाजार खोजने की रणनीति पर काम किया। भारत की भाषिक विविधताओं को संभावित बाजार के रूप में खोजा। छोटे-छोटे शहरों के लोगों को आईपीएल के दर्शक के रूप में तब्दील करने के लिए क्षेत्रीय भाषा के टीवी चैनलों से करार किया। आईपीएल-8 को पहले अंग्रेजी से हिन्दी में लाया गया और अब क्षेत्रीय भाषा को में इसका प्रसारण किया जा रहा है जिससे इसकी टीवीआर में अद्भुत उछाल आया है। विज्ञापन की दरें भी पिछले संस्करण से 10 से 15 प्रतिशत  ज्यादा है। दस से पंद्रह सेकिंड की विज्ञापन दर साढे चार से पांच लाख तक पहुंच गई है। पेप्सी, वोडाफोन, हीरो मोटो-कार्प, पे-टीएम, इंटेक्स मोबाइल, अमेजन, कार देखो डॉट कॉम, मैजिक ब्रिक्स, रेमंड, कैडबरी और पारले प्रोडक्ट सहित 12 मुख्य प्रायोजक सहित अन्य प्रायोजकों से 950 करोड़ रूपए की संभावित आय एमजीएम को होने का अनुमान लगाया जा रहा है जिनमें 190 से 240 करोड़ रुपए ऑनलाइन कंपनियों से ही मिलने की संभावना है।
भारतीय संगीतकार सलीम-सुलेमान का नया गीत इसमें है दिलों का प्यार, ये है इंडिया का त्योहार कैंपेन के द्वारा आईपीएल के बाजार को एक छद्म किस्म की देशभक्ति और संस्कृति एकता से जोड़ने का प्रयास किया गया है। ऐसी देशभक्ति जो एक चौके और छक्के के लगने पर फिरंगी चीयर लीडर्स के थिरकने के साथ ही उभर कर आती है। टीवी पर पेप्सी का एक विज्ञापन खूब लोकप्रिय हो रहा है जिसमें पेप्सी आम दर्शकों से आईपीएल की विज्ञापन फिल्म बनाने का संदेश दे रही है। विराट कोहली जब एक बुजुर्ग महिला से पूछते हैं कि आंटी मैं क्या करूं?’ तो आंटी जी उदासीन भाव से जवाब देती है-“ बेटा ! तू अपने खेल पर ध्यान दे। ज्यादा एड-शैड न किया कर।“ बस यही वह पंच है जो कमाल का हैI किसी भी खिलाड़ी की पहचान उसके खेल से होती है। खिलाड़ी को उसके खेल के कारण ही ऐड या आगे चलकर सीरियल या फिल्मे मिलती हैं। इन सबके लिए जरूरी है कि खेल में खिलाड़ी अच्छा करे। आईपीएल कहने को क्रिकेट श्रृंखला है लेकिन इसमें खिलाड़ी की बजाय ब्रांड खेलते हैं। टीम के हारने के बावजूद टीम मालिक ब्रांड वैल्यू को बनाए रखने के लिए काफी मशक्कत करते हैं। इसके लिए टीम के प्रचार पर जम कर पैसा बहाया जाता है। आईपीएल लोगों को रोजगार और नए खिलाड़ियों को मौका जरूर दे रहा है। लेकिन खिलाड़ी, खिलाड़ी बनने की बजाय ब्रांड जा रहा है। इससे आईपीएल क्रिकेट के खेल की बजाय ब्रांड और पैसे का खेल ज्यादा बन गया है। खिलाड़ी का महत्व तभी है जब तक वह अपना खेल ईमानदारी से खेलता रहता है। बाजार तो अपने आप सफल खिलाडी के पीछे आता है I लेकिन अगर खिलाड़ी बाजार के उत्पाद के रूप में ही काम करेगा और अपना मूल कार्य भूल जाएगा तो बाजार को भी उस खिलाड़ी को भूलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।