टेलीविजन - दूरदर्शन
सार्वजनिक सेवा प्रसारण दूरदरर्शन विश्व के सबसे बड़े टेलीविजन नेटवर्क में से एक है। दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्मक आधार पर आधे घण्टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया।
आकाशवाणी के भाग के रूप में टेलीविजन सेवा की नियमित शुरूआत दिल्ली (1965); मुम्बई (1972); कोलकाता (1975), चेन्नई (1975) में हुई। दूरदर्शन की स्थापना 15 सितम्बर 1976 को हुई। उसके बाद रंगीन प्रसारण की शुरूआत नई दिल्ली में 1982 के एशियाई खेलों के दौरान हुई, जिसके साथ देश में प्रसारण क्षेत्र में बड़ी क्रांति आ गई। उसके बाद दूरदर्शन का तेजी से विकास हुआ और 1984 में देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया।
उसके बाद महत्वपूर्ण मोड़ इस प्रकार आए:
दूसरे चैनल की शुरूआत
दिल्ली (9 अगस्त 1984), मुम्बई (1 मई 1985), चेन्नई (19 नवम्बर 1987), कोलकात्ता (1 जुलाई 1988)
मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग (26 जनवरी 1993)
अंतरराष्ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत (14 मार्च 1995)
प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम) (23 नवम्बर 1997)
खेल चैनल डीडी स्पोर्ट्स की शुरूआत (18 मार्च 1999)
संवर्धन/सांस्कृतिक चैनल की शुरूआत (26 जनवरी 2002)
24 घण्टे के समाचार चैनल डीडी न्यूज की शुरूआत (3 नवम्बर 2002)
निशुल्क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्ट + की शुरूआत (16 दिसम्बर 2004
दूरदर्शन ने देश में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन, राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने और वैज्ञानिक सोच को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सार्वजनिक सेवा प्रसारक होने के नाते इसका उद्देश्य अपने कार्यक्रमों के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण और परिवार कल्याण, पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन, महिलाओं, बच्चों और विशेषाधिकार रहित वर्ग के समाज कल्याण उपायों को रेखांकित करना है। इसका उद्देश्य क्रीड़ा और खेलों तथा देश की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना भी है।
दूरदर्शन आज
दूरदर्शन के राष्ट्रीय नेटवर्क में 64 दूरदर्शन केन्द्र / निर्माण केन्द्र, 24 क्षेत्रीय समाचार एकक, 126 दूरदर्शन रखरखाव केन्द्र, 202 उच्च शक्ति ट्रांसमीटर, 828 लो पावर ट्रांसमीटर, 351 अल्पशक्ति ट्रांसमीटर, 18 ट्रांसपोंडर, 30 चैनल तथा डीटीएच सेवा आती है। विभिन्न सवर्गों में 21708 अधिकारियों तथा कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं।
दूरदर्शन ट्रांसमीटर
चैनल
एचपीटी
एलपीटी
वीएलपीटी
ट्रांसपोजर
योग
नेशनल (डीडी1)
128
747
346
18
1239
डीडी न्यूज
70
81
5
-
156
अन्य
4
-
-
-
4
योग
202
828
351
18
1399
दूरदर्शन चैनल
राष्ट्रीय चैनल (5): डीडी 1, डीडी न्यूज़, डीडी भारती, डीडी स्पोर्ट्स और डीडी उर्दू
क्षेत्रीय भाषाओं के उपग्रह चैनल (11): डीडी उत्तर पूर्व, डीडी बंगाली, डीडी गुजराती, डीडी कन्नड़, डीडी कश्मीर, डीडी मलयालम, डीडी सहयाद्रि, डीडी उडिया, डीडी पंजाबी, डीडी पोधीगई और डीडी सप्तगिरी
क्षेत्रीय राज्य नेटवर्क (11): बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और त्रिपुरा
अंतरराष्ट्रीय चैनल (1): डीडी इंडिया
दूरदर्शन का त्रिस्तरीय कार्यक्रम सेवा - राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय है।
राष्ट्रीय सेवा में कार्यक्रम पूरे देश की रुचि के मुद्दों और घटनाओं पर केंद्रित होते हैं।
क्षेत्रीय सेवा में कार्यक्रम उस राज्य के लोगों के हित की घटनाओं और मुद्दों पर केंद्रित होते हैं।
स्थानीय सेवा में उस विशेष ट्रांसमीटर की पहुंच में आने वाले लोगों की आवश्यकताएं स्थानीय भाषाओं और बोलियों में विशेष कार्यक्रम से पूरी की जाती हैं।
इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सेवाओं के कार्यक्रम पूरे देश में दर्शकों के लिए उपग्रह पद्धति से उपलब्ध हैं।
कार्यक्रम के स्रोत: दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों के लिए कार्यक्रम इस प्रकार उपलब्ध हैं:
आंतरिक निर्माण: दूरदर्शन के कर्मचारियों द्वारा दूरदर्शन के साधनों से तैयार कार्यक्रम, जिसमें दूरदर्शन द्वारा घटनाओं का सीधा प्रसारण होता है।
तैयार कराए गए कार्यक्रम: योग्य लोगों द्वारा दूरदर्शन के कोष से तैयार कार्यक्रम
प्रायोजित कार्यक्रमनिजी रूप से तैयार कार्यक्रम का दूरदर्शन द्वारा निशुल्क वाणिज्यिक समय के बदले शुल्क भुगतान पर प्रसारण।
रॉयल्टी कार्यक्रम: दूरदर्शन द्वारा बाहरी निर्माताओं से कार्यक्रम रॉयल्टी देकर एक या अनेक बार प्रसारित करना
अधिग्रहीत कार्यक्रम: अधिकार शुल्क देकर विदेशी कंपनियों से कार्यक्रम/घटना अधिग्रहीत करना
शैक्षिक/विकास कार्यक्रम: सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा निर्मित शैक्षिक/विकास कार्यक्रम
स्ववित्त कार्यक्रमइन कार्यक्रमों की शुरूआती निर्माण लागत निजी निर्माता का होता है। प्रसारण के बाद दूरदर्शन उत्पादन लागत का भुगतान करता है। कार्यक्रम दूरदर्शन द्वारा बेचा जाता है। इस योजना में प्रावधान है कि उच्च टीआरपी मिलने पर स्वीकृत उत्पादन लागत पर बोनस दिया जाए और कार्यक्रम के खराब प्रदर्शन पर उत्पादन लागत में कटौती।
दूरदर्शन का क्षेत्रीय कवरेज: दूरदर्शन के दो क्षेत्रीय चैनलों का कवरेज इस प्रकार है:
दूरदर्शन का क्षेत्रीय कवरेज
चैनल
क्षेत्र
जनसंख्या
डीडी1
79.4
9.4
डीडी न्यूज
24.4
48.5
डीडी डायरेक्ट + : दूरदर्शन की फ्री टु एयर डीटीएच सेवा डीडी डायरेक्ट + का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 16 दिसंबर, 2004 को किया गया। 33 टीवी चैनलों (दूरदर्शन / निजी) और 12 रेडियो (आकाशवाणी) चैनलों से शुरूआत हुई, इसकी सेवा क्षमता बढ़कर 36 टीवी चैनल और 20 रेडियो चैनल हो गई। अंडमान और निकोबार को छोड़कर इसके सिगनल पूरे भारत में एक रिसीवर प्रणाली से मिलते हैं। इस सेवा के ग्राहकों की संख्या 50 लाख से अधिक है।
डीडी- राष्ट्रीय चैनल
डीडी-I चैनल (राष्ट्रीय)
दूरदर्शन का डीडी-1 चैनल सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन, राष्ट्रीय, एकता, वैज्ञानिक रुचि, ज्ञान का प्रसारण, शैक्षिक कार्यक्रम, सार्वजनिक जागरूकता, जनसंख्या नियंत्रण के उपाय, परिवार कल्याण संदेश, पर्यावरण सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन, महिला कल्याण उपाय, बच्चे और कमजोर लोगों आदि के बारे में अपने कार्यक्रमों से महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह खेल और देश की कला और सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा देता है।
सार्वजनिक सेवा प्रसार के अलावा मनोरंजन कार्यक्रमों, सामाजिक रूप से प्रासंगिक विभिन्न विषयों पर धारावाहिकों का प्रसारण करता है। ये प्रायोजित/कमीशंड/स्ववित्त कमीशंड कार्यक्रम, फिल्म आदि के रूप में होते हैं।
राष्ट्रीय चैनल की सेवा स्थलीय माध्यम के अलावा सेटेलाइट में सुबह 5.30 बजे 00.00 (आधी रात) और सेटेलाइट मोड में अगली सुबह 5.30 बजे से तक उपलब्ध है।
क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवा: ग्यारह क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवाएं इस प्रकार हैं:
डीडी मलयालम
डीडी सप्तगिरी (तेलुगु)
डीडी बंगाली
डीडी चंदन (कन्नड़)
डीडी उडिया
डीडी सहयाद्रि (मराठी)
डीडी गुजराती
डीडी कश्मीर (कश्मीरी)
डीडी पंजाबी,
डीडी उत्तर पूर्व
डीडी पोधीगई (तमिल
क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवाएं और क्षेत्रीय राज्य नेटवर्क विकासात्मक समाचार, धारावाहिक, वृत्त चित्र, समाचार और ताजा मामलों के कार्यक्रमों का प्रसारण लोगों की भाषा में संसूचित करने के लिए करते हैं। सामान्य सूचना, सामाजिक और फिल्म कार्यक्रम और अन्य बड़ी विधाओं के कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं।
क्षेत्रीय राज्य नेटवर्क: क्षेत्रीय राज्य नेटवर्क हिंदी क्षेत्र उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के लोगों की जरूरतें पूरी करता है। इस सेवा के कार्यक्रम विभिन्न राज्यों के राजधानी केंद्रों से तैयार और 3.00 और 8.00 बजे के बीच प्रसारित किए जाते हैं। इनका राज्य के किसी भू ट्रांसमीटर रिले करते हैं।
डीडी न्यूज: डीडी न्यूज चैनल देश का एकमात्र 24 घंटे का स्थलीय समाचार चैनल है, जिससे रोजाना हिंदी और अंग्रेजी में 16 घण्टे से अधिक के समाचार बुलेटिनों का सीधा प्रसारण किया जाता है। हेडलाइंस, न्यूज अपडेट, स्क्रोलर पर ब्रेकिंग न्यूज इस चैनल की विशेषताएं हैं। रोजाना संस्कृत और उर्दू में समाचार बुलेटिन भी प्रसारित किए जाते हैं। इसके अलावा विभिन्न दूरदर्शन केंद्रों से जुड़ी क्षेत्रीय समाचार यूनिटें रोजाना क्षेत्रीय भाषाओं में विभिन्न अवधि के समाचार बुलेटिन प्रसारित करती हैं। डीडी न्यूज हेडलाइंस अब एसएमएस से हासिल किए जा सकते हैं।
डीडी न्यूज पूरे दिन स्टाक और वस्तुओं के सूचकांक ऑटोमैटेड मोड से प्रसारित करता है जिसमें, एनएसई और बीएसई और एनसीडीईएक्स, एमसीएक्स आदि अग्रणी वस्तु बाजार की सूचनाएं होती हैं।
डीडी स्पोर्ट्स: यह देश का एकमात्र फ्री टु एयर स्पोर्ट्स चैनल है। यह क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी, टेनिस, कबड्डी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स और अन्य देशी खेलों आदि का कवरेज करता है।
डीडी स्पोर्ट्स पर गैर ओलंपिक और परंपरागत खेलों के कवरेज के लिए एक नकद बाह्य प्रवाह प्रणाली की व्यवस्था भी की गई है। यह चैनल विभिन्न खेल फेडरेशनों और एसोसिएशनों द्वारा आयोजित खेल कार्यक्रमों को कवर करता है।
डीडी भारती: यह चैनल 26 जनवरी, 2002 को शुरू किया गया था। जोखिम, क्विज कांटेस्ट, ललित कला/पेंटिंग्स, शिल्प और डिजाइन, कार्टून, प्रतिभा खोज आदि के अलावा यह युवा लोगों के साथ एक घंटे के कार्यक्रम 'मेरी बात' का सीधा प्रसारण करता है।
स्वस्थ जीवन शैली पर जोर देने वाले, इलाज की बजाय निवारण पर केंद्रित चिकित्सा के आधुनिक और परंपरागत रूपों पर कार्यक्रमों का भी प्रसारण होता है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति के शीर्ष कलाकारों के शास्त्रीय ऩृत्य/संगीत कार्यक्रम इस चैनल पर दिखाए जाते हैं। इसके अलावा थिएटर, साहित्य, संगीत, पेंटिंग्स, मूर्तिकला और वास्तु शिल्प पर कार्यक्रम भी दिखाए जाते हैं।
चैनल आईजीएनसीए, सीईसी, इग्नू, पीएसबीटी, एनसीईआरटी और साहित्य अकादमी जैसे संगठनों के सहयोग से भी कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। चैनल आकाशवाणी संगीत सम्मेलनों का व्यापक कवरेज करता है। क्षेत्रीय दूरदर्शन केंद्रों के कार्यक्रमों का सीधा रिकार्डेड प्रसारण होता है।
डीडी इंडिया: इस चैनल पर कार्यक्रम इस तरह किए जाते हैं कि विश्व खासकर भारतीय लोगों को भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य देखने का प्राथमिक उद्देश्य पूरा हो सके। चैनल हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, गुजराती, मलयालम और तेलुगु में समाचार, सामयिक विषयों पर फीचर, अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चाएं प्रसारित करता है। यह मनोरंजक कार्यक्रम, धारावाहिक, थिएटर, संगीत और नृत्य के अलावा फिल्मों का प्रसारण भी करता है।
पंजाबी, उर्दू, तेलुगु, बंगाली, मराठी, कन्नड़, मलयालम और गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यक्रम इस चैनल के आवश्यक संघटक हैं। स्वाधीनता दिवस, गणतंत्र दिवस समारोह, बजट प्रस्तुतीकरण और राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय महत्व की अन्य घटनाओं का इस चैनल पर सीधा प्रसारण किया जाता है।
प्रेस और प्रिंट मीडिया
भारत के समाचार - पत्र पंजीयक
1953 में प्रथम प्रेस आयोग की सिफारिश पर तथा प्रेस और प्रस्तुक पंजीकरण अधिनियम, 1867 में संशोधन से पहली जुलाई, 1956 को भारत के समाचार-पत्र पंजीयक का कार्यालय अस्तित्व में आया। समाचार-पत्र पंजीयक को प्रेस पंजीयक भी कहा जाता है। यह हर वर्ष 31 दिसम्बर से पहले समाचार-पत्रों की स्थिति के बारे में सरकार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट सौंपता है। जिस अवधि के लिए वार्षिक वितरण दिए जाते थे, उसे 2002 में कैलेंडर वर्ष बदलकर वित्तीय वर्ष कर दिया गया था। पहले वार्षिक रिपोर्ट वित्तीय वर्ष के अनुसार बनाई जाती थी। [पंजीयक द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2007 तक पंजीकृत समाचार पत्रों / पत्रिकाओं की कुल संख्या 65,032 थी। इनमें 7,131 दैनिक थे, 374 त्रि/द्विसाप्ताहिक, 22,116 साप्ताहिक, 8,547 पाक्षिक, 19,456 मासिक, 4,470 त्रैमासिक, 605 वार्षिक तथा 2,333 अन्य कालावधियों के थे। (ये आंकडे वर्ष 2006-07 के लिए केवल पंजीकृत समाचारपत्रों के लिए अद्यतन किए गए हैं)]।
प्रेस पंजीयक की 2005-06 की रिपोर्ट के अनुसार 123 भाषाओं और बोलियों में समाचारपत्रों का पंजीयन किया गया। संविधान की आठवीं अनुसूची में अभिलिखित अंग्रेजी के अलावा 22 अन्य प्रमुख भाषाओं और 100 अन्य भाषाओं और बोलियों, अधिकतम भारतीय, कुछेक विदेशी में समाचारपत्रों का पंजीयन हुआ। उड़ीसा में 23 प्रमुख भाषाओं में से 18 में समाचारपत्र प्रकाशित होते हैं। महाराष्ट्र में 17 भाषाओं और दिल्ली में 16 प्रमुख भाषाओं में समाचारपत्रों का प्रकाशन होता है।
रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2006 तक पंजीकृत 62,483 में से 8,512 ने वर्ष 2005-06 में वार्षिक रिपोर्ट दी। 8,512 समाचारपत्रों की प्रसार संख्या 18,07,38,611 थी। सबसे अधिक समाचारपत्र और पत्रिकाएं हिंदी में पंजीकृत हुईं, इनकी संख्या (24,927) थी। अंग्रेजी में पंजीकृत समाचारद्ध और पत्रिकाएं दूसरे स्थान पर रहीं, जिनकी संख्या (9,064) थी। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक (9,885) समाचार पत्रों का पंजीकरण हुआ। पंजीकरण पत्रों की सर्वाधिक संख्या के लिहाज़ से दिल्ली दूसरे (8,545) स्थान पर रही।
पत्र सूचना कार्यालय
पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) सरकार की नीतियों, कार्यक्रम पहल और उपलब्धियों के बारे में समाचार-पत्रों तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सूचना देने वाली प्रमुख एजेंसी है। यह प्रेस विज्ञप्तियों, प्रेस नोट, विशेष लेखों, संदर्भ सामग्री, प्रेस ब्रीफिंग, फोटोग्राफ, संवाददाता सम्मेलन, साक्षात्कार, प्रेस दौरे और कार्यालय की वेबसाइट के माध्यम से सूचना का सर्वत्र पहुंचाता है।
कार्यालय अपने मुख्यालय में विभागीय प्रचार अधिकारियों के माध्यम से कार्य करता है जो प्रेस विज्ञप्तियों और प्रेस सम्मेलनों आदि के जरिए मीडिया को सूचना के प्रसार में सहायता देने के प्रयोजन हेतु विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ संलग्न हैं। ये अधिकारी प्रचार गतिविधियों से संबंधित सभी मामलों पर सलाह भी देते हैं। ये संबंधित मंत्रालयों और विभागों को फीड बैक प्रदान करते हैं। विशेष सेवाओं के एक भाग के रूप में पत्र सूचना कार्यालय के फीडबैक प्रकोष्ठ द्वारा एक डेली डायजेस्ट तथा विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दैनिक समाचारपत्रों और पत्रिकाओं से समाचार कथाओं और संपादकीय के आधार पर विशेष डायजेस्ट तैयार किए जाते हैं।
इस कार्यालय की फीचर इकाई द्वारा पृष्ठभूमि जानकारी, अद्यतन जानकारी, सूचना के छोटे बिन्दु, विशेष लेख और ग्राफिक प्रदान किए जाते हैं, जिन्हें राष्ट्रीय नेटवर्क, इंटरनेट और साथ ही स्थानीय प्रेस में परिचालन हेतु अनुवाद के लिए क्षेत्रीय / शाखा कार्यालयों में परिचालित किया जाता है। यह इकाई सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों पर प्रकाश डालने के लिए विशेष लेख जारी करती है। यह इकाई फोटो लेख और पृष्ठभूमि जानकारियों सहित 200 से अधिक विशेष लेख औसतन हर वर्ष तैयार करती है। पत्र सूचना कार्यालय में पूरे वर्ष विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों का फोटो कवरेज किया जाता है तथा ये तस्वीरें राष्ट्रीय समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में भेजी जाती है।
पत्र सूचना कार्यालय द्वारा मुख्यालय में विदेशी मीडिया सहित मीडिया प्रतिनिधियों को प्रत्यायन प्रदान किया जाता है। लगभग 1425 संवाददाताओं और 430 कैमरा मैन/फोटोग्राफरों का प्रत्यायन किया गया है। कुल 150 तकनीशियनों तथा लगभग 76 संपादकों और मीडिया आलोचकों को प्रत्यायन दिया गया है।
पत्र सूचना कार्यालय का फीड बैक प्रकोष्ठ समाचार मदों और संपादकीय टिप्पणियों के आधार पर समाचारों और विचारों का एक दैनिक डायजेस्ट तैयार होता है, जिसे प्रिंट मीडिया में दर्शाया जाता है। यह डायजेस्ट प्रत्येक कार्य दिवस पर तैयार किया जाता है।
पत्र सूचना कार्यालय की वेबसाइट भारत के मध्यम और छोटे समाचार पत्रों के लिए सूचना का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिसे अधिक आकर्षक बनाने एवं नई विशेषताएं जोड़ने के लिए समीक्षित किया जाता है। पत्र सूचना कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सुझाए गए कुछ डिजाइन परिवर्तन शामिल किए गए थे। पत्र सूचना कार्यालय की 6 अलग अलग भाषाओं में 6 वेबसाइटें, जो हैं तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलुगु, बंगाली और मिज़ो भाषाएं।
इंट्रा पीआईबी, इंट्रानेट वेब पोर्टल को पत्र सूचना कार्यालय द्वारा नई विशेषताओं सहित सज्जित किया गया है जैसे पीआईबी क्लिपिंग सेवा, आंतरिक अनुप्रयोग के लिंक प्रदान करना जो हैं हार्डवेयर की शिकायतें, मासिक प्रगति प्रतिवेदन, वेतन पर्चियां, सूचनाएं, डाउनलोड फॉर्म।
सामाजिक मुद्दों पर संपादक सम्मेलन
पत्र सूचना कार्यालय ने 17-18 अक्तूबर, 2007 को श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में सामाजिक मुद्दों पर एक संपादक सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का संयुक्त उद्घाटन श्री रघुवंश प्रसाद सिंह, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और श्री गुलाम नबी आजाद, माननीय मुख्य मंत्री, जम्मू और कश्मीर ने किया। मीडिया के प्रतिनिधियों को श्री एम ए ए फातमी, माननीय मंत्री, मानव संसाधन विकास, श्री आर वेलू, रेल राज्य मंत्री, श्री मंगत राम शर्मा और श्री मुहम्मद दिलवर निर जो जम्मू और कश्मीर सरकार के मंत्री हैं, ने संबोधित किया। इस सम्मेलन से पत्रकारों को केन्द्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत का उत्कृष्ट मंच मिला और वे जम्मू और कश्मीर पर विशेष फोकस सहित केन्द्र सरकार की विकास संबंधी पहलों पर जानकारी प्राप्त कर सके। इस दो दिवसीय सम्मेलन में 150 से अधिक पत्रकारों में भाग लिया। देश भर के 45 संपादकों ने क्षेत्रीय मीडिया का प्रतिनिधित्व किया और सम्मेलन में जम्मू और कश्मीर राज्य के लगभग 120 पत्रकारों ने भाग लिया। इस सम्मेलन को मीडिया द्वारा व्यापक कवरेज मिला और इसकी रिपोर्टिंग की गई। कुल मिलाकर पत्र सूचना कार्यालय ने इस आयोजन की लगभग 700 प्रेस क्लिपिंग प्राप्त की।
आर्थिक संपादन सम्मेलन
आर्थिक संपादन सम्मेलन का आयोजन 12-14 नवम्बर 2007 को नई दिल्ली में किया गया, जिसमें देश भर के सभी हिस्सों से आए 63 आर्थिक संपादकों सहित लगभग 350 पत्रकारों ने भाग लिया। इसमें भाग लेने वाले मंत्रालय हैं वित्त, कृषि, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, इस्पात, रसायन और उर्वरक तथ श्रम। इससे संपादकों को सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों के बारे में अच्छी जानकारी मिली तथा उन्हें फीड बैक देने का अवसर भी मिला। इससे विभिन्न आर्थिक और मूल संरचनात्मक मुद्दों पर मीडिया की समझ बेहतर हुई। इस सम्मेलन ने संपादकों को देश के विभिन्न आर्थिक पक्षों पर जानकारी प्रदान की।
कुछ आंकड़े
(अप्रैल, 2007 से मार्च, 2008)
1.
मुख्यालय द्वारा कवर किए गए कार्यों की संख्या
1863
2.
पत्र सूचना कार्यालय द्वारा जारी तस्वीरों की संख्या
3969
3.
कुल प्रेस विज्ञाप्तियां
61166
4.
कुल विशेष लेख
3101
5.
कुल प्रेस सम्मेलन/प्रेस संक्षिप्तीकरण
5837
समाचार एजेंसिया
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया
भारत की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया लि. पीटीआई भारतीय समाचारपत्रों की बिना मुनाफे के चलाई जाने वाली सहकारी संस्था है, जिसका दायित्व अपने ग्राहकों को कुशल एवं निष्पक्ष समाचार उपलब्ध कराना है। इसकी समाचार 27 अगस्त, 1947 को हुई और इसने 1 फरवरी, 1949 से अपनी सेवाएं आरंभ कर दीं।
पीटीआई अंग्रेजी और हिंदी में अपनी समाचार सेवाएं दे रही है। भाषा एजेंसी की हिंदी समाचार सेवा है। पीटीआई के ग्राहकों के 500 समाचार पत्र और बीसियों विदेशी समाचार संगठन शामिल हैं। भारत में सभी और विदेशों में लंदन से बीबीसी सहित कई प्रमुख टी.वी./रेडियो चैनल पीटीआई की सेवाएं ले रहे हैं।
पीटीआई सेवाएं प्रदान करने के माध्यम में उपग्रह ट्रांसमिशन शामिल हैं और पीटीआई की अपनी स्वयं की उपग्रह डिलीवरी प्रणाली है। इनसेट उपग्रह पर इस ट्रांसपोंडर के जरिए, पीटीआई की सेवाएं पूरे देश में इसके ग्राहकों तक सीधे पहुंचती हैं। अधिकाधिक उपभोक्ताओं द्वारा उपग्रह से साम्रगी प्राप्त करने का विकल्प अपनाया गया है। पीटीआई ने के. यू. बैंड पर उपग्रह ट्रांसमीशन भी प्रारंभ किया है जो उपभोक्ताओं को सस्ते और छोटे आकार के उपग्रह रिसीवरों पर समाचार उपलब्ध कर देता है।
पीटीआई से इंटरनेट पर भी संपर्क किया जा सकता है एजेंसी की समाचार सेवाएं इसकी वेबसाइट http.//www.ptinews.com. पर भी उपलब्ध है और इसके ग्राहक इंटरनेट के जरिए भी एजेंसी की सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।
फोटो सर्विस उपग्रह के जरिए उपलब्ध है और साथ ही डायल करके भी फोटो मंगवाए जा सकते हैं। एजेंसी अब अपने फोटोग्राफ्स का अभिलेखागार बना रही है। इन ऑनलाइन अभिलेखागार के चालू हो जाने के बाद एजेंसी की पुरानी फाइलों से वर्ष 1986 तक के वे फोटो भी मिल सकेंगे जब फोटो सेवा आरंभ हुई थी।
पीटीआई में करीब 1300 कर्मचारी हैं, जिनमें से 350 पत्रकार हैं। इस एजेंसी के देशभर में 80 कार्यालय हैं तथ पेइचिंग, बैंकॉक, कोलम्बों, ढाका, दुबई, इस्लामाबाद, काठमांडू, लंदन, मास्को, न्यूयॉर्क और वाशिगंटन सहित दुनिया के प्रमुख शहरों में इस एजेंसी के विदेश संवाददाता हैं। इनके अलावा देश में करीब 350 स्ट्रिंगर इसे खबरें भेजते हैं, जबकि 20 अंशकालिक संवाददाता विश्व भर से खबरें भेजते हैं। एजेंसी का देश भर में करीब 200 फोटो स्ट्रिंगर्स का नेटवर्क भी है।
समाचार और फोटो सेवाओं के अतिरिक्त, एजेंसी की अन्य सेवाओं में, फीचरों का मेलर पैकेज, विज्ञान सेवा, आर्थिक सेवा और डाटा इंडिया तथा स्क्रीन आधारित न्यूज-स्कैन और स्टॉक-स्कैन सेवाएं शामिल हैं। पीटीआई का एक टेलीविजन विंग, पीटीआई - टीवी भी है, जो मांग पर निगमों के लिए वृत्तचित्र बनाता है।
एजेंसी एक समझौते के तहत एसोसिएटिड प्रेस (ए.पी) और एजेंसी फ्रांस प्रेस (ए. एफ. पी.) के समाचार भारत में वितरित करती है। इसी प्रकार का समझौता एसोसिएटिड प्रेस के साथ उसकी फोटो सेवा और अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक सूचना के वितरण के लिए भी है। पीटीआई सिंगापुर में पंजीकृत कंपनी एशिया पल्स इंटरनेशनल में भी साझीदार है। इस कंपनी का गठन एशियाई देशों में आर्थिक विकास और व्यापारिक अवसरों के बारे में ऑनलाइन डाटा बैंक उपलब्ध कराने के लिए पीटीआई तथा पांच अन्य एशियाई मीडिया संगठन ने किया है। पीटीआई एशियानेट में भी भागीदार है, जो एशिया प्रशांत क्षेत्र की 12 समाचार एजेंसियों के बीच निगम और सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों के वितरण के लिए एक सहकारी व्यवस्था है।
पीटीआई गुटनिरपेक्ष देशों के समाचार पूल और एशिया प्रशांत समाचार एजेंसी संगठन का प्रमुख भागीदार है। यह एजेंसी द्विपक्षीय समाचार विनियम व्यवस्था के तहत एशिया, अफ्रीका, यूरोप और लैटिन अमेरिकी देशों की कई समाचार एजेंसियों से समाचारों का आदान - प्रदान करती है।
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया की स्थापना 1956 के कंपनी कानून के तहत 19 दिसम्बर, 1959 को हुई। इसने 21 मार्च, 1961 से कुशलतापूर्वक कार्य करना शुरू कर दिया। पिछले चार दशकों में यूएनआई, भारत में एक प्रमुख समाचार ब्यूरो के रूप में विकसित हुई है। इसने समाचार इकट्ठा करने और समाचार देने जैसे प्रमुख क्षेत्र में अपेक्षित स्पर्धा भावना को बनाए रखा है।
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया की नए पन की भावना तब स्पष्ट हुई, जब इसने 1982 में पूर्ण रूप से हिंदी तार सेवा 'यूनीवार्ता' का शुभारंभ किया और भारत की पहली हिंदी समाचार एजेंसी बन गई। इसी दशक में इसने फोटो सेवा तथा ग्राफिक्स सेवा का भी आरंभ किया। इसने 90 के आरंभ में सबसे पहली उर्दू सेवा की शुरूआत की।
इस समय इस समाचार एजेंसी के लगभग 719 ग्राहक हैं। भारत में इसके 71 कार्यालय हैं तथा 391 पत्रकारों सहित लगभग 975 कर्मचारी हैं। देश के प्रमुख शहरों में इसके अपने संवाददाता हैं। इनमें लगभग 305 स्ट्रिंगर्स हैं जो अन्य प्रमुख शहरों से रिपोर्ट भेजते हैं। पूरे देश में नेटवर्क होने के कारण यूएनआई देश के सभी क्षेत्रों में घटनाओं की जानकारी दे पाने में सक्षम है।
यूएनआई के संवाददाता वाशिंगटन, न्यू यॉर्क, लंदन, मॉस्को, दुबई, इस्लामाबाद, काठमांडू कोलंबो, ढाका, सिंगापुर, टोरंटो (कनाडा), सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), बैंकॉक (थाइलैंड), और काबुल (अफगानिस्तान) में हैं।
यूएनआई विश्व की सबसे बड़ी सूचना कंपनी रॉयटर के माध्यम से विश्व के समाचार वितरित करती है। इसके अलावा इसने चीन की सिन्हुआ, रूस की आरआईए नोवस्ती, बंगलादेश की यूएनबी, तुर्की की अनादोलू, संयुक्त अरब अमीरात की डब्ल्यूएएम, बहरीन की जीएनए, कुवैत की केयूएनए, ओमान की ओएनए, कतर की क्यूएनए तथा ताइवान की सीएनए के साथ सूचना आदान प्रदान का तालमेल किया हुआ है।
यूएनआई की फोटो सेवा, यूरोपियन प्रेसफोटो एजेंसी ईपीए और रायटर से मिलने वाले 60 अंतरराष्ट्रीय चित्रों समेत लगभग 200 फोटो प्रतिदिन वितरित करती है। इसकी ग्राफिक्स सेवा 5 से 6 ग्राफिक्स प्रतिदिन उपलब्ध कराती है। इस समय यूनएआई के देशव्यापी नेटवर्क में 27 फोटोग्राफर और इतने ही फोटोस्ट्रिंगर हैं जो यूएनआई की लगभग 200 फोटो प्रतिदिन वाली दैनिक रिपोर्ट के लिए दिन रात काम करते हैं। अपने 46 वर्ष के जीवनकाल में यूएनआई ने समाचारों के द्रुतगति से स्टीक कवरेज के लिए प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम प्रतिद्वन्द्वी की ख्याति प्राप्ति की है।
समाचार संग्रह और प्रसार की आवश्यकताओं के अनुरूप आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने में यूएनआई हमेशा अग्रणी रही है। अपने आधुनिकीकरण अभियान के तहत इसने पूरे देश में अपने कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण कर दिया है। यूएनआई के राष्ट्रव्यापी टेलीप्रिंटर नेटवर्क का विस्तार 50 बॉड से 300 बॉड डाटा सर्किट्स से 10,00,000 किलोमीटर से अधिक करने से इसके कार्यक्षेत्र में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। इसमें एक बार फिर बड़ा बदलाव अस्थाई तौर पर तब आया जब, 1,200 बॉड स्पीड डॉटा सर्किट्स और 56 केबीपीएस की गति से समाचारों के राष्ट्रव्यापी वितरण के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का और उन्नत इस्तेमाल शुरू कर गया। वीसेट प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से देशभर के सभी ग्राहकों का एक साथ बिना किसी देरी के समाचार उपलब्ध हो सकते हैं। इस प्रणाली के तहत चित्र भी उपलब्ध कराए जा सकेंगे।
यूएनआई, पहली समाचार एजेंसी है जो इंटरनेट पर हिन्दी तथा अंग्रेजी में समाचार, फोटो सहित उपलब्ध कराती है। इसके ग्राहक लेख तथा फोटो यूएनआई
www.uniindia.com (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) तथा यूनीवार्ता वेबसाइट से क्रमश:
www.univarta.com (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) से डाउनलोड कर सकते हैं।
गुटनिरपेक्ष समाचार नेटवर्क
गुटनिरपेक्ष समाचार नेटवर्क (एनएनएन) नया इंटरनेट आधारित समाचार और फोटो आदान - प्रदान की व्यवस्था गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्य देशों की समाचार एजेंसियों की व्यवस्था है। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया सहित गुट निरपेक्ष समाचार एजेंसियों के समाचार और फोटो एनएनएन वेबसाइट पर
http://www.namnewsnetwork.org (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) पर अपलोड किए जाते हैं, ताकि सभी ऑनलाइन उपलब्ध हो सकें। मलेशिया की समाचार एजेंसी बरनामा इस समय कुआलालंपुर से इस वेबसाइट का संचालन कर रही है।
अप्रैल, 2006 से कार्यरत एनएनएन की औपचारिक शुरूआत मलेशिया के सूचना मंत्री जैनुद्दीन मेदिन ने कुआलालंपुर में 27 जून 2006 को की थी। एनएनएन ने गुटनिरपेक्ष समाचार एजेंसियों के पूल (एनएएनपी) का स्थान लिया है, जिसने पिछले 30 वर्ष गुटनिरपेक्ष देशों के बीच समाचार आदान प्रदान व्यवस्था के रूप में काम किया है। सस्ता और विश्वसनीय संस्था माध्यम इंटरनेट से एनएनएन गुट निरपेक्ष विश्व के 116 सदस्यों को सतत सूचना प्रवाह जारी रखेगा।
एनएएनपी को एनएनएन से बदलने का फैसला कुआलालंपुर में नवंबर 2005 में गुट निरपेक्ष देशों के सूचना मंत्रियों के सम्मेलन में किया गया था। बैठक में महसूस किया गया कि सदस्य देशों का समर्थन घटने से पूल ने अपनी गति खो दी है और इसे नई व्यवस्था से पुनर्जीवित किया जाना चाहिए, अगर जरूरी हो तो नए रूप में, ताकि आगे बढ़ा जा सके।
एनएएनएपी की स्थापना 1976 में सदस्य देशें के बीच समाचारों के आदान-प्रदान के लिए की गई थी। अपने 30 वर्ष के कार्यकाल में इसने गुट निरपेक्ष विश्व में समाचारों का प्रवाह सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिस समय संचार लागत बहुत अधिक थी, एनएएनएपी ने सदस्य समाचार एजेंसियों को चैनल में भागीदारी का अवसर उपलब्ध कराया जिससे गुट निरपेक्ष आंदोलन के सभी देशों को समाचार आदान प्रदान का साझा नेटवर्क सुनिश्चित हो सके। समाचारों का आदान-प्रदान अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनी और अरबी भाषा में होता था।
भारतीय प्रेस परिषद
भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना समाचारपत्रों की स्वतंत्रता की रक्षा करने और भारत में सामचार-पत्रों और समाचार एजेंसियों के स्तर को बनाए रखने और उसमें सुधार लाने के उद्देश्य के संसद के अधिनियम के तहत की गई। यह शासन तंत्र तथा प्रेस जगत पर नियंत्रण रखने वाला समान अर्ध-न्यायिक नियंत्रक स्वायत्तशासी संगठन है। उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परिषद में एक अध्यक्ष और 28 सदस्य होते हैं। जबकि अध्यक्ष भारत के उच्चतम न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते हैं, इन 28 सदस्यों में से 20 समाचार जगत से, तथा पाठकों के हितों का ध्यान रखने के लिए आठ सदस्य संसद के दोनों सदनों के सदस्य, साहित्य अकादमी, भारत की बार कौंसिल और विश्वविद्यालय अनुदान जैसे देश के प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं विधायी (न्यायिक) संगठकों के प्रतिनिधित्व करते हैं। परिषद की आय के अपने स्रोत हैं। यह पंजीकृत समाचार एजेंसियों से शुल्क वसूल करती है। यह केद्र सरकार ने अपने कामकाज करने के लिए अनुदान भी प्राप्त करती है। भारतीय प्रेस परिषद को 7 जनवरी 2008 से नई कार्य अवधि के लिए गठित किया गया है। परिषद के वर्तमान अध्यक्ष न्यायमूर्ति जी. एन. रे हैं।
प्रेस परिषद प्रेस द्वारा पत्रकारिता की आचार संहिता के उल्लंघन करने या प्रेस की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने की शिकायतों के संबंध में अपने दायित्वों का निर्वाह मुख्यत: न्याय-निर्णय के जरिए करती है। अगर जांच के बाद परिषद इस बात से संतुष्ट होती है कि किसी समाचार एजेंसी या किसी श्रमजीवी पत्रकार ने कोई व्यवसायिक कदाचार किया है तो परिषद उसे चेतावनी दे सकते हैं, उसकी भर्त्सना या निंदा कर सकती है या उसके आचरण को अस्वीकार या रद्द कर सकती है। प्रेस परिषद को सरकार सहित किसी अधिकारी के विरुद्ध भी प्रेस की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने के लिए ऐसी टिप्पणी करने का अधिकार है, जैसा वह उचित समझे। प्रेस परिषद के निर्णय अंतिम होते हैं और उन्हें किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
समीक्षाधीन वर्ष के दौरान परिषद में कुल 678 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से प्रेस सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के बारे में तथा 558 शिकायतें प्रेस द्वारा पत्रकारिता के आदर्शों को उल्लंघन करने संबंधी थीं। पिछले वर्ष से लंबित 665 मामलों को मिलाकर परिषद के पास कुल 1343 मामले थे। इसमें से भारतीय प्रेस परिषद ने वर्ष के दौरान अध्यक्ष द्वारा मामलों की सुनवाई अथवा मध्यस्थता करके अथवा जांच करवाने या मुकदमा न चलाने के लिए पर्याप्त सबूतों के अभाव में (मामला वापस लेने) अथवा उस मामले का निपटान किसी अन्य न्यायालय में लंबित होने की स्थिति में 584 मामलों पर अपना निर्णय दिया था। वर्ष की समाप्ति तक कुल 756 मामलों की सुनवाई की जा रही थी।
अपनी परामशदात्री क्षमता के अंतर्गत परिषद ने सरकार तथा अन्य प्रशासकीय निकायों को निम्नलिखित विषयों पर सुझाव दिए:
समाचार पत्रों में किशोरों की रिपोर्ट या तस्वीरों का प्रकाशन;
प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अश्लीलता;
समाचारपत्रों में शराब कंपनियों द्वारा उत्पादों का प्रचार;
शासन में लोकाचार' नामक द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) की चौथी रिपोर्ट में निहित सिफारिशों का कार्यान्वयन;
प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के दुरुपयोग के विषय में याचिका और इसे संविधान की धारा 19 (2) के तहत प्रतिबंधित करना;
महिलाओं के सशक्तीकरण पर समिति - प्रिंट मीडिया में वर्ष 2007-08 के दौरान महिलाओं की स्थिति की जांच के लिए विषय का चयन;
"साम्प्रदायिक हिंसा (निवारण, नियंत्रण तथा पीडितों का पुनर्वास) विधेयक 2005" पर सुझाव प्राप्त करने के लिए गृह मंत्रालय का कार्यालय ज्ञापन;
उपभोक्ता वस्तुओं पर निजी सदस्य विधेयक 2007 को राज्य सभा में लाया गया (विज्ञापनों के साथ मूल्य का प्रकाशन)
आपराधिक न्याय पर प्रारूप राष्ट्रीय नीति।
समिति ने इसे नोट किया और दिल्ली उच्च न्यायालय के सम्मुख मिड-डे के विरुद्ध दोषारोपण कार्रवाई और इसके पत्रकारों के अभियोजन पर चर्चा की। परिषद में देखा की चाहे माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विचार में लिए गए सभी तथ्यों को परिषद के सामने नहीं लाया गया था और मिड डे का विशिष्ट मुद्दा भारत के उच्चतम न्यायालय के सम्मुख भी लंबित था और इस प्रकार न्याय अधीन था, जिसमें मामले के गुणों पर विचार नहीं करते हुए यह महसूस किया गया कि न्यायालयों को यह विचार करने से पहले प्रेस के कार्यों और कर्तव्यों के प्रति और अधिक संवेदनशील होना चाहिए था और कोई भी धारणा बनाने से पहले न्यायालयों से यह अपेक्षित था कि क्या इस कड़ी आलोचना से न्यायालय का नेतृत्व करने वाले न्यायधीशों को अप्रतिष्ठित कर जनता की नजर में न्यायालयों की कार्यशैली को काटना था।
यह भी देखा गया है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी संस्थान इनकी कार्यशैली के अधिवासी क्रांतिक मूल्यांकन के प्रति खुले थे और जनहित में यह अधिवासी आलोचना केवल उनकी कार्यशैली की गुणवत्ता को सशक्त बनाएगी। प्रतिष्ठित न्यायाधीश और ज्यूरी ने संकेत किया था कि न्यायालय की प्रतिष्ठा और अधिक संयम और उदारतापूर्वक बनाई रखी जाएगी। परिषद ने याद किया कि इसने हाल ही में संसदीय समिति के सामने मीडिया के विरुद्ध अवमानना कार्रवाइयों की एक बचाव के रूप में सत्य को स्वीकार करने का प्रस्ताव रखा था और मीडिया सूचना का आधार बनाने वाले सत्य को अब न्यायालय अधिनियम की अवमानना के संशोधित प्रावधानों के तहत सुरक्षित किया गया था। अत: सत्य पर आधारित और जनहित में प्रकाशित मीडिया की सूचना अवमानना कार्रवाइयों में बचाव का कार्य करेंगी। जबकि यह अनुभव किया गया कि इस प्रकाशन के साथ प्रचार जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए, जो अत्यधिक था।
परिषद के सामने यह प्रश्न निरंतर उठाता रहा कि यह परिषद द्वारा बनाए गए मार्गदर्शी सिद्धांतों से विपथित होने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को संयमित करने के कदम क्यों नहीं उठा रही थी। परिषद ने इस मामले पर विस्तार से चर्चा की। यह अनुभव किया गया कि देश का प्रिंट मीडिया कुल मिलाकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनलों की बड़ी संख्या से अधिक उत्तरदायी था। इस बात में कोई शंका नहीं थी कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को एक विनियामक की आवश्यकता है। भारतीय प्रेस परिषद अपने प्रधान के अधिदेश के तहत कार्य करती है, जिसने देश के प्रिंट मीडिया को नैतिक आचार को बढ़ावा देने में सफल मार्गदर्शन दिया है जबकि अभी अनेक आधारों को ढकना शेष था। परिषद ने पुन: कहा कि प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 की धारा 13 (2) के तहत एक लचीली संहिता बनाई गई जो प्रिंट मीडिया की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अधिक लागू थी, और नैतिकता तथा लोकाचार के सिद्धांत प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए अलग नहीं हो सकते। अत: यह कहा गया कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विनियमन का कार्य एक सामान्य निकाय को सौंपने का प्रस्ताव भारतीय प्रेस परिषद के साथ भारतीय मीडिया निगरानी आयोग की चर्चा द्वारा करना सबसे प्रभावी प्रक्रिया थी और यह मीडिया को स्वीकार्य थी। परिषद ने निर्णय लिया कि इस प्रस्ताव को भारत सरकार के साथ बातचीत में लिया जाए।
परिषद ने प्रेस की स्वतंत्रता और इसके मानकों और नीतिगत सिद्धांतों को विश्वभर में प्रोत्साहन देने के लिए सक्रिय रूप से बढ़ावा देने हेतु दुनिया के विभिन्न भागों में समान प्रकार के निकायों और प्रेस/मीडिया परिषदों के साथ परामर्श और बातचीत की प्रक्रिया आरंभ की है।
परिषद महत्वपूर्ण मुद्दों पर अध्ययनों और रिपोर्टों के साथ आगे आई जिनका गठबंधन प्रेस की स्वतंत्रता के संरक्षण और स्तर को बनाए रखने के साथ है।
कार्य कारी पत्रकारों और पत्रकारों को संविदा आधार पर नियुक्त करने पर अध्ययन रिपोर्ट (27.7.2007)
छोटे और मध्यम समाचार पत्रों की समस्याओं पर रिपोर्ट ( 4-5 अक्तूबर, 2007)
पूर्वोत्तर में प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन पर आकलन समिति की रिपोर्ट (4-5 अक्तूबर, 2007)
परिषद ने हिन्दी तथा अंग्रेजी में अपनी त्रैमासिक पत्रिका का सफलतापूर्वक प्रकाशन किया जिसमें प्रेस जगत की महत्वपूर्ण गतिविधियों की जानकारी दी गई है। परिषद की वेबसाइट पर परिषद द्वारा दिए गए निर्णयों एवं अन्य गतिविधियों की जानकारी में वृद्धि की गई है तथा समाचार पत्रों की सूची को जनसाधारण के सूचनार्थ वेबसाइट पर डाल दिया गया है। परिषद को अपनी हार्डवेयर क्षमता को बढ़ाने का लाभ भी मिला है।
पीआरबी अधिनियम 1867 की धरा 80 (ग) के अंतर्गत भारतीय प्रेस परिषद की संसद से एक अपीलीय निकाय एवं अपीलीय बोर्ड के रूप में कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई। जिसमें परिषद के अध्यक्ष तथा सदस्य अपने सामने प्रस्तुत किए गए मामलों (अपीलों) की नियमित सुनवाई करते हैं।
गवेषणा, संदर्भ और प्रशिक्षण प्रभाग
सन 1945 में स्थापित गवेषणा, संदर्भ और प्रशिक्षण प्रभाग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और उसकी मीडिया इकाइयों तथा उनके क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए सूचना सेवा एजेंसी के रूप में कार्य करता है। यह मीडिया इकाइयों के लिए सूचना बैंक तथा फीडर सेवा उपलब्ध कराकर उन्हें अपने कार्यक्रम तैयार करने और प्रसार अभियानों में सहायता करता है। यह जनसंचार माध्यमों की प्रवृत्तियों का अध्ययन भी करता है और जनसंचार के बारे में संदर्भ साम्रगी जुटाने के साथ - साथ प्रलेखन सेवा उपलब्ध करता है। यह प्रभाग पृष्ठभूमि संदर्भ और अनुसंधान सामग्री तथा अन्य सुविधाओं उपलब्ध कराता है जिनका उपयोग मंत्रालय, इसकी मीडिया इकाइयों और जनसंचार से जुड़े अन्य लोगों द्वारा किया जाता है। यह प्रभाग भारतीय जनसंचार संस्थान के सहयोग से भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) के अधिकारियों के प्रशिक्षण की भी देख रेख करता है।
प्रमुख घटनाओं की पाक्षिक डायरी-डायरी ऑफ इवेंट्स निकालने की नियमित सेवा के अलावा यह प्रभाग दो वार्षिक संदर्भ ग्रंथों का संकलन और प्रकाशन करता है। इसमें से एक का शीर्षक भारत है, जो देश के बारे में प्रमाणिक संदर्भ-साम्रगी प्रस्तुत करता है और दूसरा है मास मीडिया इन इंडिया जो देश में जनसंचार के बारे में एक वृहद् प्रकाशन है। हिंदी में प्रकाशित भारत के साथ साथ अंग्रेजी में संदर्भ ग्रंथ इंडिया का प्रकाशन होता हैं।
संदर्भ पुस्तकालय: प्रभाग में एक समृद्ध पुस्तकालय है जिसमें विभिन्न विषयों पर प्रलेखों का विशाल संग्रह है। इसमें चुनी हुई पत्रिकाओं और मंत्रालयों, समितियों तथा आयोगों की विभिन्न रिपोर्टों के सजिल्द खंड हैं। इस संग्रह में विशिष्ट विषयों पर पुस्तकें जैसे - पत्रकारिता, जनसंपर्क, विज्ञान, श्रव्य-दृश्य माध्यम, सभी प्रमुख विश्व कोषों की श्रृंखला, वार्षिकी और सामयिक लेखों का संग्रह है। इस पुस्तकालय में भारतीय और विदेशी प्रेस के मान्यता प्राप्त पत्रकारों तथा सरकारी अधिकारियों दोनों के लिए ही सुविधाएं उपलब्ध हैं।
जनसंचार राष्ट्रीय प्रलेखन केंद्र: एनडीसीएनसी की स्थापना मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञों की समिति की सिफारिश के आधार पर 1976 में की गई थी। यह गवेषणा, संदर्भ और प्रशिक्षण प्रभाग का एक हिस्सा है जिसका उद्देश्य अपनी सावधिक सेवाओं के जरिए जनसंचार माध्यमों की घटनाओं और गतिविधियों के बारे में सूचनाओं का संकलन, व्याख्या और उनका प्रचार प्रसार करना है। जनसंचार राष्ट्रीय प्रलेखन केंद्र, जनसंचार माध्यमों के बारे में उपलब्ध सभी सूचनाओं, लेखों तथा अन्य सूचना सामग्रियों का प्रलेखन तैयार करता है। केंद्र की वर्तमान गतिविधियों में सूचना के संकलन और प्रलेखन से लेकर न केवल पूरे देश में जनसंचार विकसित करने, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रवाह में शामिल होने के लिए उसका प्रसार भी शामिल हैं।
संकलित सूचनाओं को विभिन्न सेवाओं के जरिए संरक्षित तथा प्रचारित - प्रसारित किया जाता है जैसे करंट अवेयरनेस सर्विस चुने हुए लेखों का अनुक्रमणिका, बिबलियोग्राफी सर्विस लेखों का विषयानुसार अनुक्रमणिका, बुलेटिन ऑन फिल्मस् फिल्म उद्योग की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी, रेफरेंस इनफॉरमेशन सर्विस, हूज हू इन मास मीडिया-प्रसिद्ध मीडिया विशेषज्ञों की जीवनियां, आनर्स कनफर्ड ऑन मास कम्यूनिकेटर्स जनसंचार विशेषज्ञों को दिए गए सम्मानों का विवरण तथा, मीडिया अपडेट राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मीडिया घटनाओं की डायरी।
राष्ट्रीय जनसंचार प्रलेखन केन्द्र अंग्रेजी में मास मीडिया इन इंडिया की संकलन और संपादन भी करता है। इसका पहला प्रकाशन 1978 में किया गया था। इस वार्षिक संकलन में जनसंचार माध्यमों के विभिन्न पहलुओं पर प्रलेख, केंद्र सरकार, राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में मीडिया संगठनों की स्थिति पर लेखों को शामिल किया जाता है। इसमें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बारे में सामान्य जानकारी भी होती है। यह वार्षिक मीडिया में कार्यरत लोगों, नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं तथा पत्रकारिता के छात्रों के लिए संदर्भ सार संग्रह उपलब्ध कराती है।
फोटो प्रभाग
भारत सरकार की विभिन्न गतिविधियों को दृश्य सहायता देने के लिए गठित की गई है एक स्वतंत्र मीडिया द्वारा फोटो प्रभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक अधीनस्थ कार्यालय है और फोटोग्राफी के क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी उत्पादक इकाई है।
प्रभाग पर भारत सरकार की ओर से बाह्य एवं आंतरिक दोनों प्रकार के लिए घटना और गतिविधियों के दृश्य प्रलेखन और श्वेत-श्याम एवं रंगीन चित्रों को तैयार करने का उत्तरदायित्व है।
फोटो प्रभाग का प्रमुख कार्य देश में उन्नति विकास तथा राजनैतिक आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों को चित्रों में सहेजना एवं सूचना और प्रसारण मंत्रालय की विभिन्न इकाइयों तथा अन्य केंद्र एवं राज्य सरकार की एजेंसियों मंत्रालयों और राष्ट्रपति सचिवालय, उपराष्ट्रपति सचिवालय प्रधानमंत्री कार्यालय, लोक सभा और राज्य सभा सचिवालय, और विदेश मंत्रालय के बाह्य प्रकार के माध्यम से भारतीय दूरसंचारों जैसे विभागों को चित्र उपलब्ध कराना है।
विदेश मंत्रालय के बाह्य प्रचार विभाग द्वारा भारत सरकार के विदेशों में प्रयोग हेतु इसका अधिकतम उपयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत विदेशी राष्ट्र पक्षों/राष्ट्र प्रमुख के द्वारा भारत यात्रा के दौरान उनके चित्रों का प्रलेखन और यात्रा, समझौते के समय उन्हें इन प्रलेखों का तौर अलबम का भेंट किया जाना सम्मिलित है। पीआईबी द्वारा अब स्थानीय प्रमुख नेताओं की प्रमुख दैनिक गतिविधियों की कवरेज और फोटो प्रभाग द्वारा लिए गए दृश्य सामग्री का इंटरनेट द्वारा प्रतिदिन प्रेस के लिए उपलब्ध कराया जाता है। डीएवीपी अपनी विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियों में देश के विभिन्न क्षेत्रों में वितरण के लिए प्रकाशित की जाने वाली विज्ञापन सामग्री हेतु प्रभाग के उस अभिलेख पर पूर्णत: निर्भर है जिसे पिछले पांच दशकों में विकसित किया गया है।
अपनी मूल्य योजना के अंतर्गत प्रभाग गैर प्रचार संगठनों को भुगतान आधार पर रंगीन एवं श्वेत-श्याम दोनों प्रकार के चित्र उपलब्घ कराता है।
प्रभाग के विभिन्न प्रकार के श्वेत - श्याम तथा रंगीन चित्रों को तैयार करने के लिए परंपरागत एवं आधुनिकीकरण डिजीटल प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए अपनी प्रयोगशाला एवं उपकरणों का व्यापक आधुनिकीकरण किया है। फोटो प्रभाग के सूचना भवन के नई दिल्ली स्थित कार्यालय में चित्रों के प्रेषण हेतु न्यूज फोटो नेटवर्क की स्थापना की गई है और सरकार की विभिन्न गतिविधियों की कवरेज के लिए इस नेटवर्क से कहीं से भी संपर्क किया जा सकता है।
समय समय पर परंपरागत तरीके से विभिन्न द्वारा खीचे गए चित्रों के डिजिटल रूप से भंडारण के लिए विभाग द्वारा सूचना भवन, नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में एक डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। परंपरागत रूप में (कैमरे से) खीचे गए चित्रों को डिजिटल फोटो लाइब्रेरी में रखने का कार्य भी प्रगति पर है। डिजिटल रूप से खीचे गए चित्र अभी सामान्य रूप से उपलब्ध हैं। हालांकि इन्हें शीघ्र ही ऑनलाइन (अथवा इंटरनेट पर) कर दिया जाएगा।
दसवीं योजना के दौरान प्रभाग ने एक उच्च शक्ति क्षमता वाला सर्वर, जिसका अभी परीक्षण किया जाना है, भी प्राप्त किया है। इसमें लगभग एक लाख चित्र डाले जा चुके हैं और इसे प्रभाग की उस वेबसाइट से जोड़ दिया जाएगा जिसकी शुरूआत शीघ्र होने वाली है।
अभी तक दिसंबर, 2006 तक प्रभाग ने छह लाख चौतीस हजार चार सौ बाइस (636422) (संचयी आंकड़े) को बदलने में सफलता प्राप्त की है और अपने नए अंकीकरण, वर्गीकरण और अभिलेख कार्य के एक भाग रूप में इन्हें क्यूमुलस प्रणाली में डाल दिया गया है।
अन्य मीडिया इकाइयों से तालमेल बनाए रखने के लिए विभाग ने कई उपाय किए हैं। नेटवर्क के माध्यम से समाचार पत्रों को अपने चित्र बिना किसी विलम्ब के भेजने के लिए प्रभाग अब अपने चित्रों की पीआईबी डेस्क भेजने के लिए पूर्ण रूप से सुसज्जित है। यह विशेष रूप से प्रधानमंत्री की दिल्ली से बाहर यात्रा के दौरान उनके चित्रों को वायरलेस इंटरनेट प्रणाली से भेजने के लिए V डाटा प्रणाली का प्रयोग कर रहा है। उत्कृष्ट कोटि के चित्र तैयार करने के लिए चाहे वह कैलेंडर प्रकाशन हेतु हो अथवा किसी विषय विशेष पर आधारित प्रदर्शनी हेतु प्रचार सामग्री, इनके आधुनिकतम प्रयोग के लिए फोटो प्रभाग के निदेशक द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। अपनी विशेषज्ञता की जानकारी देने के लिए प्रभाग ने विभिन्न मीडिया इकाइयों तथा राज्य सरकारों के साथ मिलकर कार्यशालाओं का आयोजन भी किया है।