धर्म : मैदान के अन्दर और बाहर का..


धर्म : मैदान के अन्दर और बाहर का..

खबर आई कि ईरान की राजधानी तेहरान में दिसम्बर में होने वाली एशियाई एयरगन प्रतियोगिता से भारत की दिग्गज महिला निशानेबाज़ हिना सिद्धू ने नाम वापिस ले लिया है I बात यह नहीं है कि वे अस्वस्थ है या कोई और व्यस्तता हैI दरअसल प्रतियोगिता के आयोजकों ने सभी देशों की महिला प्रतिभागियों के लिए हिजाब पहनने की अनिवार्यतः शर्त रख दी है Iइस विचित्र अनिवार्यतः के चलते हिना ने अपना नाम वापिस लिया I
 हिजाब का सम्बन्ध सीधा-सीधा धर्मं और संस्कृति से है Iलेकिन तमाम धर्म और संस्कृति से परे  खेल की एक यूनिवर्सल संस्कृति होती है I खेल के मैदान से बाहर खिलाडी की धर्म ,जाति से पहचान भले ही हो सकती हो  लेकिन जब खिलाडी खेल के मैदान के भीतर होता है तब उसकी पहचान विशुद्ध रूप से एक खिलाडी के तौर पर होती है जो अपनी टीम को जिताने का भरसक प्रयास करता है Iखेल के मैदान में उसका कोई भिन्न धर्म , संस्कृति या जाति नहीं होती Iउसका बस एक ही धर्म होता है – खेल का धर्म ,जिसमें न कोई छोटा है न बड़ा Iखेल का धर्म यही समान स्वातंत्र्य की बात सिखाता है I

इसलिए आयोजकों द्वारा प्रतियोगिता की प्रतिभागिता  की यह अनिवार्यतः शर्त खेल की मूल भावना को आहत करती है Iखेल संवाद का जरिया बनते हैं न कि अलगाववाद का Iआज जब दुनिया भर में महिलाओं को खेल के मैदान से जोड़ने की कोशिश  हो रही है,भारत में बेटी बचाओ बेटी पढाओं और खिलाओ के नारे दिए जा रहे हैं , ऐसे में हिना का इनकार एक पॉजिटिव कदम के रूप में लिया जाना चाहिए Iसाथ ही अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक संघ को यह संज्ञान में लेना चाहिए ताकि खेलों में महिलाओं की आमद बढे न कि घटे I

Comments

My Coaching said…
हाथ में पत्रिका आने के बाद संपादक आपसे बात कर रहा हो. हिन्दी की पत्र पत्रिकाएँ -यहां कुछ ऐसी ही हिंदी पत्रिकाओं का ज़िक्र होने जा रहा है, जिन्होंने हिंदी साहित्य की मशाल को जलाने का काम किया है. हालांकि इनमें से कुछ हमारे बीच नहीं हैं.