साइबर कानून के उल्लंघन

साइबर कानून के उल्लंघन को मोटे तौर से दो क्षेत्रों में बांटा जा सकता है।

·                     पहला, बौद्विक सम्पदा अधिकार के क्षेत्र में उल्लघंन: मैंने इस विषय पर विस्तार से चर्चा,   अलग सन्दर्भ में, अपनी श्रंखला '', 'पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम', 'ओपेन सोर्स सौफ्टवेर', और 'लिनेक्स की कहानी' में की है।
·                     दूसरा, अन्य क्षेत्र में उल्लघंन: यह उल्लघंन मुख्य रूप से सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लघंन है। इसे सामान्य भाषा में साइबर अपराध (Cyber crime) कहा जाता है।

सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम में साइबर अपराध के लिए दो तरह के उपाय दिए गये है।

·                     पहला, दीवानी उपाय (Civil relief): इसमें जो भी व्यक्ति आपको नुकसान पहुँचाता है उससे आप हर्जाना प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन यह मुकदमे सिविल न्यायालयों  में नही चलते। इन मुकदमे को तय करने के लिए एक अलग से अधिकारी (Adjudicating Officer) नियुक्त किया जाता है। इस समय प्रत्येक राज्य में उनके इंफॉरमेशन तकनीक के सक्रेटरी ही यह अधिकारी है। इनके फैसले की अपील साइबर ट्रियूब्नल मे होती है। उसके बाद इनकी अपील हाई कोर्ट में दाखिल की जा सकती है।

·                     दूसरा फौजदारी अभियोग (Criminal Prosecution): इसमें साइबर कानून के  उल्लघंन करने वालो को सजा हो सकती है। इसके लिए पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ती है और मुकदमा फौजदारी अदालत में ही चलता है।

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