Monday, December 28, 2009

भारतीय थिएटर


भारतीय थिएटर के प्रादुर्भाव का इतिहास पौराणिक कथा काल में हुआ जब भ्रष्‍टाचार और शक्ति के चंगुल से मानवता को मुक्‍त करने की आवश्‍यकता से ब्रहमा ने नाट्य शास्‍त्र या नाटक कला का सृजन किया और इसके अर्थभेद से विवेकपूर्ण भारत को आलोकित किया, जिसने बाद में कला रूप को अपने शिष्‍यों को सिखाया जिसे उसने पूरी दुनिया में फैलाया। इस प्रकार से अभिनय कला का एक सबसे पुरान रूप अस्तित्‍व में आया, जो असंख्‍य चरणों के जरिए दर्शकों के मन को आहलादित करने के लिए प्रबल रहा, जिन्‍होंने किसी नाटकीय अभिनय देखा है।
भारतीय थिएटर भारत की संस्‍कृतियों और परम्‍पराओं के बारे में बहुत कुछ बयान करता है, इसके त्‍यौहारों के रंग, और जन समूह का कोलाहल। भारत में थिएटर अभिनय व्‍याख्‍यात्‍मक शैली में शुरू हुआ जिसमें बहुत अधिक वर्णन गाने और नृत्‍य शामिल थे। इन सभी कला रूपों के संकलन के कारण ही थिएटर अभिनय और सृजनात्‍मक कला के सभी अन्‍य रूपों में अव्‍वल रहा। भारतीय थिएटर चूंकि ब्रहमा ने अपने आप दुनिया में सम्‍पन्‍न किया है, यह आरंभिक दिनों के दौरान देवताओं को समर्पित और सम्‍मानित करने की सतत यात्रा रहा है। बाद में नाटकीय के जटिल रूपों का विकास हुआ जो समकालीन थिएटर कहलाता है।
भारतीय थिएटर को मोटे तौर पर तीन विकास अवस्‍थाओं में विभाजित किया जा सकता है - प्राचीन काल, परम्‍परागत काल और आधुनिक काल ये अवस्‍था ने घटनाएं और घटनाक्रम निर्धारित किए हैं, जिन्‍होंने भारतीय थिएटर को संवारा है, जो आज प्रचलित है।
प्राचीन काल
इस काल में नाटक का संकेन्‍द्रण नाटक लिखने के कार्य के इर्द-गिर्द और रंगमंच अभिनय या नाटक प्रस्‍तुत करने की कला के इर्द-गिर्द था। इसी अवधि के दौरान भारतीय थिएटर में कालिदास, पतंजलि, भास और शूद्रक जैसे नाटककारों द्वारा श्रेष्‍ठ कृतियों का सृजन हुआ, जिन्‍होंने संस्‍कृत नाटक को गौरवान्वित करने में बहुत अधिक योगदान दिया। नाटककार अपनी योजना तैयार किए, अधिकाशंत: उन कहानियों पर आधारित थे, जिन्‍हें उन्‍होंने महाकाव्‍य लोक गीत, इतिहास, पौराणिक गाथा आदि से लिया था। इससे दर्शकों के लिए नाटक को समझना आसान हो गया जिन्‍होंने उन क‍हानियों का सृजनात्‍मक प्रस्‍तुतीकरण देखने के लिए भाग लिया जिनसे वे पहले से ही परिचित थे। अभिनेताओं को कला रूप में बड़े कौशल होने की आवश्‍यकता थी ताकि ऐसे नाटकों से दर्शकों को आह्लादित कर सकें।
आधुनिक अवधि
आधुनिक अवधि में ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय नाट्य कला के साथ पश्चिमी नाट्य कला के साथ मेल-जोल दिखाई पड़ा और एक ऐसी नाट्य कला का विकास आरंभ हुआ जिसका आधार जीवन के वास्‍तविक या प्राकृतिक तत्‍व थे। आधुनिक नाट्य कला ने व्‍यावहारिक मुद्दों पर अधिक ध्‍यान देकर जीवन के अधिक प्राकृतिक तत्‍वों का चित्रण आरंभ किया।
भारत में नाट्य कला तीन अवधियों में विभिन्‍न चित्रण और विकास हुआ और क्रमश: वर्तमान समय के समकालीन नाटक का मार्ग प्रशस्‍त हुआ। विभिन्‍न राष्‍ट्रीय संस्‍थाओं और अकादमियों ने आगे आकर भारत में नाटक को प्रोत्‍साहन दिया, जो अब विश्‍व विख्‍यात कलाकारों को आगे लाई, जिन्‍हें अंतरराष्‍ट्रीय परिदृश्‍य में अनेक पुरस्‍कार और सम्‍मान मिले हैं।

दूरदर्शन और प्रिंट मीडिया

टेलीविजन - दूरदर्शन
सार्वजनिक सेवा प्रसारण दूरदरर्शन विश्‍व के सबसे बड़े टेलीविजन नेटवर्क में से एक है। दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्‍मक आधार पर आधे घण्‍टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया।
आकाशवाणी के भाग के रूप में टेलीविजन सेवा की नियमित शुरूआत दिल्‍ली (1965); मुम्‍बई (1972); कोलकाता (1975), चेन्‍नई (1975) में हुई। दूरदर्शन की स्‍थापना 15 सितम्‍बर 1976 को हुई। उसके बाद रंगीन प्रसारण की शुरूआत नई दिल्‍ली में 1982 के एशियाई खेलों के दौरान हुई, जिसके साथ देश में प्रसारण क्षेत्र में बड़ी क्रांति आ गई। उसके बाद दूरदर्शन का तेजी से विकास हुआ और 1984 में देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया।
उसके बाद महत्‍वपूर्ण मोड़ इस प्रकार आए:
दूसरे चैनल की शुरूआत
दिल्‍ली (9 अगस्‍त 1984), मुम्‍बई (1 मई 1985), चेन्‍नई (19 नवम्‍बर 1987), कोलकात्ता (1 जुलाई 1988)
मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग (26 जनवरी 1993)
अंतरराष्‍ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत (14 मार्च 1995)
प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम) (23 नवम्‍बर 1997)
खेल चैनल डीडी स्‍पोर्ट्स की शुरूआत (18 मार्च 1999)
संवर्धन/सांस्‍कृतिक चैनल की शुरूआत (26 जनवरी 2002)
24 घण्‍टे के समाचार चैनल डीडी न्‍यूज की शुरूआत (3 नवम्‍बर 2002)
निशुल्‍क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्‍ट + की शुरूआत (16 दिसम्‍बर 2004
दूरदर्शन ने देश में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन, राष्‍ट्रीय एकता को बढ़ाने और वैज्ञानिक सोच को गति प्रदान करने में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। सार्वजनिक सेवा प्रसारक होने के नाते इसका उद्देश्‍य अपने कार्यक्रमों के माध्‍यम से जनसंख्‍या नियंत्रण और परिवार कल्‍याण, पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन, महिलाओं, बच्‍चों और विशेषाधिकार रहित वर्ग के समाज कल्‍याण उपायों को रेखांकित करना है। इसका उद्देश्‍य क्रीड़ा और खेलों तथा देश की कलात्‍मक और सांस्‍कृतिक विरासत को बढ़ावा देना भी है।
दूरदर्शन आज
दूरदर्शन के राष्‍ट्रीय नेटवर्क में 64 दूरदर्शन केन्‍द्र / निर्माण केन्‍द्र, 24 क्षेत्रीय समाचार एकक, 126 दूरदर्शन रखरखाव केन्द्र, 202 उच्‍च शक्ति ट्रांसमीटर, 828 लो पावर ट्रांसमीटर, 351 अल्‍पशक्ति ट्रांसमीटर, 18 ट्रांसपोंडर, 30 चैनल तथा डीटीएच सेवा आती है। विभिन्‍न सवर्गों में 21708 अधिकारियों तथा कर्मचारियों के पद स्‍वीकृत हैं।
दूरदर्शन ट्रांसमीटर
चैनल
एचपीटी
एलपीटी
वीएलपीटी
ट्रांसपोजर
योग
नेशनल (डीडी1)
128
747
346
18
1239
डीडी न्‍यूज
70
81
5
-
156
अन्‍य
4
-
-
-
4
योग
202
828
351
18
1399
दूरदर्शन चैनल
राष्‍ट्रीय चैनल (5): डीडी 1, डीडी न्‍यूज़, डीडी भारती, डीडी स्‍पोर्ट्स और डीडी उर्दू
क्षेत्रीय भाषाओं के उपग्रह चैनल (11): डीडी उत्तर पूर्व, डीडी बंगाली, डीडी गुजराती, डीडी कन्‍नड़, डीडी कश्‍मीर, डीडी मलयालम, डीडी सहयाद्रि, डीडी उडिया, डीडी पंजाबी, डीडी पोधीगई और डीडी सप्‍‍तगिरी
क्षेत्रीय राज्‍य नेटवर्क (11): बिहार, झारखण्‍ड, छत्तीसगढ़, मध्‍य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखण्‍ड, हिमाचल प्रदेश, राजस्‍थान, मिजोरम और त्रिपुरा
अंतरराष्‍ट्रीय चैनल (1): डीडी इंडिया
दूरदर्शन का त्रिस्‍तरीय कार्यक्रम सेवा - राष्‍ट्रीय, क्षेत्रीय और स्‍थानीय है।
राष्‍ट्रीय सेवा में कार्यक्रम पूरे देश की रुचि के मुद्दों और घटनाओं पर केंद्रित होते हैं।
क्षेत्रीय सेवा में कार्यक्रम उस राज्‍य के लोगों के हित की घटनाओं और मुद्दों पर केंद्रित होते हैं।
स्‍थानीय सेवा में उस विशेष ट्रांसमीटर की पहुंच में आने वाले लोगों की आवश्‍यकताएं स्‍थानीय भाषाओं और बोलियों में विशेष कार्यक्रम से पूरी की जाती हैं।
इसके अतिरिक्‍त राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय सेवाओं के कार्यक्रम पूरे देश में दर्शकों के लिए उपग्रह पद्धति से उपलब्‍ध हैं।
कार्यक्रम के स्रोत: दूरदर्शन के विभिन्‍न चैनलों के लिए कार्यक्रम इस प्रकार उपलब्‍ध हैं:
आंतरिक निर्माण: दूरदर्शन के कर्मचारियों द्वारा दूरदर्शन के साधनों से तैयार कार्यक्रम, जिसमें दूरदर्शन द्वारा घटनाओं का सीधा प्रसारण होता है।
तैयार कराए गए कार्यक्रम: योग्‍य लोगों द्वारा दूरदर्शन के कोष से तैयार कार्यक्रम
प्रायोजित कार्यक्रमनिजी रूप से तैयार कार्यक्रम का दूरदर्शन द्वारा निशुल्‍क वाणिज्यिक समय के बदले शुल्‍क भुगतान पर प्रसारण।
रॉयल्‍टी कार्यक्रम: दूरदर्शन द्वारा बाहरी निर्माताओं से कार्यक्रम रॉयल्‍टी देकर एक या अनेक बार प्रसारित करना
अधिग्रहीत कार्यक्रम: अधिकार शुल्‍क देकर विदेशी कंपनियों से कार्यक्रम/घटना अधिग्रहीत करना
शैक्षिक/विकास कार्यक्रम: सरकार की विभिन्‍न एजेंसियों द्वारा निर्मित शैक्षिक/विकास कार्यक्रम
स्‍ववित्त कार्यक्रमइन कार्यक्रमों की शुरूआती निर्माण लागत निजी निर्माता का होता है। प्रसारण के बाद दूरदर्शन उत्‍पादन लागत का भुगतान करता है। कार्यक्रम दूरदर्शन द्वारा बेचा जाता है। इस योजना में प्रावधान है कि उच्‍च टीआरपी मिलने पर स्‍वीकृ‍त उत्‍पादन लागत पर बोनस दिया जाए और कार्यक्रम के खराब प्रदर्शन पर उत्‍पादन लागत में कटौती।
दूरदर्शन का क्षेत्रीय कवरेज: दूरदर्शन के दो क्षेत्रीय चैनलों का कवरेज इस प्रकार है:
दूरदर्शन का क्षेत्रीय कवरेज
चैनल
क्षेत्र
जनसंख्‍या
डीडी1
79.4
9.4
डीडी न्‍यूज
24.4
48.5
डीडी डायरेक्‍ट + : दूरदर्शन की फ्री टु एयर डीटीएच सेवा डीडी डायरेक्‍ट + का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 16 दिसंबर, 2004 को किया गया। 33 टीवी चैनलों (दूरदर्शन / निजी) और 12 रेडियो (आकाशवाणी) चैनलों से शुरूआत हुई, इसकी सेवा क्षमता बढ़कर 36 टीवी चैनल और 20 रेडियो चैनल हो गई। अंडमान और निकोबार को छोड़कर इसके सिगनल पूरे भारत में एक रिसीवर प्रणाली से मिलते हैं। इस सेवा के ग्राहकों की संख्‍या 50 लाख से अधिक है।
डीडी- राष्‍ट्रीय चैनल
डीडी-I चैनल (राष्‍ट्रीय)
दूरदर्शन का डीडी-1 चैनल सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन, राष्‍ट्रीय, एकता, वैज्ञानिक रुचि, ज्ञान का प्रसारण, शैक्षिक कार्यक्रम, सार्वजनिक जागरूकता, जनसंख्‍या नियंत्रण के उपाय, परिवार कल्‍याण संदेश, पर्यावरण सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन, महिला कल्‍याण उपाय, बच्‍चे और कमजोर लोगों आदि के बारे में अपने कार्यक्रमों से महत्‍वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह खेल और देश की कला और सांस्‍कृतिक विरासत को भी बढ़ावा देता है।
सार्वजनिक सेवा प्रसार के अलावा मनोरंजन कार्यक्रमों, सामाजिक रूप से प्रासंगिक विभिन्‍न विषयों पर धारावाहिकों का प्रसारण करता है। ये प्रायोजित/कमीशंड/स्‍ववित्त कमीशंड कार्यक्रम, फिल्‍म आदि के रूप में होते हैं।
राष्‍ट्रीय चैनल की सेवा स्‍थलीय माध्‍यम के अलावा सेटेलाइट में सुबह 5.30 बजे 00.00 (आधी रात) और सेटेलाइट मोड में अगली सुबह 5.30 बजे से तक उपलब्‍ध है।
क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवा: ग्‍यारह क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवाएं इस प्रकार हैं:
डीडी मलयालम
डीडी सप्‍‍तगिरी (तेलुगु)
डीडी बंगाली
डीडी चंदन (कन्‍नड़)
डीडी उडिया
डीडी सहयाद्रि (मराठी)
डीडी गुजराती
डीडी कश्‍मीर (कश्‍मीरी)
डीडी पंजाबी,
डीडी उत्तर पूर्व
डीडी पोधीगई (तमिल
क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवाएं और क्षेत्रीय राज्‍य नेटवर्क विकासात्‍मक समाचार, धारावाहिक, वृत्त चित्र, समाचार और ताजा मामलों के कार्यक्रमों का प्रसारण लोगों की भाषा में संसूचित करने के लिए करते हैं। सामान्‍य सूचना, सामाजिक और फिल्‍म कार्यक्रम और अन्‍य बड़ी विधाओं के कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं।
क्षेत्रीय राज्‍य नेटवर्क: क्षेत्रीय राज्‍य नेटवर्क हिंदी क्षेत्र उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्‍ड, छत्तीसगढ़, मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के लोगों की जरूरतें पूरी करता है। इस सेवा के कार्यक्रम विभिन्‍न राज्‍यों के राजधानी केंद्रों से तैयार और 3.00 और 8.00 बजे के बीच प्रसारित किए जाते हैं। इनका राज्‍य के किसी भू ट्रांसमीटर रिले करते हैं।
डीडी न्‍यूज: डीडी न्‍यूज चैनल देश का एकमात्र 24 घंटे का स्‍थलीय समाचार चैनल है, जिससे रोजाना हिंदी और अंग्रेजी में 16 घण्‍टे से अधिक के समाचार बुलेटिनों का सीधा प्रसारण किया जाता है। हेडलाइंस, न्‍यूज अपडेट, स्‍क्रोलर पर ब्रेकिंग न्‍यूज इस चैनल की विशेषताएं हैं। रोजाना संस्‍कृत और उर्दू में समाचार बु‍लेटिन भी प्रसारित किए जाते हैं। इसके अलावा विभिन्‍न दूरदर्शन केंद्रों से जुड़ी क्षेत्रीय समाचार यूनिटें रोजाना क्षेत्रीय भाषाओं में विभिन्‍न अवधि के समाचार बुलेटिन प्रसारित करती हैं। डीडी न्‍यूज हेडलाइंस अब एसएमएस से हासिल किए जा सकते हैं।
डीडी न्‍यूज पूरे दिन स्‍टाक और वस्‍तुओं के सूचकांक ऑटोमैटेड मोड से प्रसारित करता है जिसमें, एनएसई और बीएसई और एनसीडीईएक्‍स, एमसीएक्‍स आदि अग्रणी वस्‍तु बाजार की सूचनाएं होती हैं।
डीडी स्‍पोर्ट्स: यह देश का एकमात्र फ्री टु एयर स्‍पोर्ट्स चैनल है। यह क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी, टेनिस, कबड्डी, तीरंदाजी, एथलेटिक्‍स और अन्‍य देशी खेलों आदि का कवरेज करता है।
डीडी स्‍पोर्ट्स पर गैर ओलंपिक और परंपरागत खेलों के कवरेज के लिए एक नकद बाह्य प्रवाह प्रणाली की व्‍यवस्‍था भी की गई है। यह चैनल विभिन्‍न खेल फेडरेशनों और एसोसिएशनों द्वारा आयोजित खेल कार्यक्रमों को कवर करता है।
डीडी भारती: यह चैनल 26 जनवरी, 2002 को शुरू किया गया था। जोखिम, क्विज कांटेस्‍ट, ललित कला/पेंटिंग्‍स, शिल्‍प और डिजाइन, कार्टून, प्रतिभा खोज आदि के अलावा यह युवा लोगों के साथ एक घंटे के कार्यक्रम 'मेरी बात' का सीधा प्रसारण करता है।
स्‍वस्‍थ जीवन शैली पर जोर देने वाले, इलाज की बजाय निवारण पर केंद्रित चिकित्‍सा के आधुनिक और परंपरागत रूपों पर कार्यक्रमों का भी प्रसारण होता है। राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति के शीर्ष कलाकारों के शास्‍त्रीय ऩृत्‍य/संगीत कार्यक्रम इस चैनल पर दिखाए जाते हैं। इसके अलावा थिएटर, साहित्‍य, संगीत, पेंटिंग्‍स, मूर्तिकला और वास्‍तु शिल्‍प पर कार्यक्रम भी दिखाए जाते हैं।
चैनल आईजीएनसीए, सीईसी, इग्‍नू, पीएसबीटी, एनसीईआरटी और साहित्‍य अकादमी जैसे संगठनों के सहयोग से भी कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। चैनल आकाशवाणी संगीत सम्‍मेलनों का व्‍यापक कवरेज करता है। क्षेत्रीय दूरदर्शन केंद्रों के कार्यक्रमों का सीधा रिकार्डेड प्रसारण होता है।
डीडी इंडिया: इस चैनल पर कार्यक्रम इस तरह किए जाते हैं कि विश्‍व खासकर भारतीय लोगों को भारतीय सामाजिक, सांस्‍कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्‍य देखने का प्राथमिक उद्देश्‍य पूरा हो सके। चैनल हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्‍कृत, गुजराती, मलयालम और तेलुगु में समाचार, सामयिक विषयों पर फीचर, अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व के मुद्दों पर चर्चाएं प्रसारित करता है। यह मनोरंजक कार्यक्रम, धारावाहिक, थिएटर, संगीत और नृत्‍य के अलावा फिल्‍मों का प्रसारण भी करता है।
पंजाबी, उर्दू, तेलुगु, बंगाली, मराठी, कन्‍नड़, मलयालम और गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यक्रम इस चैनल के आवश्‍यक संघटक हैं। स्‍वाधीनता दिवस, गणतंत्र दिवस समारोह, बजट प्रस्‍तुतीकरण और राष्‍ट्रीय अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व की अन्‍य घटनाओं का इस चैनल पर सीधा प्रसारण किया जाता है।
प्रेस और प्रिंट मीडिया
भारत के समाचार - पत्र पंजीयक
1953 में प्रथम प्रेस आयोग की सिफारिश पर तथा प्रेस और प्रस्‍तुक पंजीकरण अधिनियम, 1867 में संशोधन से पहली जुलाई, 1956 को भारत के समाचार-पत्र पंजीयक का कार्यालय अस्तित्‍व में आया। समाचार-पत्र पंजीयक को प्रेस पंजीयक भी कहा जाता है। यह हर वर्ष 31 दिसम्‍बर से पहले समाचार-पत्रों की स्थिति के बारे में सरकार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट सौंपता है। जिस अवधि के लिए वार्षिक वितरण दिए जाते थे, उसे 2002 में कैलेंडर वर्ष बदलकर वित्तीय वर्ष कर दिया गया था। पहले वार्षिक रिपोर्ट वित्तीय वर्ष के अनुसार बनाई जाती थी। [पंजीयक द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2007 तक पंजीकृत समाचार पत्रों / पत्रिकाओं की कुल संख्‍या 65,032 थी। इनमें 7,131 दैनिक थे, 374 त्रि/द्विसाप्‍ताहिक, 22,116 साप्‍ताहिक, 8,547 पाक्षिक, 19,456 मासिक, 4,470 त्रैमासिक, 605 वार्षिक तथा 2,333 अन्‍य कालावधियों के थे। (ये आंकडे वर्ष 2006-07 के लिए केवल पंजीकृत समाचारपत्रों के लिए अद्यतन किए गए हैं)]।
प्रेस पंजीयक की 2005-06 की रिपोर्ट के अनुसार 123 भाषाओं और बोलियों में समाचारपत्रों का पंजीयन किया गया। संविधान की आठवीं अनुसूची में अभिलिखित अंग्रेजी के अलावा 22 अन्‍य प्रमुख भाषाओं और 100 अन्‍य भाषाओं और बोलियों, अधिकतम भारतीय, कुछेक विदेशी में समाचारपत्रों का पंजीयन हुआ। उड़ीसा में 23 प्रमुख भाषाओं में से 18 में समाचारपत्र प्रकाशित होते हैं। महाराष्‍ट्र में 17 भाषाओं और दिल्‍ली में 16 प्रमुख भाषाओं में समाचारपत्रों का प्रकाशन होता है।
रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2006 तक पंजीकृत 62,483 में से 8,512 ने वर्ष 2005-06 में वार्षिक रिपोर्ट दी। 8,512 समाचारपत्रों की प्रसार संख्‍या 18,07,38,611 थी। सबसे अधिक समाचारपत्र और पत्रिकाएं हिंदी में पंजीकृत हुईं, इनकी संख्‍या (24,927) थी। अंग्रेजी में पंजीकृत समाचारद्ध और पत्रिकाएं दूसरे स्‍थान पर रहीं, जिनकी संख्‍या (9,064) थी। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक (9,885) समाचार पत्रों का पंजीकरण हुआ। पंजीकरण पत्रों की सर्वाधिक संख्‍या के लिहाज़ से दिल्‍ली दूसरे (8,545) स्‍थान पर रही।
पत्र सूचना कार्यालय
पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) सरकार की नीतियों, कार्यक्रम पहल और उपलब्धियों के बारे में समाचार-पत्रों तथा इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया को सूचना देने वाली प्रमुख एजेंसी है। यह प्रेस विज्ञप्तियों, प्रेस नोट, विशेष लेखों, संदर्भ सामग्री, प्रेस ब्रीफिंग, फोटोग्राफ, संवाददाता सम्‍मेलन, साक्षात्‍कार, प्रेस दौरे और कार्यालय की वेबसाइट के माध्‍यम से सूचना का सर्वत्र पहुंचाता है।
कार्यालय अपने मुख्‍यालय में विभागीय प्रचार अधिकारियों के माध्‍यम से कार्य करता है जो प्रेस विज्ञप्तियों और प्रेस सम्‍मेलनों आदि के जरिए मीडिया को सूचना के प्रसार में सहायता देने के प्रयोजन हेतु विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों के साथ संलग्‍न हैं। ये अधिकारी प्रचार गतिविधियों से संबंधित सभी मामलों पर सलाह भी देते हैं। ये संबंधित मंत्रालयों और विभागों को फीड बैक प्रदान करते हैं। विशेष सेवाओं के एक भाग के रूप में पत्र सूचना कार्यालय के फीडबैक प्रकोष्‍ठ द्वारा एक डेली डायजेस्‍ट तथा विभिन्‍न राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय दैनिक समाचारपत्रों और पत्रिकाओं से समाचार कथाओं और संपादकीय के आधार पर विशेष डायजेस्‍ट तैयार किए जाते हैं।
इस कार्यालय की फीचर इकाई द्वारा पृष्‍ठभूमि जानकारी, अद्यतन जानकारी, सूचना के छोटे बिन्‍दु, विशेष लेख और ग्राफिक प्रदान किए जाते हैं, जिन्‍हें राष्‍ट्रीय नेटवर्क, इंटरनेट और साथ ही स्‍थानीय प्रेस में परिचालन हेतु अनुवाद के लिए क्षेत्रीय / शाखा कार्यालयों में परिचालित किया जाता है। यह इकाई सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों पर प्रकाश डालने के लिए विशेष लेख जारी करती है। यह इकाई फोटो लेख और पृष्‍ठभूमि जानकारियों सहित 200 से अधिक विशेष लेख औसतन हर वर्ष तैयार करती है। पत्र सूचना कार्यालय में पूरे वर्ष विभिन्‍न सरकारी कार्यक्रमों का फोटो कवरेज किया जाता है तथा ये तस्‍वीरें राष्‍ट्रीय समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में भेजी जाती है।
पत्र सूचना कार्यालय द्वारा मुख्‍यालय में विदेशी मीडिया सहित मीडिया प्रतिनिधियों को प्रत्‍यायन प्रदान किया जाता है। लगभग 1425 संवाददाताओं और 430 कैमरा मैन/फोटोग्राफरों का प्रत्‍यायन किया गया है। कुल 150 तकनीशियनों तथा लगभग 76 संपादकों और मीडिया आलोचकों को प्रत्‍यायन दिया गया है।
पत्र सूचना कार्यालय का फीड बैक प्रकोष्‍ठ समाचार मदों और संपादकीय टिप्‍पणियों के आधार पर समाचारों और विचारों का एक दैनिक डायजेस्‍ट तैयार होता है, जिसे प्रिंट मीडिया में दर्शाया जाता है। यह‍ डायजेस्‍ट प्रत्‍येक कार्य दिवस पर तैयार किया जाता है।
पत्र सूचना कार्यालय की वेबसाइट भारत के मध्‍यम और छोटे समाचार पत्रों के लिए सूचना का एक महत्‍वपूर्ण स्रोत है, जिसे अधिक आकर्षक बनाने एवं नई विशेषताएं जोड़ने के लिए समीक्षित किया जाता है। पत्र सूचना कार्यालय के व‍रिष्‍ठ अधिकारियों द्वारा सुझाए गए कुछ डिजाइन परिवर्तन शामिल किए गए थे। पत्र सूचना कार्यालय की 6 अलग अलग भाषाओं में 6 वेबसाइटें, जो हैं तमिल, मलयालम, कन्‍नड़, तेलुगु, बंगाली और मिज़ो भाषाएं।
इंट्रा पीआईबी, इंट्रानेट वेब पोर्टल को पत्र सूचना कार्यालय द्वारा नई विशेषताओं सहित सज्जित किया गया है जैसे पीआईबी क्लिपिंग सेवा, आंतरिक अनुप्रयोग के लिंक प्रदान करना जो हैं हार्डवेयर की शिकायतें, मासिक प्रगति प्रतिवेदन, वेतन पर्चियां, सूचनाएं, डाउनलोड फॉर्म।
सामाजिक मुद्दों पर संपादक सम्‍मेलन
पत्र सूचना कार्यालय ने 17-18 अक्‍तूबर, 2007 को श्रीनगर, जम्‍मू और कश्‍मीर में सामाजिक मुद्दों पर एक संपादक सम्‍मेलन का आयोजन किया। इस सम्‍मेलन का संयुक्‍त उद्घाटन श्री रघुवंश प्रसाद सिंह, केन्‍द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और श्री गुलाम नबी आजाद, माननीय मुख्‍य मंत्री, जम्‍मू और कश्‍मीर ने किया। मीडिया के प्रतिनिधियों को श्री एम ए ए फातमी, माननीय मंत्री, मानव संसाधन विकास, श्री आर वेलू, रेल राज्‍य मंत्री, श्री मंगत राम शर्मा और श्री मुहम्‍मद दिलवर निर जो जम्‍मू और कश्‍मीर सरकार के मंत्री हैं, ने संबोधित किया। इस सम्‍मेलन से पत्रकारों को केन्‍द्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत का उत्‍कृष्‍ट मंच मिला और वे जम्‍मू और कश्‍मीर पर विशेष फोकस सहित केन्‍द्र सरकार की विकास संबंधी पहलों पर जानकारी प्राप्‍त कर सके। इस दो दिवसीय सम्‍मेलन में 150 से अधिक पत्रकारों में भाग लिया। देश भर के 45 संपादकों ने क्षेत्रीय मीडिया का प्रतिनिधित्‍व किया और सम्‍मेलन में जम्‍मू और कश्‍मीर राज्‍य के लगभग 120 पत्रकारों ने भाग लिया। इस सम्‍मेलन को मीडिया द्वारा व्‍यापक कवरेज मिला और इसकी रिपोर्टिंग की गई। कुल मिलाकर पत्र सूचना कार्यालय ने इस आयोजन की लगभग 700 प्रेस क्लिपिंग प्राप्‍त की।
आर्थिक संपादन सम्‍मेलन
आर्थिक संपादन सम्‍मेलन का आयोजन 12-14 नवम्‍बर 2007 को नई दिल्‍ली में किया गया, जिसमें देश भर के सभी हिस्‍सों से आए 63 आर्थिक संपादकों सहित लगभग 350 पत्रकारों ने भाग लिया। इसमें भाग लेने वाले मंत्रालय हैं वित्त, कृषि, उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, इस्‍पात, रसायन और उर्वरक तथ श्रम। इससे संपादकों को सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों के बारे में अच्‍छी जानकारी मिली तथा उन्‍हें फीड बैक देने का अवसर भी मिला। इससे विभिन्‍न आर्थिक और मूल संरचनात्‍मक मुद्दों पर मीडिया की समझ बेहतर हुई। इस सम्‍मेलन ने संपादकों को देश के विभिन्‍न आर्थिक पक्षों पर जानकारी प्रदान की।
कुछ आंकड़े
(अप्रैल, 2007 से मार्च, 2008)
1.
मुख्‍यालय द्वारा कवर किए गए कार्यों की संख्‍या
1863
2.
पत्र सूचना कार्यालय द्वारा जारी तस्‍वीरों की संख्‍या
3969
3.
कुल प्रेस विज्ञाप्तियां
61166
4.
कुल विशेष लेख
3101
5.
कुल प्रेस सम्‍मेलन/प्रेस संक्षिप्‍तीकरण
5837
समाचार एजेंसिया
प्रेस ट्रस्‍ट ऑफ इंडिया
भारत की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी, प्रेस ट्रस्‍ट ऑफ इंडिया लि. पीटीआई भारतीय समाचारपत्रों की बिना मुनाफे के चलाई जाने वाली सहकारी संस्‍था है, जिसका दायित्‍व अपने ग्राहकों को कुशल एवं निष्‍पक्ष समाचार उपलब्‍ध कराना है। इसकी समाचार 27 अगस्‍त, 1947 को हुई और इसने 1 फरवरी, 1949 से अपनी सेवाएं आरंभ कर दीं।
पीटीआई अंग्रेजी और हिंदी में अपनी समाचार सेवाएं दे रही है। भाषा एजेंसी की हिंदी समाचार सेवा है। पीटीआई के ग्राहकों के 500 समाचार पत्र और बीसियों विदेशी समाचार संगठन शामिल हैं। भारत में सभी और विदेशों में लंदन से बीबीसी सहित कई प्रमुख टी.वी./रेडियो चैनल पीटीआई की सेवाएं ले रहे हैं।
पीटीआई सेवाएं प्रदान करने के माध्‍यम में उपग्रह ट्रांसमिशन शामिल हैं और पीटीआई की अपनी स्‍वयं की उपग्रह डिलीवरी प्रणाली है। इनसेट उपग्रह पर इस ट्रांसपोंडर के जरिए, पीटीआई की सेवाएं पूरे देश में इसके ग्राहकों तक सीधे पहुंचती हैं। अधिकाधिक उपभोक्‍ताओं द्वारा उपग्रह से साम्रगी प्राप्‍त करने का विकल्‍प अपनाया गया है। पीटीआई ने के. यू. बैंड पर उपग्रह ट्रांसमीशन भी प्रारंभ किया है जो उपभोक्‍ताओं को सस्‍ते और छोटे आकार के उपग्रह रिसीवरों पर समाचार उपलब्‍ध कर देता है।
पीटीआई से इंटरनेट पर भी संपर्क किया जा सकता है एजेंसी की समाचार सेवाएं इसकी वेबसाइट http.//www.ptinews.com. पर भी उपलब्‍ध है और इसके ग्राहक इंटरनेट के जरिए भी एजेंसी की सेवाएं प्राप्‍त कर सकते हैं।
फोटो सर्विस उपग्रह के जरिए उपलब्‍ध है और साथ ही डायल करके भी फोटो मंगवाए जा सकते हैं। एजेंसी अब अपने फोटोग्राफ्स का अभिलेखागार बना रही है। इन ऑनलाइन अभिलेखागार के चालू हो जाने के बाद एजेंसी की पुरानी फाइलों से वर्ष 1986 तक के वे फोटो भी मिल सकेंगे जब फोटो सेवा आरंभ हुई थी।
पीटीआई में करीब 1300 कर्मचारी हैं, जिनमें से 350 पत्रकार हैं। इस एजेंसी के देशभर में 80 कार्यालय हैं तथ पेइचिंग, बैंकॉक, कोलम्‍बों, ढाका, दुबई, इस्‍लामाबाद, काठमांडू, लंदन, मास्‍को, न्‍यूयॉर्क और वाशिगंटन सहित दुनिया के प्रमुख शहरों में इस एजेंसी के विदेश संवाददाता हैं। इनके अलावा देश में करीब 350 स्ट्रिंगर इसे खबरें भेजते हैं, जबकि 20 अंशकालिक संवाददाता विश्‍व भर से खबरें भेजते हैं। एजेंसी का देश भर में करीब 200 फोटो स्ट्रिंगर्स का नेटवर्क भी है।
समाचार और फोटो सेवाओं के अतिरिक्‍त, एजेंसी की अन्‍य सेवाओं में, फीचरों का मेलर पैकेज, विज्ञान सेवा, आर्थिक सेवा और डाटा इंडिया तथा स्‍क्रीन आधारित न्‍यूज-स्‍कैन और स्‍टॉक-स्‍कैन सेवाएं शामिल हैं। पीटीआई का एक टेलीविजन विंग, पीटीआई - टीवी भी है, जो मांग पर निगमों के लिए वृत्तचित्र बनाता है।
एजेंसी एक समझौते के तहत एसोसिएटिड प्रेस (ए.पी) और एजेंसी फ्रांस प्रेस (ए. एफ. पी.) के समाचार भारत में वितरित करती है। इसी प्रकार का समझौता एसोसिएटिड प्रेस के साथ उसकी फोटो सेवा और अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यावसायिक सूचना के वितरण के लिए भी है। पीटीआई सिंगापुर में पंजीकृत कंपनी एशिया पल्‍स इंटरनेशनल में भी साझीदार है। इस कंपनी का गठन एशियाई देशों में आर्थिक विकास और व्‍यापारिक अवसरों के बारे में ऑनलाइन डाटा बैंक उपलब्‍ध कराने के लिए पीटीआई तथा पांच अन्‍य एशियाई मीडिया संगठन ने किया है। पीटीआई एशियानेट में भी भागीदार है, जो एशिया प्रशांत क्षेत्र की 12 समाचार एजेंसियों के बीच निगम और सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों के वितरण के लिए एक सहकारी व्‍यवस्‍था है।
पीटीआई गुटनिरपेक्ष देशों के समाचार पूल और एशिया प्रशांत समाचार एजेंसी संगठन का प्रमुख भागीदार है। यह एजेंसी द्विपक्षीय समाचार विनियम व्‍यवस्‍था के तहत एशिया, अफ्रीका, यूरोप और लैटिन अमेरिकी देशों की कई समाचार एजेंसियों से समाचारों का आदान - प्रदान करती है।
यूनाइ‍टेड न्‍यूज़ ऑफ इंडिया
यूनाइटेड न्‍यूज़ ऑफ इंडिया की स्‍थापना 1956 के कंपनी कानून के तहत 19 दिसम्‍बर, 1959 को हुई। इसने 21 मार्च, 1961 से कुशलतापूर्वक कार्य करना शुरू कर दिया। पिछले चार दशकों में यूएनआई, भारत में एक प्रमुख समाचार ब्‍यूरो के रूप में विकसित हुई है। इसने समाचार इकट्ठा करने और समाचार देने जैसे प्रमुख क्षेत्र में अपेक्षित स्‍पर्धा भावना को बनाए रखा है।
यूनाइटेड न्‍यूज़ ऑफ इंडिया की नए पन की भावना तब स्‍पष्‍ट हुई, जब इसने 1982 में पूर्ण रूप से हिंदी तार सेवा 'यूनीवार्ता' का शुभारंभ किया और भारत की पहली हिंदी समाचार एजेंसी बन गई। इसी दशक में इसने फोटो सेवा तथा ग्राफिक्‍स सेवा का भी आरंभ किया। इसने 90 के आरंभ में सबसे पहली उर्दू सेवा की शुरूआत की।
इस समय इस समाचार एजेंसी के लगभग 719 ग्राहक हैं। भारत में इसके 71 कार्यालय हैं तथा 391 पत्रकारों सहित लगभग 975 कर्मचारी हैं। देश के प्रमुख शहरों में इसके अपने संवाददाता हैं। इनमें लगभग 305 स्ट्रिंगर्स हैं जो अन्‍य प्रमुख शहरों से रिपोर्ट भेजते हैं। पूरे देश में नेटवर्क होने के कारण यूएनआई देश के सभी क्षेत्रों में घटनाओं की जानकारी दे पाने में सक्षम है।
यूएनआई के संवाददाता वाशिंगटन, न्‍यू यॉर्क, लंदन, मॉस्‍को, दुबई, इस्‍लामाबाद, काठमांडू कोलंबो, ढाका, सिंगापुर, टोरंटो (कनाडा), सिडनी (ऑस्‍ट्रेलिया), बैंकॉक (थाइलैंड), और काबुल (अफगानिस्‍तान) में हैं।
यूएनआई विश्‍व की सबसे बड़ी सूचना कंपनी रॉयटर के माध्‍यम से विश्‍व के समाचार वितरित करती है। इसके अलावा इसने चीन की सिन्‍हुआ, रूस की आरआईए नोवस्‍ती, बंगलादेश की यूएनबी, तुर्की की अनादोलू, संयुक्‍त अरब अमीरात की डब्‍ल्‍यूएएम, बहरीन की जीएनए, कुवैत की केयूएनए, ओमान की ओएनए, कतर की क्‍यूएनए तथा ताइवान की सीएनए के साथ सूचना आदान प्रदान का तालमेल किया हुआ है।
यूएनआई की फोटो सेवा, यूरोपियन प्रेसफोटो एजेंसी ईपीए और रायटर से मिलने वाले 60 अंतरराष्‍ट्रीय चित्रों समेत लगभग 200 फोटो प्रतिदिन वितरित करती है। इसकी ग्राफिक्‍स सेवा 5 से 6 ग्राफिक्‍स प्रतिदिन उपलब्‍ध कराती है। इस समय यूनएआई के देशव्‍यापी नेटवर्क में 27 फोटोग्राफर और इतने ही फोटोस्ट्रिंगर हैं जो यूएनआई की लगभग 200 फोटो प्रतिदिन वाली दैनिक रिपोर्ट के लिए दिन रात काम करते हैं। अपने 46 वर्ष के जीवनकाल में यूएनआई ने समाचारों के द्रुतगति से स्‍टीक कवरेज के लिए प्रतिस्‍पर्द्धा करने में सक्षम प्रतिद्वन्‍द्वी की ख्‍याति प्राप्ति की है।
समाचार संग्रह और प्रसार की आवश्‍यकताओं के अनुरूप आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने में यूएनआई हमेशा अग्रणी रही है। अपने आधुनिकीकरण अभियान के तहत इसने पूरे देश में अपने कार्यालयों का कम्‍प्‍यूटरीकरण कर दिया है। यूएनआई के राष्‍ट्रव्‍यापी टेलीप्रिंटर नेटवर्क का विस्‍तार 50 बॉड से 300 बॉड डाटा सर्किट्स से 10,00,000 किलोमीटर से अधिक करने से इसके कार्यक्षेत्र में अप्रत्‍याशित वृद्धि हुई। इसमें एक बार फिर बड़ा बदलाव अस्‍थाई तौर पर तब आया जब, 1,200 बॉड स्‍पीड डॉटा सर्किट्स और 56 केबीपीएस की गति से समाचारों के राष्‍ट्रव्‍यापी वितरण के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का और उन्‍नत इस्‍तेमाल शुरू कर गया। वीसेट प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल से देशभर के सभी ग्राहकों का एक साथ बिना किसी देरी के समाचार उपलब्‍ध हो सकते हैं। इस प्रणाली के तहत चित्र भी उपलब्‍ध कराए जा सकेंगे।
यूएनआई, पहली समाचार एजेंसी है जो इंटरनेट पर हिन्‍दी तथा अंग्रेजी में समाचार, फोटो सहित उपलब्‍ध कराती है। इसके ग्राहक लेख तथा फोटो यूएनआई www.uniindia.com (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) तथा यूनीवार्ता वेबसाइट से क्रमश: www.univarta.com (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) से डाउनलोड कर सकते हैं।
गुटनिरपेक्ष समाचार नेटवर्क
गुटनिरपेक्ष समाचार नेटवर्क (एनएनएन) नया इंटरनेट आधारित समाचार और फोटो आदान - प्रदान की व्‍यवस्‍था गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्‍य देशों की समाचार एजेंसियों की व्‍यवस्‍था है। प्रेस ट्रस्‍ट ऑफ इंडिया सहित गुट निरपेक्ष समाचार एजेंसियों के समाचार और फोटो एनएनएन वेबसाइट पर http://www.namnewsnetwork.org (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) पर अपलोड किए जाते हैं, ताकि सभी ऑनलाइन उपलब्‍ध हो सकें। मलेशिया की समाचार एजेंसी बरनामा इस समय कुआलालंपुर से इस वेबसाइट का संचालन कर रही है।
अप्रैल, 2006 से कार्यरत एनएनएन की औपचारिक शुरूआत मलेशिया के सूचना मंत्री जैनुद्दीन मेदिन ने कुआलालंपुर में 27 जून 2006 को की थी। एनएनएन ने गुटनिरपेक्ष समाचार एजेंसियों के पूल (एनएएनपी) का स्‍थान लिया है, जिसने पिछले 30 वर्ष गुटनिरपेक्ष देशों के बीच समाचार आदान प्रदान व्‍यवस्‍था के रूप में काम किया है। सस्‍ता और विश्‍वसनीय संस्‍था माध्‍यम इंटरनेट से एनएनएन गुट निरपेक्ष विश्‍व के 116 सदस्‍यों को सतत सूचना प्रवाह जारी रखेगा।
एनएएनपी को एनएनएन से बदलने का फैसला कुआलालंपुर में नवंबर 2005 में गुट निरपेक्ष देशों के सूचना मंत्रियों के सम्‍मेलन में किया गया था। बैठक में महसूस किया गया कि सदस्‍य देशों का समर्थन घटने से पूल ने अपनी गति खो दी है और इसे नई व्‍यवस्‍था से पुनर्जीवित किया जाना चाहिए, अगर जरूरी हो तो नए रूप में, ताकि आगे बढ़ा जा सके।
एनएएनएपी की स्‍थापना 1976 में सदस्‍य देशें के बीच समाचारों के आदान-प्रदान के लिए की गई थी। अपने 30 वर्ष के कार्यकाल में इसने गुट निरपेक्ष विश्‍व में समाचारों का प्रवाह सुधारने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। जिस समय संचार लागत बहुत अधिक थी, एनएएनएपी ने सदस्‍य समाचार एजेंसियों को चैनल में भागीदारी का अवसर उपलब्‍ध कराया जिससे गुट निरपेक्ष आंदोलन के सभी देशों को समाचार आदान प्रदान का साझा नेटवर्क सुनिश्चित हो सके। समाचारों का आदान-प्रदान अंग्रेजी, फ्रेंच, स्‍पेनी और अरबी भाषा में होता था।
भारतीय प्रेस परिषद
भारतीय प्रेस परिषद की स्‍थापना समाचारपत्रों की स्‍वतंत्रता की रक्षा करने और भारत में सामचार-पत्रों और समाचार एजेंसियों के स्‍तर को बनाए रखने और उसमें सुधार लाने के उद्देश्‍य के संसद के अधिनियम के तहत की गई। यह शासन तंत्र तथा प्रेस जगत पर नियंत्रण रखने वाला समान अर्ध-न्‍यायिक नियंत्रक स्‍वायत्तशासी संगठन है। उपरोक्‍त उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए परिषद में एक अध्‍यक्ष और 28 सदस्‍य होते हैं। जबकि अध्‍यक्ष भारत के उच्‍चतम न्‍यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्‍यायाधीश होते हैं, इन 28 सदस्‍यों में से 20 समाचार जगत से, तथा पाठकों के हितों का ध्‍यान रखने के लिए आठ सदस्‍य संसद के दोनों सदनों के सदस्‍य, साहित्‍य अकादमी, भारत की बार कौंसिल और विश्‍वविद्यालय अनुदान जैसे देश के प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं विधायी (न्‍यायिक) संगठकों के प्रतिनिधित्‍व करते हैं। परिषद की आय के अपने स्रोत हैं। यह पंजीकृत समाचार एजेंसियों से शुल्‍क वसूल करती है। यह केद्र सरकार ने अपने कामकाज करने के लिए अनुदान भी प्राप्‍त करती है। भारतीय प्रेस परिषद को 7 जनवरी 2008 से नई कार्य अवधि के लिए गठित किया गया है। परिषद के वर्तमान अध्‍यक्ष न्‍यायमूर्ति जी. एन. रे हैं।
प्रेस परिषद प्रेस द्वारा पत्रकारिता की आचार संहिता के उल्‍लंघन करने या प्रेस की स्‍वतंत्रता में हस्‍तक्षेप करने की शिकायतों के संबंध में अपने दायित्‍वों का निर्वाह मुख्‍यत: न्‍याय-निर्णय के जरिए करती है। अगर जांच के बाद परिषद इस बात से संतुष्‍ट होती है कि किसी समाचार एजेंसी या किसी श्रमजीवी पत्रकार ने कोई व्‍यवसायिक कदाचार किया है तो परिषद उसे चेतावनी दे सकते हैं, उसकी भर्त्‍सना या निंदा कर सकती है या उसके आचरण को अस्‍वीकार या रद्द कर सकती है। प्रेस परिषद को सरकार सहित किसी अधिकारी के विरुद्ध भी प्रेस की स्‍वतंत्रता में हस्‍तक्षेप करने के लिए ऐसी टिप्‍पणी करने का अधिकार है, जैसा वह उचित समझे। प्रेस परिषद के निर्णय अंतिम होते हैं और उन्‍हें किसी न्‍यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
समीक्षाधीन वर्ष के दौरान परिषद में कुल 678 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से प्रेस सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रेस की स्‍वतंत्रता का उल्‍लंघन करने के बारे में तथा 558 शिकायतें प्रेस द्वारा पत्रकारिता के आदर्शों को उल्‍लंघन करने संबंधी थीं। पिछले वर्ष से लंबित 665 मामलों को मिलाकर परिषद के पास कुल 1343 मामले थे। इसमें से भारतीय प्रेस परिषद ने वर्ष के दौरान अध्‍यक्ष द्वारा मामलों की सुनवाई अथवा मध्‍यस्‍थता करके अथवा जांच करवाने या मुकदमा न चलाने के लिए पर्याप्‍त सबूतों के अभाव में (मामला वापस लेने) अथवा उस मामले का निपटान किसी अन्‍य न्‍यायालय में लंबित होने की स्थिति में 584 मामलों पर अपना निर्णय दिया था। वर्ष की समाप्ति तक कुल 756 मामलों की सुनवाई की जा रही थी।
अपनी परामशदात्री क्षमता के अंतर्गत परिषद ने सरकार तथा अन्‍य प्रशासकीय निकायों को निम्‍नलिखित विषयों पर सुझाव दिए:
समाचार पत्रों में किशोरों की रिपोर्ट या तस्‍वीरों का प्रकाशन;
प्रिंट तथा इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया में अश्‍लीलता;
समाचारपत्रों में शराब कंपनियों द्वारा उत्‍पादों का प्रचार;
शासन में लोकाचार' नामक द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) की चौथी रिपोर्ट में निहित सिफारिशों का कार्यान्‍वयन;
प्रिंट तथा इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया द्वारा बोलने और अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता के अधिकार के दुरुपयोग के विषय में याचिका और इसे संविधान की धारा 19 (2) के तहत प्रतिबंधित करना;
महिलाओं के सशक्‍तीकरण पर समिति - प्रिंट मीडिया में वर्ष 2007-08 के दौरान महिलाओं की स्थिति की जांच के लिए विषय का चयन;
"साम्‍प्रदायिक हिंसा (निवारण, नियंत्रण तथा पीडितों का पुनर्वास) विधेयक 2005" पर सुझाव प्राप्‍त करने के लिए गृह मंत्रालय का कार्यालय ज्ञापन;
उपभोक्‍ता वस्‍तुओं पर निजी सदस्‍य विधेयक 2007 को राज्‍य सभा में लाया गया (विज्ञापनों के साथ मूल्‍य का प्रकाशन)
आपराधिक न्‍याय पर प्रारूप राष्‍ट्रीय नीति।
समिति ने इसे नोट किया और दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के सम्‍मुख मिड-डे के विरुद्ध दोषारोपण कार्रवाई और इसके पत्रकारों के अभियोजन पर चर्चा की। परिषद में देखा की चाहे माननीय उच्‍च न्‍यायालय द्वारा विचार में लिए गए सभी तथ्‍यों को परिषद के सामने नहीं लाया गया था और मिड डे का विशिष्‍ट मुद्दा भारत के उच्‍चतम न्‍यायालय के सम्‍मुख भी लंबित था और इस प्रकार न्‍याय अधीन था, जिसमें मामले के गुणों पर विचार नहीं करते हुए यह महसूस किया गया कि न्‍यायालयों को यह विचार करने से पहले प्रेस के कार्यों और कर्तव्‍यों के प्रति और अधिक संवेदनशील होना चाहिए था और कोई भी धारणा बनाने से पहले न्‍यायालयों से यह अपेक्षित था कि क्‍या इस कड़ी आलोचना से न्‍यायालय का नेतृत्‍व करने वाले न्‍यायधीशों को अप्रतिष्ठित कर जनता की नजर में न्‍यायालयों की कार्यशैली को काटना था।
यह भी देखा गया है कि लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में सभी संस्‍थान इनकी कार्यशैली के अधिवासी क्रांतिक मूल्‍यांकन के प्रति खुले थे और जनहित में यह अधिवासी आलोचना केवल उनकी कार्यशैली की गुणवत्ता को सशक्‍त बनाएगी। प्रतिष्ठित न्‍यायाधीश और ज्‍यूरी ने संकेत किया था कि न्‍यायालय की प्रतिष्‍ठा और अधिक संयम और उदारतापूर्वक बनाई रखी जाएगी। परिषद ने याद किया कि इसने हाल ही में संसदीय समिति के सामने मीडिया के विरुद्ध अवमानना कार्रवाइयों की एक बचाव के रूप में सत्‍य को स्‍वीकार करने का प्रस्‍ताव रखा था और मीडिया सूचना का आधार बनाने वाले सत्‍य को अब न्‍यायालय अधिनियम की अवमानना के संशोधित प्रावधानों के तहत सुरक्षित किया गया था। अत: सत्‍य पर आधारित और जनहित में प्रकाशित मीडिया की सूचना अवमानना कार्रवाइयों में बचाव का कार्य करेंगी। जबकि यह अनुभव किया गया कि इस प्रकाशन के साथ प्रचार जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए, जो अत्‍यधिक था।
परिषद के सामने यह प्रश्‍न निरंतर उठाता रहा कि यह परिषद द्वारा बनाए गए मार्गदर्शी सिद्धांतों से विपथित होने के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया को संयमित करने के कदम क्‍यों नहीं उठा रही थी। परिषद ने इस मामले पर विस्‍तार से चर्चा की। यह अनुभव किया गया कि देश का प्रिंट मीडिया कुल मिलाकर इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के चैनलों की बड़ी संख्‍या से अधिक उत्तरदायी था। इस बात में कोई शंका नहीं थी कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को एक विनियामक की आवश्‍यकता है। भारतीय प्रेस परिषद अपने प्रधान के अधिदेश के तहत कार्य करती है, जिसने देश के प्रिंट मीडिया को नैतिक आचार को बढ़ावा देने में सफल मार्गदर्शन दिया है जबकि अभी अनेक आधारों को ढकना शेष था। परिषद ने पुन: कहा कि प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 की धारा 13 (2) के तहत एक लचीली संहिता बनाई गई जो प्रिंट मीडिया की तुलना में इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया पर अधिक लागू थी, और नैतिकता तथा लोकाचार के सिद्धांत प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के लिए अलग नहीं हो सकते। अत: यह कहा गया कि प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के विनियमन का कार्य एक सामान्‍य निकाय को सौंपने का प्रस्‍ताव भारतीय प्रेस परिषद के साथ भारतीय मीडिया निगरानी आयोग की चर्चा द्वारा करना सबसे प्रभावी प्रक्रिया थी और यह मीडिया को स्‍वीकार्य थी। परिषद ने निर्णय लिया कि इस प्रस्‍ताव को भारत सरकार के साथ बातचीत में लिया जाए।
परिषद ने प्रेस की स्‍वतंत्रता और इसके मानकों और नीतिगत सिद्धांतों को विश्‍वभर में प्रोत्‍साहन देने के लिए सक्रिय रूप से बढ़ावा देने हेतु दुनिया के विभिन्‍न भागों में समान प्रकार के निकायों और प्रेस/मीडिया परिषदों के साथ परामर्श और बातचीत की प्रक्रिया आरंभ की है।
परिषद महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर अध्‍ययनों और रिपोर्टों के साथ आगे आई जिनका गठबंधन प्रेस की स्‍वतंत्रता के संरक्षण और स्‍तर को बनाए रखने के साथ है।
कार्य कारी पत्रकारों और पत्रकारों को संविदा आधार पर नियुक्‍त करने पर अध्‍ययन रिपोर्ट (27.7.2007)
छोटे और मध्‍यम समाचार पत्रों की समस्‍याओं पर रिपोर्ट ( 4-5 अक्‍तूबर, 2007)
पूर्वोत्तर में प्रेस की स्‍वतंत्रता के उल्‍लंघन पर आकलन समिति की रिपोर्ट (4-5 अक्‍तूबर, 2007)
परिषद ने हिन्‍दी तथा अंग्रेजी में अपनी त्रैमासिक पत्रिका का सफलतापूर्वक प्रकाशन किया जिसमें प्रेस जगत की महत्‍वपूर्ण गतिविधियों की जानकारी दी गई है। परिषद की वेबसाइट पर परिषद द्वारा दिए गए निर्णयों एवं अन्‍य गतिविधियों की जानकारी में वृद्धि की गई है तथा समाचार पत्रों की सूची को जनसाधारण के सूचनार्थ वेबसाइट पर डाल दिया गया है। परिषद को अपनी हार्डवेयर क्षमता को बढ़ाने का लाभ भी मिला है।
पीआरबी अधिनियम 1867 की धरा 80 (ग) के अंतर्गत भारतीय प्रेस परिषद की संसद से एक अपीलीय निकाय एवं अपीलीय बोर्ड के रूप में कार्य करने की जिम्‍मेदारी दी गई। जिसमें परिषद के अध्‍यक्ष तथा सदस्‍य अपने सामने प्रस्‍तुत किए गए मामलों (अपीलों) की नियमित सुनवाई करते हैं।
गवेषणा, संदर्भ और प्रशिक्षण प्रभाग
सन 1945 में स्‍थापित गवेषणा, संदर्भ और प्रशिक्षण प्रभाग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और उसकी मीडिया इकाइयों तथा उनके क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए सूचना सेवा एजेंसी के रूप में कार्य करता है। यह मीडिया इकाइयों के लिए सूचना बैंक तथा फीडर सेवा उपलब्‍ध कराकर उन्‍हें अपने कार्यक्रम तैयार करने और प्रसार अभियानों में सहायता करता है। यह जनसंचार माध्‍यमों की प्रवृत्तियों का अध्‍ययन भी करता है और जनसंचार के बारे में संदर्भ साम्रगी जुटाने के साथ - साथ प्रलेखन सेवा उपलब्‍ध करता है। यह प्रभाग पृष्‍ठभूमि संदर्भ और अनुसंधान सामग्री तथा अन्‍य सुविधाओं उपलब्‍ध कराता है जिनका उपयोग मंत्रालय, इसकी मीडिया इकाइयों और जनसंचार से जुड़े अन्‍य लोगों द्वारा किया जाता है। यह प्रभाग भारतीय जनसंचार संस्‍थान के सहयोग से भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) के अधिकारियों के प्रशिक्षण की भी देख रेख करता है।
प्रमुख घटनाओं की पाक्षिक डायरी-डायरी ऑफ इवेंट्स निकालने की नियमित सेवा के अलावा यह प्रभाग दो वार्षिक संदर्भ ग्रंथों का संकलन और प्रकाशन करता है। इसमें से एक का शीर्षक भारत है, जो देश के बारे में प्रमाणिक संदर्भ-साम्रगी प्रस्‍तुत करता है और दूसरा है मास मीडिया इन इंडिया जो देश में जनसंचार के बारे में एक वृहद् प्रकाशन है। हिंदी में प्रकाशित भारत के साथ साथ अंग्रेजी में संदर्भ ग्रंथ इंडिया का प्रकाशन होता हैं।
संदर्भ पुस्‍तकालय: प्रभाग में एक समृद्ध पुस्‍तकालय है जिसमें विभिन्‍न विषयों पर प्रलेखों का विशाल संग्रह है। इसमें चुनी हुई पत्रिकाओं और मंत्रालयों, समितियों तथा आयोगों की विभिन्‍न रिपोर्टों के सजिल्‍द खंड हैं। इस संग्रह में विशिष्‍ट विषयों पर पुस्‍तकें जैसे - पत्रकारिता, जनसंपर्क, विज्ञान, श्रव्‍य-दृश्‍य माध्‍यम, सभी प्रमुख विश्‍व कोषों की श्रृंखला, वार्षिकी और सामयिक लेखों का संग्रह है। इस पुस्‍तकालय में भारतीय और विदेशी प्रेस के मान्‍यता प्राप्‍त पत्रकारों तथा सरकारी अधिकारियों दोनों के लिए ही सुविधाएं उपलब्ध हैं।
जनसंचार राष्‍ट्रीय प्रलेखन केंद्र: एनडीसीएनसी की स्‍थापना मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञों की समिति की सिफारिश के आधार पर 1976 में की गई थी। यह गवेषणा, संदर्भ और प्रशिक्षण प्रभाग का एक हिस्‍सा है जिसका उद्देश्‍य अपनी सावधिक सेवाओं के जरिए जनसंचार माध्‍यमों की घटनाओं और गतिविधियों के बारे में सूचनाओं का संकलन, व्‍याख्‍या और उनका प्रचार प्रसार करना है। जनसंचार राष्‍ट्रीय प्रलेखन केंद्र, जनसंचार माध्‍यमों के बारे में उपलब्‍ध सभी सूचनाओं, लेखों तथा अन्‍य सूचना सामग्रियों का प्रलेखन तैयार करता है। केंद्र की वर्तमान गति‍‍विधियों में सूचना के संकलन और प्रलेखन से लेकर न केवल पूरे देश में जनसंचार विकसित करने, बल्कि अंतरराष्‍ट्रीय सूचना प्रवाह में शामिल होने के लिए उसका प्रसार भी शामिल हैं।
संकलित सूचनाओं को विभिन्‍न सेवाओं के जरिए संरक्षित तथा प्रचारित - प्रसारित किया जाता है जैसे करंट अवेयरनेस सर्विस चुने हुए लेखों का अनुक्रमणिका, बि‍बलियोग्राफी सर्विस लेखों का विषयानुसार अनुक्रमणिका, बुलेटिन ऑन फिल्‍मस् फिल्‍म उद्योग की विभिन्‍न गति‍विधियों की जानकारी, रेफरेंस इनफॉरमेशन सर्विस, हूज हू इन मास मीडिया-प्रसिद्ध मीडिया विशेषज्ञों की जीवनियां, आनर्स कनफर्ड ऑन मास कम्‍यूनिकेटर्स जनसंचार विशेषज्ञों को दिए गए सम्‍मानों का विवरण तथा, मीडिया अपडेट राष्‍ट्रीय तथा अंतरराष्‍ट्रीय मीडिया घटनाओं की डायरी।
राष्‍ट्रीय जनसंचार प्रलेखन केन्‍द्र अंग्रेजी में मास मीडिया इन इंडिया की संकलन और संपादन भी करता है। इसका पहला प्रकाशन 1978 में किया गया था। इस वार्षिक संकलन में जनसंचार माध्‍यमों के विभिन्‍न पहलुओं पर प्रलेख, केंद्र सरकार, राज्‍यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में मीडिया संगठनों की स्थिति पर लेखों को शामिल किया जाता है। इसमें प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के बारे में सामान्‍य जानकारी भी होती है। यह वार्षिक मीडिया में कार्यरत लोगों, नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं तथा पत्रकारिता के छात्रों के लिए संदर्भ सार संग्रह उपलब्‍ध कराती है।
फोटो प्रभाग
भारत सरकार की विभिन्‍न गतिविधियों को दृश्‍य सहायता देने के लिए गठित की गई है एक स्‍वतंत्र मीडिया द्वारा फोटो प्रभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक अधीनस्‍थ कार्यालय है और फोटोग्राफी के क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी उत्‍पादक इकाई है।
प्रभाग पर भारत सरकार की ओर से बाह्य एवं आंतरिक दोनों प्रकार के लिए घटना और गतिविधियों के दृश्‍य प्रलेखन और श्‍वेत-श्‍याम एवं रंगीन चित्रों को तैयार करने का उत्तरदायित्‍व है।
फोटो प्रभाग का प्रमुख कार्य देश में उन्‍नति विकास तथा राजनैतिक आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों को चित्रों में सहेजना एवं सूचना और प्रसारण मंत्रालय की विभिन्‍न इकाइयों तथा अन्‍य केंद्र एवं राज्‍य सरकार की एजेंसियों मंत्रालयों और राष्‍ट्रपति सचिवालय, उपराष्‍ट्रपति सचिवालय प्रधानमंत्री कार्यालय, लोक सभा और राज्‍य सभा सचिवालय, और विदेश मंत्रालय के बाह्य प्रकार के माध्‍यम से भारतीय दूरसंचारों जैसे विभागों को चित्र उपलब्‍ध कराना है।
विदेश मंत्रालय के बाह्य प्रचार विभाग द्वारा भारत सरकार के विदेशों में प्रयोग हेतु इसका अधिकतम उपयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत विदेशी राष्‍ट्र पक्षों/राष्‍ट्र प्रमुख के द्वारा भारत यात्रा के दौरान उनके चित्रों का प्रलेखन और यात्रा, समझौते के समय उन्‍हें इन प्रलेखों का तौर अलबम का भेंट किया जाना सम्मिलित है। पीआईबी द्वारा अब स्‍थानीय प्रमुख नेताओं की प्रमुख दैनिक गति‍विधियों की कवरेज और फोटो प्रभाग द्वारा लिए गए दृश्‍य सामग्री का इंटरनेट द्वारा प्रतिदिन प्रेस के लिए उपलब्‍ध कराया जाता है। डीएवीपी अपनी विभिन्‍न प्रकार की प्रदर्शनियों में देश के विभिन्‍न क्षेत्रों में वितरण के लिए प्रकाशित की जाने वाली विज्ञापन सामग्री हेतु प्रभाग के उस अभिलेख पर पूर्णत: निर्भर है जिसे पिछले पांच दशकों में विकसित किया गया है।
अपनी मूल्‍य योजना के अंतर्गत प्रभाग गैर प्रचार संगठनों को भुगतान आधार पर रंगीन एवं श्‍वेत-श्‍याम दोनों प्रकार के चित्र उपलब्‍घ कराता है।
प्रभाग के विभिन्‍न प्रकार के श्‍वेत - श्‍याम तथा रंगीन चित्रों को तैयार करने के लिए परंपरागत एवं आधुनिकीकरण डिजीटल प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए अपनी प्रयोगशाला एवं उपकरणों का व्यापक आधुनिकीकरण किया है। फोटो प्रभाग के सूचना भवन के नई दिल्‍ली स्थित कार्यालय में चित्रों के प्रेषण हेतु न्‍यूज फोटो नेटवर्क की स्‍थापना की गई है और सरकार की विभिन्‍न गति‍विधियों की कवरेज के लिए इस नेटवर्क से कहीं से भी संपर्क किया जा सकता है।
समय समय पर परंपरागत तरीके से विभिन्‍न द्वारा खीचे गए चित्रों के डिजिटल रूप से भंडारण के लिए विभाग द्वारा सूचना भवन, नई दिल्‍ली स्थित मुख्‍यालय में एक डि‍जिटल लाइब्रेरी की स्‍थापना की गई है। परंपरागत रूप में (कैमरे से) खीचे गए चित्रों को डिजिटल फोटो लाइब्रेरी में रखने का कार्य भी प्रगति पर है। डिजिटल रूप से खीचे गए चित्र अभी सामान्‍य रूप से उपलब्‍ध हैं। हालांकि इन्‍हें शीघ्र ही ऑनलाइन (अथवा इंटरनेट पर) कर दिया जाएगा।
दसवीं योजना के दौरान प्रभाग ने एक उच्‍च शक्ति‍ क्षमता वाला सर्वर, जिसका अभी परीक्षण किया जाना है, भी प्राप्‍त किया है। इसमें लगभग एक लाख चित्र डाले जा चुके हैं और इसे प्रभाग की उस वेबसाइट से जोड़ दिया जाएगा जिसकी शुरूआत शीघ्र होने वाली है।
अभी तक दिसंबर, 2006 तक प्रभाग ने छह लाख चौतीस हजार चार सौ बाइस (636422) (संचयी आंकड़े) को बदलने में सफलता प्राप्‍त की है और अपने नए अंकीकरण, वर्गीकरण और अभिलेख कार्य के एक भाग रूप में इन्‍हें क्‍यूमुलस प्रणाली में डाल दिया गया है।
अन्‍य मीडिया इकाइयों से तालमेल बनाए रखने के लिए विभाग ने कई उपाय किए हैं। नेटवर्क के माध्‍यम से समाचार पत्रों को अपने चित्र बिना किसी विलम्‍ब के भेजने के लिए प्रभाग अब अपने चित्रों की पीआईबी डेस्‍क भेजने के लिए पूर्ण रूप से सुसज्जित है। यह विशेष रूप से प्रधानमंत्री की दिल्‍ली से बाहर यात्रा के दौरान उनके चित्रों को वायरलेस इंटरनेट प्रणाली से भेजने के लिए V डाटा प्रणाली का प्रयोग कर रहा है। उत्‍कृष्‍ट कोटि के चित्र तैयार करने के लिए चाहे वह कैलेंडर प्रकाशन हेतु हो अथवा किसी विषय विशेष पर आधारित प्रदर्शनी हेतु प्रचार सामग्री, इनके आधुनिकतम प्रयोग के लिए फोटो प्रभाग के निदेशक द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। अपनी विशेषज्ञता की जानकारी देने के लिए प्रभाग ने विभिन्‍न मीडिया इकाइयों तथा राज्‍य सरकारों के साथ मिलकर कार्यशालाओं का आयोजन भी किया है।

ऑल इंडिया रेडियो

भारत में रेडियो प्रसारण की शुरूआत 1920 के दशक में हुई। पहला कार्यक्रम 1923 में मुंबई के रेडियो क्‍लब द्वारा प्रसारित किया गया। इसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता में निजी स्‍वामित्‍व वाले दो ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की स्‍थापना हुई। सन् 1930 में सरकार ने इन ट्रांसमीटरों को अपने नियंत्रण में ले लिया और भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से उन्‍हें परिचालित करना आरंभ कर दिया। 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा।
संगठनात्‍मक व्‍यवस्‍था
महानिदेशालय, आकाशवाणी प्रसार भारती के तहत कार्य करता है। प्रसार भारतीय मंडल संगठन की नीतियों के निर्धारण और कार्यान्‍वयन शीर्ष स्‍तर पर सुनिश्‍चित करता है और प्रसार भारती अधिनियम, 1990 के संदर्भ में अधिदेश को पूरा करता है। कार्यपालक सदस्‍य निगम के मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के रूप में मंडल के नियंत्रण और पर्यवेक्षण हेतु कार्य कारते हैं। सीईओ, सदस्‍य (वित्त) और सदस्‍य, (कार्मिक) प्रसार भारती मुख्‍यालय, द्वितीय तल, पीटीआई भवन, संसद मार्ग, नई दिल्‍ली-110001 से अपने कार्यों का निष्‍पादन करते हैं।
वित्त, प्रशासन और कार्मिकों से संबंधित सभी महत्‍वपूर्ण नीतिगत मामले सीईओ के पास भेजे जाते हैं और आवश्‍यकतानुसार सदस्‍य (वित्त) और सदस्‍य (कार्मिक) के माध्‍यम से मंडल को भेजे जाते हैं, ताकि सलाह, प्रस्‍तावों का कार्यान्‍वयन और उन पर निर्णय लिए जा सके। प्रसार भारती सचिवालय में कार्यरत विभिन्‍न विषयों के अधिकारी सीईओ, सदस्‍य (वित्त) और सदस्‍य (कार्मिक) को कार्रवाई, प्रचालन, योजना और नीति कार्यान्‍वयन के समेकन में सहायता देते हैं और साथ ही निगम के बजट, लेखा और सामान्‍य वित्तीय मामलों की देखभाल करते हैं।
प्रसार भारती में मुख्‍य सतर्कता अधिकारी के नेतृत्‍व में मुख्‍यालय के एक एकीकृत सतर्कता व्‍यवस्‍था भी है।
आकाशवाणी के महानिदेशालय का नेतृत्‍व महानिदेशक करते हैं। वे सीईओ सदस्‍य (वित्त) और सदस्‍य (कार्मिक) के सहयोग से आकाशवाणी के दैनिक मामलों का निपटान करते हैं। आकाशवाणी में मोटे तौर पर पांच अलग अलग विंग हैं जो विशिष्‍ट गतिविधियों के लिए उत्तरदायी हैं जैसे कार्यक्रम, अभियांत्रिकी, प्रशासन, वित्त और समाचार।
कार्यक्रम विंग
मुख्‍यालय में महानिदेशक की सहायता उप महानिदेशक करते हैं तथा स्‍टेशनों के बेहतर पर्यवेक्षण के लिए क्षेत्रों में उप महानिदेशक करते हैं, क्षेत्रीय उप महानिदेशक के कार्यालय कोलकाता (ईआर), मुम्‍बई और अहमदाबाद (डब्‍ल्‍यूआर), लखनऊ (सीआर-I), भोपाल (सीआर-II), गुवाहाटी (एनईआर), चेन्‍नई (एसआर-I), बंगलूर (एसआर-II), दिल्‍ली (एनआर-I) और चंडीगढ़ (एनआर-II) में स्थित हैं।
अभियांत्रिक विंग
आकाशवाणी के तकनीकी मामलों के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता मुख्‍यालय में तैनात मुख्‍य अभियंता तथा इंजीनियर इन चीफ द्वारा और जोनल मुख्य अभियंताओं द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्‍त मुख्‍यालय में आकाशवाणी की विकास संबंधी योजनाओं के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता के लिए मुख्‍यालय में योजना और विकास इकाई है। सिविल निर्माण गतिविधियों के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता सिविल निर्माण विंग द्वारा की जाती है, जिसका नेतृत्‍व मुख्‍य अभियंता करते हैं। दूरदर्शन की जरूरतों को भी सिविल निर्माण विंग पूरा करता है।
प्रशासनिक विंग
एक उपमहा निदेशक (प्रशासन) महानिदेशक को प्रशासन संबंधी सभी मामलों में सलाह देते हैं जबकि उप महानिदेशक (कार्यक्रम) कार्यक्रम कार्मिकों के प्रशासन में महानिदेशक को सहायता देते हैं। एक निदेशक आकाशवाणी के अभियांत्रिकी प्रशासन की देखभाल करते हैं जबकि एक अन्‍य निदेशक (प्रशासन और वित्त) प्रशासन तथा वित्त के मामलों में महानिदेशक की सहायता करते हैं।
सुरक्षा विंग
आकाशवाणी की संस्‍थापनाओं, ट्रांसमीटरों, स्‍टूडियो, कार्यालयों आदि की सुरक्षा तथा निरापदता के साथ जुड़े मामलों पर महानिदेशक की सहायता एक उपमहानिदेशक (सुरक्षा), सहायक महा निदेशक (सुरक्षा) और एक उप निदेशक (सुरक्षा) करते हैं।
श्रोता अनुसंधान विंग
आकाशवाणी को सभी स्‍टेशनों द्वारा कार्यक्रमों के प्रसारण पर श्रोता अनुसंधान के सर्वेक्षण करने के लिए महानिदेशक की सहायता निदेशक, श्रोता अनुसंधान करते हैं।
आकाशवाणी के अधीनस्‍थ कार्यालयों की गति‍विधियां
अलग अलग कार्यों के लिए अनेक अधीनस्‍थ कार्यालय हैं, जो नीचे दिए गए विवरण के अनुसार गतिविधियां करते हैं।
समाचार सेवा प्रभाग
समाचार सेवा प्रभाग 24 घण्‍टे कार्य करता है और यह स्‍वदेशी तथा बाह्य सेवाओं में 500 से अधिक समाचार बुलेटिन का प्रसारण करता है। ये बुलेटिन भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में होते हैं। इसका नेतृत्‍व महानिदेशक, समाचार सेवा करते हैं। यहां 44 क्षेत्रीय समाचार इकाइयां हैं।
विदेशी सेवा प्रभाग
आकाशवाणी का विदेशी सेवा प्रभाग ''वॉइस ऑफ द नेशन'' के रूप में भारत के विषय में ''दुनिया के लिए एक विश्‍वसनीय समाचार स्रोत'' है। दुनिया में भारत के बढ़ते महत्‍व को देखते हुए आने वाले समय में विदेशी प्रसारण के लिए इसकी एक महत्‍वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। आकाशवाणी का विदेशी सेवा प्रभाग 16 विदेशी भाषाओं और 11 भारतीय भाषाओं में एक दिन में लगभग 100 से अधिक देशों में 72 घण्‍टे की अवधि का प्रसारण करता है।
ट्रांसक्रिप्‍शन और कार्यक्रम आदान प्रदान सेवा
यह सेवा स्‍टेशनों में कार्यक्रमों के आदान प्रदान, ध्‍वनि अभिलेखागार, निर्माण और रखरखाव तथा संगीत के दिग्‍गजों की महत्‍वपूर्ण रिकॉर्डिंग का वाणिज्यिक उपयोग करने का कार्य करती है।
अनुसंधान विभाग
अनुसंधान विभाग के कार्यों में आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा आवश्‍यक उपकरण के अनुसंधान और विकास का कार्य, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से संबंधित छानबीन और स्‍टूडियो, सीमित उपयोग के लिए अनुसंधान और विकास उपकरण के प्रोटोटाइप मॉडलों का विकास, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के नेटवर्क में क्षेत्र परीक्षण।
केन्‍द्रीय भण्‍डार कार्यालय
नई दिल्‍ली में स्थित केन्‍द्रीय भण्‍डार कार्यालय आकाशवाणी के स्‍टेशनों पर तकनीकी उपकरणों के रखरखाव के लिए आवश्‍यक अभियांत्रिकी भंडारों के प्रापण, भण्‍डारण और वितरण से संबंधित कार्य करता है।
कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (कार्यक्रम)
कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (कार्यक्रम) को 1948 में निदेशालय के साथ आरंभ किया गया था और अब इसमें किंग्‍सवे कैम्‍प, दिल्‍ली और भुवनेश्‍वर से कार्य करने वाली दो मुख्‍य शाखाएं हैं। यह कार्यक्रम कार्मिकों और प्रशासनिक कर्मचारियों को सेवाकालीन प्रशिक्षण देता है और यह नए भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए प्रेरण पाठ्यक्रम और अल्‍पावधि पुनश्‍चर्या पाठ्यक्रम आयोजित करता है। यह प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए परीक्षा का आयोजन करता है। इसके अतिरिक्‍त हैदराबाद, शिलांग, लखनऊ, अहमदाबाद और तिरुवनंपुरम में स्थित पांच क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्‍थान कार्यरत हैं।
कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (तकनीकी)
निदेशालय का एक भाग कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (तकनीकी) 1985 में बनाया गया और तब से यह किंग्‍सवे कैम्‍प, दिल्‍ली से कार्य करता है। संस्‍थान द्वारा आकाशवाणी और दूरदर्शन के अभियांत्रिकी कर्मचारियों के लिए तकनीशियन से लेकर अधीक्षण अभियंता तक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का आयोजन करता है। यह विभागीय अर्हकारी और प्रतिस्‍पर्द्धा परीक्षाओं का आयोजन भी करता है। भुवनेश्‍वर में एक क्षेत्रीय कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (तकनीकी) है।
सीबीएस केन्‍द्र और विविध भारती
यहां 40 विविध भारतीय और वाणिज्यिक प्रसारण सेवा (सीबीएस) केन्‍द्रों के साथ 3 विशिष्‍ट वीबी केन्‍द्र हैं। सीबीएस से संबंधित कार्य दो विंग में किया जाता है अर्थात बिक्री और निर्माण। केन्‍द्रीय बिक्री इकाई के नाम से ज्ञात एक पृथक स्‍वतंत्र कार्यालय 15 मुख्‍य सीबीएस केन्‍द्रों के साथ प्रसारण समय के विपणन की देखभाल करता है। वाराणसी और कोच्चि में दो और विविध भारती केन्‍द्र हैं।
रेडियो स्‍टेशन
वर्तमान में 231 रेडियो स्‍टेशन हैं। इनमें से प्रत्‍येक रेडियो स्‍टेशन आकाशवाणी के अधीनस्‍थ कार्यालय के रूप में कार्य करता है।
उच्‍चशक्ति वाले ट्रांसमिटर
आकाशवाणी की विदेश, स्‍वदेशी और समाचार सेवाओं के प्रसारण के लिए 8 बृहत वायवीय प्रणालियों सहित शॉर्ट वेव/मीडियम वेव ट्रांसमीटर के साथ सज्जित उच्‍च शक्ति वाले ट्रांसमीटर हैं। इन केन्‍द्रों का मुख्‍य कार्य आस पास के स्‍टेशनों पर बनाए गए कार्यक्रमों का प्रसारण करना साथ ही दिल्‍ली के स्‍टूडियो से प्रसारण करना है।
नेटवर्क और कवरेज की वृद्धि
स्‍वतंत्रता के समय से आकाशवाणी दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण नेटवर्कों में से एक बन गया है। स्‍वतंत्रता के समय भारत में 6 रेडियो स्‍टेशन और 18 ट्रांसमीटर थे, जिनसे 11% आबादी और देश का 2.5 % भाग कवर होता है। दिसम्‍बर, 2007 इस नेटवर्क में 231 स्‍टेशन और 373 ट्रांसमीटर हैं जो देश की 99.14% आबादी और 91.79% क्षेत्रफल तक पहुंचता है।
वर्ष के दौरान की गई गतिविधियां
धर्मपुरी (तमिलनाडु), माछेरला (आंध्र प्रदेश) और औरंगाबाद (बिहार) में एफएम ट्रांसमीटर सहित नए स्‍टेशन बनाए गए हैं।
ईंटानगर (अरुणाचल प्रदेश, एजवाल (मिजोरम), कोहिमा (नागालैंड), बरियापाढ़ (उड़ीसा), वाराणासी (उ. प्र.) और पुडुचेरी में मौजूदा स्‍टेशनों पर एफएम ट्रांसमीटर लगाए गए हैं।
चेन्‍नई में तीन मौजूदा एफएम ट्रांसमीटर 5 केडब्‍ल्‍यू एफएम ट्रांसमीटर, एफएम गोल्‍ड और 10 केडब्‍ल्‍यू एफएम ट्रांसमीटर, एफएम रेनबो के स्‍थान पर 20 केडब्‍ल्‍यू एफएम ट्रांसमीटर लगाए गए हैं।
कोलकाता में एफएम गोल्‍ड सर्विस के मौजूदा 5 केडब्‍ल्‍यू एफएम ट्रांसमीटर के स्‍थान पर 20 केडब्‍ल्‍यू एफएम ट्रांसमीटर लगाए गए हैं।
सोरो (उड़ीसा) में 1 केडब्‍ल्‍यू मेगावॉट ट्रांसमीटर के साथ नया स्‍टेशन बनाया गया है।
दिल्‍ली और रायपुर (छत्तीसगढ़) में मौजूदा 100 केडब्‍ल्‍यू एम डब्‍ल्‍यू ट्रांसमीटरों के स्‍थान पर आधुनिकतम प्रौद्योगिकी वाले ट्रांसमीटर लगाए गए हैं।
देश की सीमा के विस्‍तार को सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक विशेष जम्‍मू और कश्‍मीर पैकेज के भाग के रूप में न्‍ओमा और डिस्‍किट, लेह क्षेत्र में 1 केडब्‍ल्‍यू मेगावॉट ट्रांसमीटर के साथ एक नया स्‍टेशन कमिशन किया गया है।
प्रसार भारती के केयू बैंड के माध्‍यम से सीधे घरों में सेवा (डीटीएच)।
विभिन्‍न राज्‍यों की राजधानियों से अलग अलग क्षेत्रीय भाषाओं में 20 आकाशवाणी चैनलों को अब पूरे भारत के श्रोताओं को लाभ देने हेतु प्रसार भारती (डीडी डायरेक्‍ट +) के डीटीएच मंच केयू बैंड के माध्‍यम से उपलब्‍ध कराया जाता है।
आकाशवाणी समाचार फोन सेवा।
अब श्रोता हिंदी और अंग्रेजी में अपने टेलीफोन पर आकाशवाणी की समाचार झलकें केवल एक विशिष्‍ट नंबर को डायल करके सुन सकते हैं, यह सेवा दुनिया के किसी भी भाग में और किसी भी समय उपलब्‍ध है। आकाशवाणी की ''न्‍यूज ऑन फोन सर्विस'' वर्तमान में 14 स्‍थानों पर कार्यरत है, जो हैं दिल्‍ली, मुम्‍बई, चेन्‍नई, पटना, हैदराबाद, अहमदाबाद, जयपुर, बैंगलोर, तिरुवनंतपुरम, इम्‍फाल, लखनऊ, शिमला, गुवाहाटी और रायपुर। यह कोलकाता में भी कार्यान्‍वयन अधीन है।
नई पहलें
डिजिटलाइजेशन
एक प्रभावशाली अभियांत्रिकी मूल संरचना निर्मित करने के बाद अब आकाशवाणी आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी उन्‍नयन पर बल देता है। इसने निर्माण और प्रसारण दोनों ही क्षेत्रों में बृहत डिजिटलाइजेशन कार्यक्रम किए हैं। अनेक रेडियो स्‍टेशनों में स्थित एनालॉग उपकरणों को अब आधुनिकतम डिजिटल उपकरणों से बदल दिया गया है।
कम्‍प्‍यूटर हार्ड डिस्‍क आधारित रिकॉर्डिंग, संपादन और दोबारा चलाने की प्रणालियां 76 आकाशवाणी स्‍टेशनों पर दी गई हैं और अन्‍य 61 स्‍टेशनों पर इनका कार्यान्‍वयन किया जा रहा है। हार्ड डिस्‍क आधारित प्रणाली का प्रावधान आकाशवाणी के 48 प्रमुख स्‍टेशनों पर भी प्रगति पर है। वर्ष स्‍टेशनों की 564 संख्‍या के लिए मांग पत्र डीजीएस एण्‍ड डी को पहले ही दिया गया है और संभावना है कि शीघ्र ही इन स्‍टेशनों पर इनकी आपूर्ति हो जाएगी और इन्‍हें नेटवर्क में शामिल कर लिया जाएगा।
अपलिंक स्‍टेशनों और कार्यक्रम उत्‍पादन सुविधाओं के डिजिटाइ‍लेशन का कार्य किया गया है ताकि अच्‍छी गुणवत्ता केन्द्रित-तैयार सामग्री सुनिश्‍चित की जा सके, जो फोन पर समाचार, मांग पर संगीत आदि जैसी अंत:क्रियात्‍मक रेडियो सेवाओं को भी सहायता देगा।
लेह, वाराणसी, रोहतक तथा औरंगाबाद में नए डिजिटल केप्टिव अर्थस्‍टेशन (अपलिंक) भी कार्यान्‍वयन अधीन है। लेह की संस्‍थापना का कार्य पूरा हो गया है। वाराणसी, रोहतक तथा औरंगाबाद में संस्‍थापना का कार्य वर्तमान वर्ष के दौरान पूरा किया जाएगा।
डाउनलिंक सुविधाओं को भी चरणों में डिजिटल बनाया जा रहा है। वर्तमान वर्ष के दौरान 115 स्‍टेशनों को इन सुविधाओं से सज्जित किया गया है।
नजिबाबाद में मौजूदा 100 केडब्‍ल्‍यू मेगावॉट ट्रांसमीटर के स्‍थान पर अब आधुनिकतम प्रौद्योगिकी वाला 200 केडब्‍ल्‍यू ट्रांसमीटर लगाया जा रहा है और इसका परीक्षण तथा कमिशनिंग की जा रही है।
आकाशवाणी संसाधनों की गति‍विधियां
आकाशवाणी में परामर्श और प्रसारण के क्षेत्र में संपूर्ण समाधान प्रदान करने के लिए इसकी एक वाणिज्यिक शाखा के रूप में 'आकाशवाणी संसाधन' को आरंभ किया गया। इसकी वर्तमान गतिविधियों में निम्‍नलिखित शामिल है।
यह इंदिरा गांधी मुक्‍त राष्‍ट्रीय विश्‍वविद्यालय को उनके ज्ञान वाणी स्‍टेशनों के एफएम ट्रांसमीटरों हेतु देश के 40 स्‍थानों पर संपूर्ण समाधान प्रदान करता है।
26 ज्ञान वाणी स्‍टेशन पहले से ही प्रचालनरत हैं। सभी ज्ञान वाणी स्‍टेशनों के प्रचालन और रखरखाव का कार्य अब तक किया गया है।
मूल संरचना अर्थात भू‍मि, भवन और टावर को भी 4 शहरों में 10 एफएम चैनलों के निजी प्रसारण हेतु किराया लाइसेंस शुल्‍क आधार पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की पहले चरण की योजना के भाग के रूप में दिया गया है। योजना के दूसरे चरण के तहत इस मूल संरचना को 87 शहरों में 245 एफएम चैनलों द्वारा बांटे जाने के करानामे पर निजी प्रसारकों के साथ हस्‍ताक्षर किए गए हैं। निजी प्रसारकों के साथ 6 शहरों अर्थात दिल्‍ली, कोलकाता, बैंगलोर, चेन्‍नई, हैदराबाद और जयपुर में आंतरिक व्‍यवस्‍था के लिए भी करारनामों पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं। मोबाइल सेवा प्रचालकों को भी यह मूल संरचना किराए पर दी जाती है।
आकाशवाणी संसाधन में वर्ष 2006-07 के दौरान लगभग 35.50 करोड़ रु. का राजस्‍व अर्जित किया गया है।
संगीत के कार्यक्रम
आकाशवाणी संगीत सम्‍मेलन समारोह का आयोजन 21 और 22 अक्‍तूबर 2007 को देश के 24 आकाशवाणी स्‍टेशनों पर किया गया, जिसमें हिन्‍दुस्‍तानी तथा कर्नाटक संगीत के कलाकारों ने भाग लिया। आकाशवाणी ने लोक तथा हल्‍के फुलके संगीत के क्षेत्रीय समारोह करने आरंभ किए जो आकाशवाणी संगीत सम्‍मेलन के समकक्ष हैं। क्षेत्रीय लोक और हल्‍के फुलके संगीत के आकाशवाणी संगीत सम्‍मेलन का प्रयोजन हमारे देश की समृद्ध लोक सांस्‍कृतिक विरासत को सामने लाना, प्रोत्‍साहन देना और आगे बढ़ाना है। नई प्रतिभाओं की खोज के लिए आकाशवाणी द्वारा अखिल भारतीय संगीत प्रतिस्‍पर्द्धा आयोजन किया जाता है। आकाशवाणी संगीत प्रतिस्‍पर्द्धा युवाओं के बीच मौजूद नई प्रतिभाओं की खोज और तलाश के लिए एक नियमित कार्यक्रम है। हिन्‍दुस्‍तानी/कर्नाटक संगीत की श्रेणी में इस वर्ष कई नई प्रतिभाओं को जोड़ा गया है।
समाचार सेवा प्रभाग
आकाशवाणी का समाचार सेवा प्रभाग लोगों की सूचना संबंधी आवश्‍यकताओं और राष्‍ट्रीय एकता को बढ़ावा देने की भावना को पूरा करने में सूचना प्रसार हेतु के महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दों को सामने लाने वाला न केवल एक सशक्‍त माध्‍यम है बल्कि यह देश में लोगों के बीच जागरूकता लाता है और उन्‍हें सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरणा देता है।
समाचार सेवा प्रभाग के प्रसारणों को मोटे तौर पर समाचार बुलेटिन और ताजा मामलों के कार्यक्रमों में बांटा जा सकता है। इसमें नई दिल्‍ली स्थिति मुख्‍यालय से 52 घण्‍टों से अधिक की अवधि के लिए 82 भाषाओं/बोलियों (भारतीय और विदेशी) में 500 से अधिक समाचार बुलेटिन और देश भर में 44 क्षेत्रीय समाचार इकाइयों द्वारा प्रसारण किया जाता है। ये समाचार बुलेटिन प्राथमिक, एफएम और आकाशवाणी के डीटीएच चैनलों पर प्रसारित किए जाते हैं। इस समाचार प्रसारण में भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल 22 आधिकारिक भाषाओं और 18 विदेशी भाषाओं के अलावा अन्‍य भाषाओं/बोलियों में किया जाने वाला प्रसारण शामिल है। घरेलू सेवा में दिल्‍ली से 89 समाचार बुलेटिन प्रसारित किए जाते हैं। ये समाचार बुलेटिन एफएम गोल्‍ड पर प्रत्‍येक घण्‍टे प्रसारित किए जाते हैं। क्षेत्रीय समाचार इकाइयों द्वारा प्राथमिक चैनल, एफएम और विदेशी सेवा पर प्रतिदिन 67 भाषाओं/बोलियों में 355 से अधिक समाचार बुलेटिन प्रसारित किए जाते हैं। एनएसडी और इसके आरएनयू द्वारा प्रसारण कुल 9 घण्‍टे की अवधि के लिए 26 भाषाओं (भारतीय और विदेशी) में 66 समाचार बुलेटिन एवं विदेशी सेवाओं का 13 मिनट का प्रसारण किया जाता है।
समाचार बु‍लेटिनों के अलावा ताजा मामलों के कार्यक्रम एनएसडी और इनके आरएनयू द्वारा दैनिक और साप्‍ताहिक आधार पर प्रसारित किए जाते हैं।
इन कार्यक्रमों का रूप अलग अलग होता है जैसे कि चर्चाएं, साक्षात्‍कार, वार्ता, समाचारपत्रिका, विश्‍लेषण और कमेंटरी। समाचार निर्माता और विशेषण तथा आम जनता द्वारा विभिन्‍न क्षेत्रों के ताजा मामलों पर चर्चा और विशेषण किए जाते हैं। इनमें कुछ अत्‍यधिक अत्‍यंत लोकप्रिय कार्यक्रम हैं चर्चा का विषय है, सामायिकी, स्‍पोर्ट लाइट, मार्किट मंत्रा (व्‍यापार पत्रिका), स्‍पोर्ट्स स्‍केन (खेल पत्रिका), संवाद, कंट्री वाइड, मनी टॉक, सुर्खियों से परे और ह्युमन फेस।
इंटरनेट और इंट्रा एनएसडी पर समाचार
समाचार प्रेमियों को अब एनएसडी की आधिकारिक वेबसाइट www.newsonair.com (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) और www.newsonair.nic.in (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) पर हमारे बुलेटिन और ताजा समाचार मिल सकते हैं। इस वेबसाइट को नवम्‍बर 2007 में एनआईसी के माध्‍यम से पुन: लोकार्पित किया गया था, जिसमें फीड बैक तथा अन्‍य विशेषताओं जैसे 'आरकाइविंग एण्‍ड सर्च' के साथ आरंभ किया गया है, जो भारत और विदेश में इंटरनेट प्रयोक्‍ताओं की आधुनिकतम आवश्‍यकताओं को पूरा करेगा।
मुम्‍बई, धारवाड़, चेन्‍नई, पटना, भोपाल और त्रि‍ची जैसी क्षेत्रीय समाचार इकाइयों से समाचार बुलेटिन की पांडुलिपियां अब मराठी, कन्‍नड़, तमिल, फोंट में उपलब्‍ध होने के अलावा हिन्‍दी और अंग्रेजी में भी उपलब्ध हैं। अब श्रोता 11 भाषाओं में क्षेत्रीय बुलेटिन को सुनने के लिए वेबसाइट पर लॉग ऑन कर सकते हैं और साथ ही हिन्‍दी और अंग्रेजी के अलावा संस्‍कृति तथा नेपाली भाषाओं में भी राष्‍ट्रीय बुलेटिन सुना जा सकता है। इंटरनेट प्रयोक्‍ताओं को एनएसडी, प्रसारण के विभिन्‍न विवरण के बारे में जानकारी मिल सकती है। ये क्षेत्रीय इकाइयां, इनके कार्य, अंशकालिक संवाददाताओं के नाम और विभिन्‍न अन्‍य आंकड़ों के साथ राष्‍ट्रीय समाचार और ताजा मामलों के कार्यक्रम।
अब वेबसाइट पर सुनने के फॉर्मेट में साप्‍ताहिक और दैनिक समाचार आधारित कार्यक्रम उपलब्‍ध हैं। एनएसडी आकाशवाणी द्वारा प्रसारित विशेष कार्यक्रमों का ऑडियो भी इन वेबसाइटों पर उपलब्‍ध है जो महत्‍वपूर्ण दिनों से जुड़े हुए हैं।
एनएसडी और इसके आरएनयू और गैर आरएनयू के लिए एक इंट्रा नेटवर्क तैयार किया गया है। इंट्रा एनएसडी से एनएसडी मुखयलय और इसकी क्षेत्रीय इकाइयों के बीच सूचनाओं और समाचारों के मुक्‍त तथा तीव्र प्रवाह में सहायता मिलेगी। इंट्रा एनएसडी के माध्‍यम से ऑडियो फाइल को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान भेजना संभव है और इससे संवाददाताओं को इंटरनेट के माध्‍यम से अपनी ऑडियो सामग्री को भेजने में सहायता मिलेगी।
विस्‍तार के उपाय
आकाशवाणी के समाचार सेवा प्रभाग ने आरएनयू गैंगटोक से 5 मिनट की अवधि में भूटिया भाषा का प्रसारण आरंभ कर एक नई उपलब्धि अर्जित की है। यह देश में आकाशवाणी नेटवर्क पर नए प्रचालन को व्‍यापक बनाने और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने में एक बड़ा कदम है। समाचार रील कार्यक्रम को एक नया रूप दिया गया है और एक नया साप्‍ताहिक कार्यक्रम ह्युमन फेस आरंभ किया गया था। अधिक एफएम स्‍टेशनों से प्रति घण्‍टे प्रसारित होने वाले समाचार बुलेटिन और आकाशवाणी के विविध भारतीय स्टेशनों से इनके प्रसारण के कदम उठाए जा रहे हैं।
संवाददाता नेटवर्क का विस्‍तार
समाचार सेवा प्रभाग (एनएसडी) जैसा अन्‍य कोई प्रसारण संगठन नहीं है जहां समाचार ब्‍यूरो, संवाददाताओं और संपादकों का इतना बड़ा नेटवर्क हो। इसके देश भर में 44 क्षेत्रीय समाचार इकाइयां 110 पूर्ण कालिक संवाददाताओं / संपादकों के साथ कार्य करती हैं। क्षेत्रीय समाचार इकाइयों के अलावा एनएसडी में कार्यरत संवाददाता देश के 13 अन्‍य महत्‍वपूर्ण समाचार केंद्रों में संवाददाता हैं। इसके पांच संवाददाता दुबई, काबुल, ढाका, काठमांठू और कोलंबो में हैं। आकाशवाणी और दूरदर्शन समाचारों की आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए विश्‍व भर में महत्‍वपूर्ण समाचार केन्‍द्रों पर स्ट्रिंजर की नियुक्ति का प्रस्‍ताव है। बुनियादी स्‍तर पर स्‍थानीय समाचारों/समाचारों के महत्‍व को समझते हुए एनएसडी द्वारा देश के प्रत्‍येक जिला मुख्‍यालय में अंशकालिक संवाददाताओं की नियुक्ति की गई है। वर्तमान में आकाशवाणी के लिए ऐसे 455 अंशकालिक संवाददाता कार्यरत हैं। ये अंशकालिक संवाददाता दूरदरर्शन समाचार की आवश्‍यकताएं भी पूरी करते हैं।
कौशलों का उन्‍नयन
एनएसडी का विश्‍वास है कि इसके मानव संसाधनों - संपादकों और संवाददाताओं का कौशल उन्‍नयन किया जाना चाहिए। राष्‍ट्रीय भाषा होने के नाते हिन्‍दी के महत्‍व को देखते हुए एनएसडी, आकाशवाणी द्वारा संवाददाताओं के लिए एक तीन दिवसीय हिन्‍दी भाषा कार्यशाला का आयोजन किया गया। इन कार्यशालाओं का मुख्‍य उद्देश्‍य हिन्‍दी उच्‍चारण और गैर हिन्‍दी भाषी क्षेत्रों के संवाददाताओं का मौखिक कौशल उन्‍नत बनाना था। उत्‍पादन सहायक और एनएफ संपादकों के कौशलों को सुधारने के लिए भी एक अभिविन्‍यास कार्यशाला का आयोजन किया गया।
अंशकालिक संवाददाता आकाशवाणी के लिए बुनियादी स्‍तर पर समाचार के स्रोत माने जाते हैं। उन्‍हें इस प्रकार का प्रशिक्षण देने की आवश्‍यकता लंबे समय महसूस की जा रही थी। इस वर्ष की अभिविन्‍यास कार्यशालाओं का आयोजन 7 क्षेत्रीय समाचार इकाइयों - कोलकाता, भोपाल, कटक, अहमदाबाद, मुम्‍बई, चंडीगढ़ और पटना में एनएसडी आकाशवाणी द्वारा किया गया। 6 अन्‍य अंशकालिक संवाददाता अभिविन्‍यास कार्यशालाएं जयपुर, हैदराबाद, जम्‍मू, लखनऊ, चेन्‍नई और बैंगलोर में आने वाले महीनों के दौरान आयोजित की जाएंगी।
क्षेत्रीय समाचारों का सुदृढ़ीकरण
इस वर्ष एनएसडी ने आरएनयू के समाचार कक्षों को स्‍वचालित बनाने की पहल की है। नई स्‍वचालन प्रणाली को आरएनयू गुवाहाटी, शिलौंग, त्रिची, शिमला, जयपुर और इम्‍फाल में लगाया गया है। यह प्रयास पूरी तरह डिजिटल, कागज रहित कार्यालय की ओर जाने का मार्ग है। समाचार कक्षों की कार्यशैली को सुचारु बनाने के लिए सभी आरएनयू में टेली प्रिंटर लाइन आधारित समाचार तारों को बदलकर वर्ल्‍ड स्‍पेस/वी-सैट आधारित नए तारों को लगाया जा रहा है ताकि एजेंसियों से समाचार प्राप्‍त किए जा सकें। समाचार वाचकों और अनुवादकों के लिए कुछ अन्‍य पुरस्‍कार आरंभ करने के प्रयास किए गए हैं ताकि समाचार बुलेटिनों और समाचार आधारित कार्यक्रमों के सुचारु और प्रभावी प्रस्‍तुतीकरण में योगदान दिया जा सके।
समाचार कवरेज
इस वर्ष एनएसडी का फोकस एक आम आदमी था। प्रभाग ने आम आदमी को प्रभावित करने वाले मुद्दों और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्‍य पिछड़े वर्गों, अल्‍पसंख्‍यकों, किसानों, असंगठित कामगारों, महिलाओं और युवाओं के कल्‍याण के‍ लिए काय करने सहित केन्‍द्रीय सरकार की विभिन्‍न योजनाओं पर व्‍यापक कवरेज किया। सरकार के प्रमुख कार्यक्रम जैसे कि राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, भारत निर्माण और सर्व शिक्षा अभियान आदि को विशेष कवरेज दिया गया।
सूचना का अधिकार अधिनियम को इसके समाचार बुलेटिनों और कार्यक्रमों में सर्वोच्‍च प्राथमिकता दी गई। विशेष कार्यक्रमों में आर्थिक मुद्दों का उठाया गया जैसे कि डब्‍ल्यूटीओ वार्ताएं, मूल्‍यवृद्धि को सीमित रखने के लिए सरकार के प्रयास और किसानों के लिए राहत पैकेज तथा राष्‍ट्रीय रोजगार गारंटी योजना और इसका कार्यान्‍वयन। समाचार आधारित कार्यक्रम में भारत और पाकिस्‍तान के संबंधों पर कार्यक्रम प्रसारित किया गया, जो विशेष रूप से सीमा पार के आतंकवाद के संदर्भ में था।
समाचार सेवा प्रभाग द्वारा प्रधानमत्री के विभिन्‍न देशों के दौरों को व्‍यापक कवरेज दिया गया है।
विदेशी अतिथियों के दौरें और उनके बीच हस्‍ताक्षरित महत्‍वपूर्ण तथा कार्यनीतिक करारनामे भी विस्‍तार से शामिल किए गए। कोलम्‍बो, काठमांडू, ढाका और काबुल में कार्यरत आकाशवाणी के विशेष संवाददाताओं में वहां की अस्थिर राजनैतिक गतिविधियों और सुरक्षा संबंधी विकास पर व्‍यापक कवरेज प्रदान किया।
इस वर्ष का कवरेज खेलों पर भी किया गया। अंतरराष्‍ट्रीय प्रमुख खेल आयोजन जैसे कि विश्‍व कप क्रिकेट, टी - 20 क्रिकेट विश्‍वकप, एशियाकप हॉकी और सैन्‍य विश्‍व खेल का आयोजन हैदराबाद में किया गया, जिसने पूरे वर्ष इस डेस्‍क को व्‍यस्‍त बनाए रखा।
संसद की कवरेज
एनएसडी संसद की विशेष कवरेज सत्र के दौरान करता है। अंग्रेजी में 'टुडे इन पार्लियामेंट' और हिंदी में 'संसद समीक्षा' नाम से दैनिक समीक्षा एनएसडी प्रसारित करता है। इसी प्रकार राज्‍य विधान सभाओं के सत्रों के दौरान इनका प्रसारण एनएसडी, आकाशवाणी की क्षेत्रीय समाचार इकाइयों द्वारा किया जाता है।
विदेश सेवा प्रभाग
आकाशवाणी विदेश सेवा प्रभाग का विश्‍व के विदेशी रेडियो नेटवर्क में ऊंचा स्‍थान है। यह 100 देशों के लिए 27 भाषाओं जिनमें 16 विदेशी तथा 11 भारतीय हैं, में रोजाना 70 घंटे 30 मिनट का प्रसारण करता है। आकाशावाणी अपने विदेशी प्रसारणों से विदेशी श्रोताओं को खुले समाज के रूप में भारत के विचारों और उपलब्धियों को उजागर कर भारत के संस्‍कार और भारतीय वस्‍तुओं से जोड़े रखता है।
विदेशी भाषाएं हैं: अरबी (3 घंटे 15 मिनट) बलूची (1 घंटा) बर्मी (1 घंटा मिनट) चीनी (1 घंटा 30 मिनट) दारी (i घंटा 45 मिनट) फ्रेंच (45 मिनट) इंडोशियन (1 घंटा) नेपाली (4 घंटे) फारसी (1 घंटा 45 मिनट) (पुश्‍तू (2 घंटे) रूसी (1 घंटा) सिंहला (2 घंटे 30 मिनट. स्‍वाहिली (1 घंटा) थाई (45 मिनट) तिब्‍बती (1 घंटे 15 मिनट) और अंग्रेजी (जीओएस) (8 घंटे 15 मिनट)
भारतीय भाषाएं हैं - हिन्‍दी (5 घंटे 15 मिनट), तमिल (5 घंटे 30 मिनट), तेलुगु (30 मिनट), बंगाली (6 घंटे 30 मिनट), गुजराती (30 मिनट), पंजाबी (2 घंटे), सिंधी (3 घंटे 36 मिनट), उर्दू ( 12 घंटे 15 मिनट), सरायकी (30 मिनट), मलयालम (1 घंटा), कन्‍नड़ (1 घंटा) यह प्रसारण मिश्रित भागीदारों के लिए किया जाता है और आम तौर पर इसमें समाचार बुलेटिन, कमेंटरी, ताजा मामले और भारतीय प्रेस की समीक्षा को शामिल किया जाता है। न्‍यूज़ रील पत्रिका कार्यक्रम के अलावा खेल और साहित्‍य पर कार्यक्रम, वार्ताएं और सामाजिक - आर्थिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और सांस्‍कृतिक विषयों पर चर्चाएं, विकास संबंधी गतिविधियों पर कार्यक्रम, महत्‍वपूर्ण आयोजन और संस्‍थान, भारत के विविध क्षेत्रों से लोक और आधुनिक संगीत संपूर्ण कार्यक्रम प्रसारण का बड़ा हिस्‍सा बनाते हैं।
विदेश सेवा प्रभाग भारतीय विचारों को राष्‍ट्रीय तथा अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व के मुद्दों पर दर्शाता है तथा अपने सभी प्रसारणों में भारत की संस्‍कृति, विरासत और सामाजिक तथा आर्थिक परिदृश्‍य में रुचि उत्‍पन्‍न करता है।
विदेश सेवा प्रभाग के सभी कार्यक्रमों में प्रमुख विषय वस्‍तु भारत को एक सशक्‍त, धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में प्रस्‍तुत करना है, जो बहुमुखी, प्रगतिशील देश है और जहां तीव्र आर्थिक, औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी प्रगति जारी है। भारत की सबसे बड़ी तकनीकी शक्ति का तथ्‍य और इसकी उपलब्धियां एवं पारिस्थितिकी संतुलन, मानव अधिकारों को प्रदान करने में इसकी वचनबद्धता और अंतरराष्‍ट्रीय शांति के प्रति प्रतिबद्धता और एक नई दुनिया के सृजन में इसके योगदान पर बार बार चर्चा की जाती है।
विदेश सेवा प्रभाग द्वारा संगीत की रिकॉर्डिंग, बातचीत और मिश्रित कार्यक्रम लगभग 24 विदेशी प्रसारण संगठनों को मौजूदा सांस्‍कृतिक आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत भेजे जाते हैं।
विदेश सेवा प्रभाग का प्रसारण 7 देशों, पश्चिमी एशिया, खाड़ी के देशों और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में किया जाता है जो रात 9 बजे तक जारी रहता है। अंतरदेशीय सेवाओं के लिए अंग्रेजी में राष्‍ट्रीय बुलेटिन का प्रसारण। इसके अलावा विदेश सेवा प्रभाग दुनिया भर में समकालीन और संगत मुद्दों तथा प्रेस समीक्षाओं को अपने प्रसारण में शामिल करता है।
डिजिटल प्रसारण
विदेश सेवा प्रभाग ने नए प्रसारण गृह में नए व्‍यवस्‍था स्‍थापित होने से डिजिटल प्रसारण आरंभ किया है। अधिक से अधिक श्रोताओं को आकर्षित करने के लिए सभी आधुनिक उपकरण और उपस्‍कर उपयोग किए जा रहे हैं। आकाशवाणी द्वारा अंतरराष्‍ट्रीय प्रसारण को स्‍थापित करने का कार्य अमेरिका, कनाडा, पश्चिम और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में किया जाता है ताकि इंटरनेट पर आकाशवाणी सेवाओं का लाभ उठाया जा सके, यहां डीटीएच के माध्‍यम से 24 घण्‍टे विदेश सेवा प्रभाग की उर्दू सेवाओं को प्राप्‍त किया जा सकता है।
राष्‍ट्रीय चैनल
आकाशवाणी द्वारा तीन स्‍तरीय प्रसारण किया गया जाता है - राष्‍ट्रीय, क्षेत्रीय और स्‍थानीय। 18 मई 1988 को आरंभ आकाशवाणी का राष्‍ट्रीय चैनल रात 6.50 बजे से अगले दिन सुबह 6.10 तक जारी रहता है। यह देश के लगभग 65 प्रतिशत हिस्‍से और लगभग 76 प्रतिशत आबादी को कवर करता है, जिसके लिए नागपुर में 3 मेगावॉट का ट्रांसमीटर (191.6 एम - 1566 किलो हट्ज़), दिल्‍ली (246.9 एम-1215 किलो हट्ज़), कोलकाता (264.5 एम-1134 किलो हट्ज़ 23.00 बजे से), जिसे 31 मीटर बैंड 9425 किलो हट्ज़ और 9470 किलो हट्ज़ का शार्ट वेब समर्थन प्राप्‍त है, जो पूरे देश को कवर करता है।
भारत के पूरे भूभाग को अपने क्षेत्र में लेने पर यह कार्यक्रम कुल मिलाकर राष्‍ट्र की सांस्‍कृतिक पहचान और नैतिकता का प्रतिनिधि बन गया है।
विपणन प्रभाग
हाल के वर्षों में प्रसार भारतीय सार्वजनिक सेवा प्रसारक का अधिदेश पूरा करते हुए अपने आंतरिक कार्यक्रमों के तेजी से किए जाते वाले विपणन द्वारा राजस्‍व उत्‍पादन में प्रयासों में वृद्धि कर रहा है और साथ ही आवश्‍यकतानुसार काट छांट कर बनाए गए कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। इस दिशा में मुम्‍बई, चेन्‍नई, बैंगलोर, हैदराबाद, दिल्‍ली, कोलकाता, गुवाहाटी, कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में विपणन प्रभाग की स्‍थापना की गई है।
आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी चैनलों के लिए एकल बिन्‍दु सुविधा, विपणन विभाग विज्ञापन की सभी जरूरतों को पूरा करता है। ग्राहकों तक पहुंचना, मीडिया प्‍लान तैयार करना, उनके बजट का अभिलेखन और प्रचार अभियानों एवं खेल संबंधी जिंगलों के साथ प्रायोजित कार्यक्रमों के निष्‍पादन संबंधी आवश्‍यकताएं, विपणन प्रभाग के कुछ महत्‍वपूर्ण कार्यों में से एक हैं।
इन प्रभागों के निरंतर और ठोस प्रयासों के साथ आकाशवाणी वित्तीय वर्ष 2007-08 में 289.21 करोड़ रु. का समग्र राजस्‍व अर्जित कर पिछले रिकॉर्ड तोड़ने में सक्षम रहा है।

ट्रांसक्रिप्शन और कार्यक्रम आदान प्रदान सेवाए
आकाशवाणी अभिलेखागार का डिजिटलाइजेशन
वर्ष 2001 में आरंभ एक विशेष परियोजना 2005 में पूरी की गई जिसमें आकाशवाणी के केन्‍द्रीय अभिलेखागार में संरक्षित पुरानी रिकॉर्डिंग को डिजिटल रूप में बदला गया, जिसमें लगभग 15,900 घण्‍टों के कार्यक्रम डिजिटल माध्‍यम में डाले गए। अब आकाशवाणी अंतरराष्‍ट्रीय रूप से स्‍वीकार्य मानकों के अनुसार आधुनिक टेप नंबरिंग प्रणाली के साथ प्रसारण नेटवर्क में प्रमुख डिजिटल पुस्‍तकालयों में से एक बन गया। इस डिजिटलाइटेशन परियोजना के दूसरे चरण में आकाशवाणी केन्‍द्रीय अभिलेखागार में संरक्षित 10 हजार घण्‍टों के कार्यक्रमों को डिजिटल बनाने का प्रस्‍ताव है।
आकाशवाणी अभिलेखागार 'आकाशवाणी संगीत' की निर्मुक्तियां: आकाशवाणी अभिलेखागार ने आकाशवाणी संगीत के बैनर के तहत वर्ष 2003 से मूल्‍यवान संगीत संग्रह जारी करना आरंभ किया है। अब तक अभिलेखागार से 54 एल्‍बम जारी किए गए हैं। दक्षिणी अभिलेखागार द्वारा भी क्षेत्रीय महत्‍व के 25 से अधिक एल्‍बम जारी किए गए हैं।
खेल प्रकोष्‍ठ
1 अप्रैल से 30 सितम्‍बर 2008 की अवधि के दौरान आकाशवाणी ने भारत और विदेश में आयोजित विभिन्‍न राष्‍ट्रीय तथा अंतरराष्‍ट्रीय खेल आयोजनों को उपयुक्‍त और प्रभावीय कवरेज प्रदान किया है। इनमें से सबसे महत्‍वपूर्ण बीजिंग में आयोजित होने वाला 29वां ग्रीष्‍म कालीन ओलम्‍पिक-2008 था।
अप्रैल 2007 से दिसम्‍बर 2007 के बीच आकाशवाणी ने भारत और विदेश में आयोजित विभिन्‍न राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय खेलों को उपयुक्‍त और प्रभावी कवरेज प्रदान किया है।
खेत और घरेलू प्रसारण
ग्रामीण श्रोताओं के लिए आकाशवाणी की वचनबद्धता 50 साल से अधिक पुरानी है। आकाशवाणी के सभी स्‍टेशनों से ग्रामीण श्रोताओं पर केन्द्रित खेत और घरेलू कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। वास्‍तव में खेती करने वाले समुदाय की मौसम संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर दिन उन्‍हें जानकारी देने की दिशा में विशेष कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। कृषि उत्‍पादन के लिए आधुनिकतम प्रौद्योगिकी और सूचना के प्रसारण का कार्य इसके खेत और घरेलू कार्यक्रम का निरंतर हिस्‍सा बना हुआ है। इन कार्यक्रमों से न केवल खेती के बारे में जानकारी मिलती है बल्कि इससे किसानों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के अर्थोपाय के बारे में जागरूकता भी लाई जाती है। ये कार्यक्रम प्रतिदिन सुबह दोपहर और रात में प्रसारित किए जाते हैं। खेत और घरेलू प्रसारण की औसत अवधि प्रतिदिन 60 से 100 मिनट है। खेत और घरेलू कार्यक्रमों में ग्रामीण महिलाओं, ग्रामीण बच्‍चों और ग्रामीण युवाओं को भी शामिल किया जाता है।
आकाशवाणी द्वारा मिट्टी और पानी के संरक्षण, स्‍थायी कृषि, जैव प्रौद्योगिकी, फसलों में एकीकृत पीड़क प्रबंधन, फसल बीमा योजना, पर्यावरण सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और ग्रामीण विकास में पंचायतों की भूमिका आदि पर व्‍यापक कार्यक्रम बनाए जाते हैं। ये कार्यक्रम विशेषज्ञ की सहायता से तैयार किए जाते हैं।
आकाशवाणी में मंत्रालयों और केन्‍द्र तथा राज्‍य सरकारों के कृषि एवं ग्रामीण विकास विभागों के साथ नजदीकी संपर्क बनाए रखा जाता है। ये कार्यक्रम स्‍थानीय भाषाओं और बोलियों में तैयार किए जाते हैं और जिन्‍हें अलग अलग स्‍टेशनों से प्रसारित किया जाता है। स्‍थानीय रेडियो स्‍टेशन भी विभिन्‍न व्‍यवस्‍थाओं में ग्रामीण विकास पर नियमित कार्यक्रमों का प्रसारण करते हैं। वार्ताएं, चर्चाएं, बातचीत, साक्षात्‍कार, विशेष कार्यक्रम, धारावाहिक, नाटक, नारे, जिंगल, फोन करने के कार्यक्रम, संगीतमय कार्यक्रम और खेती पर कार्यक्रम आदि आकाशवाणी द्वारा रेडियो के माध्‍यम से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है।
आकाशवाणी ने कृषि विस्‍तार से लेकर जनसमूह समर्थन तक आकाशवाणी से किसानवाणी मानक विशिष्‍ट परियोजना का आरंभ करने सहित कृषि प्रसारण की गतिविधियां 15 फरवरी 2004 को कृषि मंत्रालय के सहयोग से आरंभ की जिसमें किसानों को हर दिन कृषि संबंधी जानकारी, बाजार की दरें, सूक्ष्‍म स्‍तर पर उनके क्षेत्रों में होने वाली दैनिक गतिविधियों की रिपोर्ट दी जाती है। वर्तमान में किसानवाणी का प्रसारण आकाशवाणी के 96 एफएम स्‍टेशनों से किया जा रहा है।
पर्यावरण संबंधी कार्यक्रम
विषय के महत्‍व को देखते हुए आकाशवाणी के सभी स्टेशनों से प्रतिदिन 5 से 7 मिनट तक पर्यावरण पर कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है और पिछले एक दशक से लंबी अवधि के साप्‍ताहिक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। हमारे अन्‍य कार्यक्रमों में पर्यावरण की सुरक्षा के महत्‍व पर चर्चा की जाती है अर्थात स्‍वास्‍थ्‍य/महिलाएं/ग्रामीण महिलाएं/युवा और बच्‍चों के कार्यक्रम से लोगों को इस गंभीर मुद्दे के बारे में जानकारी दी जाती है। आकाशवाणी के स्‍टेशनों से विदेशालय द्वारा जारी अनुदेशों और मार्गदर्शी सिद्धांतों के आधार पर विषय की जानकारी के कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। शहरी और ग्रामीण, दोनों ही क्षेत्र में रहने वाले श्रोताओं को सूचित और शिक्षित करने के लिए, इनके बीच वन के विकास, पुन: वन लगाने, सामाजिक वानिकी, दूरदराज के जंगल तैयार करने आदि की योजनाओं के माध्‍यम से सरकार के संरक्षण पर स्‍वयं उनके अंदर पर्यावरण संबंधी चेतना लाने के लिए इन कार्यक्रमों को रोचक तथा काल्‍पनिक तरीके से प्रस्‍तुत किया जाता है। सभी आकाशवाणी स्‍टेशन विभिन्‍न रूपों जैसे वार्ता, चर्चा, विशेष कार्यक्रम, समाचार, मद, खेल, धारावाहिक आदि जैसे तरीकों से इन कार्यक्रमों का प्रसारण स्‍थानीय भाषाओं में किया जाता है। आकाशवाणी स्‍टेशन को सलाह दी गई है कि वे समय समय पर अपने आप को दोबारा संगठित करें और अपनी अनुसूचियों में पर्यावरण पर कार्यक्रमों को शामिल करें।
परिवार कल्‍याण इकाई
लगभग 225 रेडियो स्‍टेशनों के व्‍यापक नेटवर्क के साथ आकाशवाणी से स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण पर कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। सभी आकाशवाणी स्‍टेशनों से हमारे देश की क्षेत्रीय/स्‍थानीय भाषाओं/बोलियों में कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।
आकाशवाणी के अधिकतम प्रसारण स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण पर होते हैं। इन कार्यक्रमों में सामान्‍य विषयों और विशेष श्रोता कार्यक्रमों को विभिन्‍न रूपों जैसे वार्ताओं, चर्चाओं, विशेष कार्यक्रमों, प्रश्‍नोत्तरी, जिंगल, स्‍पॉर्ट्स, संक्षिप्‍त कथाओं, नाटक, सफलता कथाओं, फोन करने के कार्यक्रम आदि के तौर पर शामिल किया जाता है। इसके अतिरिक्‍त आकाशवाणी के स्‍टेशनों में स्‍थानीय रेडियो स्‍टेशन सहित विषय वस्‍तुओं पर भी नियमित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
एक संसाधन सामग्री के रूप में सभी प्रमुख स्‍टेशनों पर राष्‍ट्रीय संचार कार्यनीति भेजी गई है, जिसमें नई संचार नीति पर प्रकाश डाला गया है। सभी आकाशवाणी स्‍टेशनों को ताजा अनुदेश जारी किए गए हैं कि वे परिवार के छोटे आकार, गर्भावस्‍था की रोकथाम की विधियों, नसबंदी जैसे विषयों पर अधिक ध्‍यान दें, क्षेत्र आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण बढ़ाया जाए (परिवार नियोजन के लाभार्थियों के साथ साक्षात्‍कार), भोजन में पोषण का महत्‍व, बच्‍चों की देखभाल, टीकाकरण, स्‍तनपान और विवाह की उम्र बढ़ाना आदि पर कार्य करें।
महिलाओं के कार्यक्रम
सभी स्‍टेशनों से ग्रामीण महिलाओं औरशहरी महिलाओं के लिए संबंधित लक्ष्‍य समूह द्वारा सुने जाने के लिए सुविधाजनक समय पर कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। महिला श्रोताओं पर निर्देशित कार्यक्रम में सामाजिक-आर्थिक विकास, महिलाओं में स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्याण की जागरूकता, खाद्य और पोषण, वैज्ञानिक गृह प्रबंधन, महिला उद्यमी, शिक्षा और इसके साथ वयस्‍क शिक्षा, लिंग संबंधी मुद्दे आदि शामिल है। इन कार्यक्रमों का लक्ष्‍य कानूनी साक्षरता को बढ़ा कर महिलाओं को उनके अधिकारों और लाभों के बारे में सामाजिक जागरूकता के जरिए सहायता देना है।
आकाशवाणी अपने कार्यक्रमों के माध्‍यम से महिला के प्रति देश में लोगों की सामाजिक चेतना को बढ़ाने का इच्‍छुक है। विशेष रूप से ग्रामीण महिला श्रोताओं की जानकारी हेतु विभिन्‍न पारम्‍परिक लोक रूप उपयोग किए जाते हैं।
महिला कार्यक्रमों का मुख्‍य भाग बनाने के अलावा आम तौर पर महिलाओं के सामने आने वाली समस्‍याएं और महिलाओं के प्रति सामाजिक मनोवृत्ति में बदलाव की जरूरत भी सामान्‍य प्रसारणों का अविभाज्‍य हिस्‍सा हैं। विशेष कार्यक्रमों और सामान्‍य श्रोता कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है जिसमें महिलाओं के प्रति सामाजिक मनोवृत्ति को बदलने और व्‍यवहारगत प्रथाओं में सुधार लाने पर ध्‍यान केन्द्रित किया जाता है।
बच्‍चों के कार्यक्रम
आकाशवाणी पर बच्‍चों के लिए नियमित रूप से कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। महिलाओं और सामान्‍य श्रोताओं को संबोधित कार्यक्रमों में मां और बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य तथा देखभाल के विषय में कार्यक्रमों पर बल दिया जाता है। हमारे प्रसारणों में टीकाकरण और प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा पर कार्यक्रम शामिल किए जाते हैं।
निम्‍नलिखित कार्यबिन्‍दुओं को ध्‍यान में रखते हुए कार्यक्रमों की योजना बनाई जाती है‍:
बच्‍चों के अधिकारी का संरक्षण, विशेष रूप से बाल श्रम के विषय में
विकलांग बच्‍चों को सहायता और देखभाल देना
कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्‍चों को सहायता और देखभाल देना
महिलाओं को समान अधिकार और लड़कियों को बराबरी का दर्जा देना
बच्‍चों की मूल शिक्षा में सार्वत्रिक पहुंच और बालिकाओं की शिक्षा पर अधिक ध्‍यान देना
सुरक्षित मातृत्‍व, परिवार नियोजन
बच्‍चों के लिए सुरक्षित और समर्थनकारी परिवेश प्रदान करना
परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार और आत्‍म निर्भर समाज
बच्‍चे के बेहतर भविष्‍य के लिए राष्‍ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
सुरक्षित पेय जल सुविधा और मल निपटान के स्‍वच्‍छ साधन
सामाजिक जागरूकता फैलाने के लिए पूरे वर्ष नियमित अंतराल पर निरंतर आधार पर प्रसारण के दौरान चर्चाओं, मेज़बानी, वार्ता, छोटी क‍हानियों, जिंगल, स्‍पॉट आदि, जैसे विभिन्‍न रूपों में बालिकाओं की स्थिति और उनके महत्‍व पर केन्द्रित विशेष कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं। आकाशवाणी के प्रसारणों में तीन श्रेणियों में बच्‍चों के कार्यक्रम इसके सभी स्‍टेशनों से प्रसारित किए जाते हैं, जो हैं 5 से 7 वर्ष के बीच आयु वाले बच्‍चों के लिए, 8 से 14 वर्ष की आयु वाले बच्‍चों के लिए तथा ग्रामीण बच्‍चों के लिए कार्यक्रम। इनमें से कुछ कार्यक्रमों का प्रसारण साप्‍ताहिक आधार पर किया जाता है। नाटक, छोटी कहानियां, विशेष कार्यक्रम, समूह गीत, साक्षात्‍कार, धार्मिक ग्रंथों से ली गई कहानियां आदि इन प्रसारणों का हिस्‍सा हैं।
आकाशवाणी वार्षिक पुरस्‍कार
आकाशवाणी के स्‍टेशनों द्वारा प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की विभिन्‍न श्रेणियों में प्रतिवर्ष वार्षिक पुरस्‍कार प्रदान किए जाते हैं। लोक सेवा प्रसारण और गांधी वादी विचारधारा के पुरस्‍कार आकाशवाणी प्रसारण गृह, नई दिल्‍ली में 12 नवम्‍बर 1947 को महात्‍मा गांधी के प्रथम आगमन को मनाने के लिए दिए जाते हैं।
प्रशासन
महिला कर्मचारियों की सेवा शर्तें
प्रसार भारती द्वारा अपने म‍हिला कर्मचारियों को सशक्‍त बनाने के सभी प्रयास किए जाते हैं। प्रसार भारती में महिला कर्मचारियों को सभी अनुभागों में महत्‍वपूर्ण पदों पर रखा गया है।
आकाशवाणी में समूह क और ख में महिलाओं का प्रतिशत लगभग 25.4 है। कार्यक्रम विंग, प्रशासनिक विंग और विपणन प्रभाग, महानिदेशालय में:
नई दिल्‍ली स्थित आकाशवाणी का नेतृत्‍व महिला अधिकारियों द्वारा किया जाता है। एसएजी अर्थात संयुक्‍त सचिव स्‍तर के पद पर यहां तीन वरिष्‍ठ महिला अधिकारी कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्‍त निदेशक ग्रेड की चार महिला अधिकारियों को उप म‍हानिदेशक का अतिरिक्‍त प्रभार दिया गया है। प्रसार भारती के हैदराबाद और कोलकाता स्थित विपणन प्रभाग का नेतृत्‍व भी महिला अधिकारी करती हैं, जो आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए वाणिज्यिक कार्यों के जरिए राजस्‍व उत्‍पादन के लिए उत्तरदायी हैं। कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (कार्यक्रम) दिल्‍ली और भुवनेश्‍वर स्थित आरटीआई (पी) का नेतृत्‍व महिला कार्यक्रम अधिकारी करती हैं। आकाशवाणी भोपाल, गैंगटोक, जयपुर, लखनऊ, मुम्‍बइ, पटना, पुडुचेरी और श्रीनगर में महिला कार्यक्रम अधिकारियों के नेतृत्‍व में कार्य किया जाता है। आकाशवाणी के विदेश सेवा प्रभाग को भी एक महिला कार्यक्रम अधिकारी संभाल रही हैं। इसके अलावा बड़ी संख्‍या में उप निदेशक (कार्यक्रम) और उप निदेशक (अभियांत्रिकी) हैं। इस प्रकार आकाशवाणी में महिलाएं गतिविधियों के प्रत्‍येक क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और वे महत्‍वपूर्ण पदों पर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं।
दक्षता और कार्य की गुणवत्ता के संदर्भ में महिलाएं पुरुषों के साथ समानता रखती हैं और उनके ही समान हैं। महिलाओं की कार्य क्षमता के विषय में किसी भी तरफ से कोई भी शिकायत नही हैं। दूसरी ओर महिलाओं के लिए ऐसे विशेष क्षेत्र हैं जैसे कि उदघोषणा, समाचार उत्‍पादन, संगीत और कार्यक्रम निर्माण आदि।
वास्‍तव में आकाशवाणी महिलाओं के रोजगार के संदर्भ में अन्‍य संगठनों के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर है।
अंतरराष्‍ट्रीय संबंध इकाई
महानिदेशक की अंतरराष्‍ट्रीय संबंध इकाई; आकाशवाणी वर्ष 2008 के दौरान आकाशवाणी से संबंधित वचनबद्धताओं और अंतरराष्‍ट्रीय गतिविधियों के समन्‍वय में काफी सक्रिय रहा। विदेश में कई अंतरराष्‍ट्रीय आयोजनों में आकाशवाणी के अनेक अधिकारियों ने भाग लिया।
अंतरराष्‍ट्रीय संबंध इकाई भारत सरकार और अन्‍य देशों के बीच हस्‍ताक्षरित सीईपी करारनामें के तहत विभिन्‍न देशों के अन्‍य प्रसारण संगठनों के साथ रेडियो कार्यक्रमों के आदान प्रदान का समन्‍वय भी करती है। वर्तमान में ऐसे 41 देश हैं जिनके साथ भारत सरकार ने सांस्‍कृतिक कार्यक्रम आदान प्रदान करारनामा किया है जिसमें रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में सहयोग किया जाना है।
इस अवधि के दौरान अनेक देशों के उच्‍च स्‍तरीय शिष्‍ट मंडलों ने आकाशवाणी में दौरा किया और आकाशवाणी/प्रसार भारती के साथ बेहतर सहयोग के मार्गों की खोज की। अन्‍य देशों के अनेक संगठनों ने आकाशवाणी के प्रसारण सामर्थ्‍य को अपने नेटवर्क में उपयोग करने में रुचि दिखाई है।
श्रोत अनुसंधान इकाई
सबसे बड़ा फीड बैक और अनुसंधान सहायक नेटवर्क
बाजार से प्रेरित प्रसारण के युग में मीडिया संगठनों के‍ लिए संभव नहीं है कि वे अपने श्रोताओं की नब्‍ज पहचाने बिना और बाजार को जाने बिना यहां गुजारा कर सकें। इससे मीडिया संगठनों, विशेष रूप से इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया को यह जानने के लिए अनिवार्य अनुसंधान कराना पड़ा कि वे अपने कार्यक्रमों की व्‍यूवर शिप/लिसनर शिप को जान सकें और उनके लिए बाजार की संभावना को पहचान सकें। कोई भी प्रसारण एजेंसी व्‍यूवरशिप/लिसनर शिप को जाने बिना तेजी से आगे नहीं बढ़ सकती हैं।
रेडियो प्रसारण का मामला भी इससे अलग नहीं है, प्रतिस्‍पर्द्धा दिन पर दिन तगड़ी होती जा रही है और अधिक से अधिक निजी रेडियो स्‍टेशनों के खुलने से इस पर दबाव बढ़ गया है, किन्‍तु देश भर में कोई भी रेडियो प्रसारण एजेंसी आकाशवाणी की तुलना में आगे नहीं बढ़ सकी है, जिसका इतना बड़ा श्रोता फीड बैक और अनुसंधान सहायक नेटवर्क है। आकाशवाणी की श्रोता अनुसंधान इकाई तत्‍काल फीड बैक और अनुसंधान सहायता न केवल अपने आंतरिक कार्यक्रम आयोजनाकारों और निर्माताओं को देती है बल्कि यह अपने प्रायोजकों, विज्ञापन दाताओं और विपणनकर्ताओं को भी जानकारी प्रदान करती है।
बदलते हुए जनसंचार परिदृश्‍य के साथ, विशेष रूप से बाजार उन्‍मुख प्रसारण के लिए, आकाशवाणी की श्रोता अनुसंधान इकाई में स्‍वयं को एक नया रूप दिया है। अब प्रायोजकों, विज्ञापनदाताओं और विपणनकर्ताओं के बीच अपने लिए एक जगह बना लें और बदलावों को अपनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यह विभिन्‍न एजेंसियों द्वारा हाल ही में श्रोता अनुसंधान इकाइयों को सौंपे गए अध्‍ययन कार्यों से स्‍पष्‍ट है।
प्रायोजित अध्‍ययनों के अलावा श्रोता अनुसंधान नेटवर्क द्वारा नियमित रूप से रेडियो लिसनरशिप सर्वेक्षण कराए जाते हैं ताकि कार्यक्रम निर्माताओं और विज्ञापन दाताओं को आकाशवाणी पर विज्ञापन देने में रुचि बनाए रखने के लिए अद्यतन आंकड़े प्रदान किए जा सकें।
कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (तकनीकी)
दिल्‍ली स्थित कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (तकनीकी) अभियांत्रिकी कार्मिकों की आवश्‍यकताओं को पूरा किया जाता है। प्रशिक्षण सुविधाओं को विस्‍तारित करने के लिए भुवनेश्‍वर, शिलांग और मुम्‍बई में क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्‍थानों की स्‍थापना की गई है।
दिल्‍ली का संस्‍थान 1948 में स्‍थापित किया गया था और तब से यह इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया में तकनीकी प्रशिक्षण के लिए उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र बन गया है। सुसंगठित पुस्‍तकालय और एक कम्‍प्‍यूटर केन्‍द्र सहित यहां उन्‍नत मल्‍टीमीडिया उपकरण संस्‍थान के भाग के रूप में उपलब्‍ध हैं।
संस्‍थान द्वारा विभागीय प्रत्‍याशियों और समान प्रकार के विदेशी संगठनों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विभिन्‍न क्षेत्र कार्यालयों में कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाता है। संस्‍था द्वारा प्रत्‍यक्ष भर्ती अभियांत्रिकी सहायकों के लिए भर्ती परीक्षा का आयोजन किया जाता है तथा साथ ही अधीनस्‍थ अभियांत्रिकी केडर में पदोन्‍नति के लिए विभागीय प्रतिस्‍पर्द्धा परीक्षाओं का आयोजन भी किया जाता है। क्षेत्रीय संस्‍थानों द्वारा कम्‍प्‍यूटरीकृत हार्ड डिस्‍क आधारित रिकॉर्डिंग, संपादन और पुन: चलाने की प्रणाली जैसे उपयोग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान कार्यक्रम
कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (कार्यक्रम), की स्‍थापना दिल्‍ली में 1948 के दौरान महानिदेशक, आकाशवाणी, नई दिल्‍ली के एक संलग्‍न कार्यालय के रूप में की गई थी। इसे 01.01.1990 में एक अधीनस्‍थ कार्यालय घोषित किया गया। दिल्‍ली के साथ भुवनेश्‍वर में स्थि‍त कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (कार्यक्रम) और अहमदाबाद, हैदराबाद, लखनऊ, शिलॉन्‍ग और तिरुवनंपुरम के पांच अन्‍य क्षेत्रीय शिक्षण संस्‍थान आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी कार्यक्रम और प्रशासनिक केडर को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
इस वर्ष आंतरिक प्रशिक्षण में खेल कार्यक्रमों, बदलाव के प्रबंधन, विपणन प्रबंधन, नेगम कार्य संस्‍कृति, डिजिटल प्रसारण, आधुनिक प्रस्‍तुतीकरण तकनीकों, वाणी संस्‍कृति, प्रसारण प्रबंधन, नवाचारी कार्यक्रम, कार्यक्रम पैकेजिंग और प्रवर्तन, अंत:क्रियात्‍मक और प्रतिभागिता कार्यक्रम, विकास कार्यक्रम और रेडियो जॉकी तथा टीवी एंकरिंग पर बल दिया गया।
अब एसटीआई (पी) ने स्‍वयं को बाहरी एजेंसियों के लिए एक व्‍यावसायिक प्रशिक्षक के रूप में स्‍थापित किया है। यह संस्‍थान इग्‍नू और भारतीय वायु सेना को क्रमश: कार्यक्रम निर्माण और वाणी संस्‍कृति प्रशिक्षण प्रदान करता है। इसके अलावा व्‍याव‍सायिक जुड़ाव भी मान्‍यता प्राप्‍त संस्‍थाना और विश्‍व विद्यालय शिक्षण प्रसारण पत्रकारिता के लिए खोले हैं। मौलाना आजाद राष्‍ट्रीय उर्दू विश्‍वविद्यालय, हैदराबाद के लिए कार्यक्रम रूपरेखा पर विशेष पाठ्यक्रम तैयार किए गए थे।
अप्रैल 2007 से मार्च 2008 के बीच एसटीआई (पी) ने सभी स्रोतों से एक करोड़ रु. से अधिक का निवल राजस्‍व अर्जित किया है।
अप्रैल 2007 से मार्च 2008 के बीच की अवधि में एसटीआई (पी), दिल्‍ली ने आकाशवाणी और दूरदर्शन के कर्मचारी प्रशिक्षण संस्‍थान (तकनीकी) के साथ 8 पाठ्यक्रमों का समन्‍वय किया। यह पाठ्यक्रम हार्ड डिस्‍क आधारित रिकॉर्डिंग प्रणालियों, कार्यक्रम निर्माण तकनीकों और आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारियों के लिए डिजिटल कार्यक्रम पुस्‍तकालय पर था और इसमें आकाशवाणी के 120 कार्यक्रम अधिकारियों को इन विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया।

Cinema In India


भारत में सिनेमा
फिल्‍म प्रभाग
1943 में स्‍थापित 'इंडियन न्‍यू परेड' तथा 'इंफॉर्मेशन फिल्‍म्‍स ऑफ इंडिया' का पुन: नामकरण कर जनवरी, 1948 में फिल्‍म प्रभाग का गठन किया गया। सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1918 का 1952 में भारतीयकरण किया गया जिसके तहत् वृत्तचित्र फिल्‍मों का पूरे देश में प्रदर्शन करना अनिवार्य कर दिया गया
फिल्‍म प्रभाग, 1949 में देश भर के थियेटरों में 15 राष्‍ट्रीय भाषाओं में हर शुक्रवार को एक वृत्‍तचित्र या एनिमेशन फिल्‍म या समाचार आधारित फिल्‍म जारी करता है। प्रभाग ने वस्‍तुत: स्‍वतंत्रता पश्‍चात का पूरा इतिहास तैयार किया है। इसका मुख्‍यालय मुंबई में है। यह निर्माण, स्‍टूडियो, रिकॉर्डिंग थियेटर, संपादन कक्ष, एनिमेशन एकक, कैमरे, वीडियो सेटअप, पूर्व दर्शन थियेटर जैसी सुविधाओं से लैस है। प्रभाग 15 भारतीय भाषाओं में फिल्‍मों की डबिंग भी स्‍वयं करता है।
फिल्‍म प्रभाग की कहानी स्‍वतंत्रता के समय से देश के घटनापूर्ण समय के साथ तालमेल रखती है और यह 60 वर्ष से अधिक पुरानी है। यह प्रभाग भारतीय जनता के व्‍यापक भाग को राष्‍ट्र निर्माण की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की सूची बनाने के विचार से प्रेरित करता आया है। इस प्रभाग के लक्ष्‍य और उद्देश्‍य राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍यों पर केन्द्रित है और ये राष्‍ट्रीय कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन में लोगों को शिक्षित और प्रेरित करने एवं भारतीय तथा विदेशी दर्शकों को भूमि की छवि तथा विरासत प्रदर्शित करने के लिए हैं। यह प्रभाग लघु फिल्‍म आंदोलन की वृद्धि में भी पोषित करने पर लक्षित है जो राष्‍ट्रीय सूचना, संचार तथा समेकन के क्षेत्र में भारत के लिए अत्‍यंत महत्‍व रखते हैं।
प्रभाग द्वारा लघु फिल्‍मों, संखिप्‍त फिल्‍मों, एनिमेशन फिल्‍मों तथा समाचार पत्रिकाओं का निर्माण मुम्‍बई स्थित मुख्‍यालय से और रक्षा तथा परिवार कल्‍याण पर फिल्‍में दिल्‍ली इकाई में तैयार की जाती हैं और कोलकाता एवं बैंगलोर में स्थित क्षेत्रीय निर्माण केन्‍द्रों से ग्रामीण दर्शकों के लिए संक्षिप्‍त काल्‍पनिक फिल्‍में तैयार की जाती हैं। यह प्रभाग देश भर के लगभग 8500 से अधिक सिनेमा हॉलों का आपूर्ति करने के साथ गैर-नाट्य वृत्तों जैसे क्षेत्र प्रचार निदेशालय, राज्‍य सरकारी की चल इकाइयों, दूरदर्शन, परिवार कल्‍याण विभाग का क्षेत्र इकाइयों, शैक्षिक संस्‍थानों, फिल्‍म संस्‍थाओं और स्‍वयंसेवी संगठनों को भी आपूर्ति करता है। राज्‍यों सरकारों की लघु फिल्‍में और समाचार रीलें भी नाट्य वृत्तों में प्रभाग की निर्मुक्तियों में दिखाई जाती हैं। इस प्रभाग में भारत तथा विदेशों को लघु फिल्‍मों और फीचर फिल्‍मों के प्रिंट, स्‍टॉक शॉट्स, वीडियो कैसिट और लघु फिल्‍मों और फीचर फिल्‍मों के वितरण अधिकार की ब्रिकी भी की जाती है। फिल्‍मों के निर्माण के अलावा फिल्‍म प्रभाग अपने स्‍टुडियो, रिकॉर्डिंग थियेटर, संपादन कक्ष और अन्‍य सिनेमा संबंधी उपकरण निजी फिल्‍म निर्माताओं को किराए पर भी देता है।
सूचना और प्रचारण मंत्रालय, भारत सरकार ने लघु फिल्‍मों, संक्षिप्‍त और एनिमेशन फिल्‍मों के लिए एमआईएफएफ आयोजित करने का कार्य फिल्‍म प्रभाग को सौंपा है।
एमआईएफएफ प्रतियोगिता का लक्ष्‍य व्‍यापक ज्ञान में छवियों के योगदान का प्रसार और दुनिया के देशों के बीच आपसी भाईचारे की भावना को लाना है। यह आयोजन फिल्‍म निर्माताओं, फिल्‍म उत्‍पादकों, वितरकों, प्रदर्शकों तथा फिल्‍म आलोचकों को विभिन्‍न देशों से आकर मिलने का एक अनोखा मंच प्रदान करता है जो इस महोत्‍सव के दौरान आपस में अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं। पिछले कई वर्षों से एमआईएफएफ फिल्‍म निर्माताओं के कार्यों को प्रदर्शित करने, अपने विचारों के आदान प्रदान का एक वरीयता प्राप्‍त तथा बहु प्रतीक्षित आयोजन है। एमआईएफएफ ने अपनी ऐतिहासिक यात्रा 1990 में आरंभ की और तब से यह लघु फिल्‍म आंदोलन के अंतरराष्‍ट्रीय आयोजनों के आकार तक बड़ा हो गया है। द्विवर्षीय एमआईएफएफ में बड़ी संख्‍या में जाने माने लघु फिल्‍म निर्माता तथा संक्षिप्‍त फिल्‍म निर्माता और बुद्धिजीवी, छात्र आते हैं जो भारत के अलावा दुनिया के अन्‍य हिस्‍सों से भी होते हैं। लगभग 35-40 देशों से 500 से अधिक प्रविष्टियां इस महोत्‍सव के प्रत्‍येक संस्‍करण में आती है। संक्षिप्‍त फिल्‍मों, लघु फिल्‍मों और एनिमेशन के लिए एमआईएफएफ के दसवें संस्‍करण का आयोजन 3 फरवरी 2008 को महाराष्‍ट्र सरकार के सहयोग से मुंबई में नेशनल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्टस (एनसीपीए) में किया गया।
प्रभाग के संगठन को निम्‍नलिखित चार विंगों में बांटा गया है:
उत्‍पादन
वितरण
अंतरराष्‍ट्रीय लघु फिल्‍म, संक्षिप्‍त और एनिमेशन फिल्‍म महोत्‍सव और
प्रशासन
उत्‍पादन विंग
उत्‍पादन विंग निम्‍नलिखित प्रकार की फिल्‍मों के उत्‍पादन के लिए उत्तरदायी है
लघु फिल्‍म
विशेष रूप से ग्रामीण दर्शकों के लिए बनाई गई छोटी फीचर फिल्‍मे
एनिमेशन फिल्‍में और
वीडियो फिल्‍म
मुम्‍बई में मुख्‍यालय के अतिरिक्‍त प्रभाग के तीन उत्‍पादन केन्‍द्र बैंगलोर, कोलकाता और नई दिल्‍ली में स्थित है।
कृषि से लेकर कला और वास्‍तुकला, उद्योग से लेकर अंतरराष्‍ट्रीय परिदृश्‍यों, भोजन से लेकर त्‍यौहारों तक, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल से आवास तक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लेकर खेलों तक, व्‍यापार और वाणिज्यिक से लेकर परिवहन तक, जनजातीय कल्‍याण से लेकर समुदाय विकास तक आदि विषय और विषयवस्‍तुओं को इन लघु फिल्‍मों शामिल किया जाता है। सामान्‍यत: प्रभाग द्वारा देश भर के स्‍वतंत्र निर्माताओं को आबंटन के लिए इसकी उत्‍पादन अनुसूची का 40 प्रतिशत के आस पास भाग आरक्षित किया जाता है, ताकि अलग अलग प्रतिभाओं को प्रोत्‍साहन दिया जा सके और देश में लघु फिल्‍म आंदोलन को बढ़ावा दिया जा सके।
सामान्‍य निर्माण कार्यक्रम के अतिरिक्‍त प्रभाग द्वारा सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों सहित सार्वजनिक क्षेत्र संगठनों को लघु फिल्‍मों के उत्‍पादन में सहायता दी जाती है।
फिल्‍म प्रभाग का न्‍यूजरील विंग मुख्‍य शहरों और कस्‍बों के साथ राज्‍य तथा संघ राज्‍य क्षेत्रों की राजधानियों में फैला हुआ है जो प्रमुख घटनाओं के कवरेज में शामिल है। यह देश के विभिन्‍न भागों में अतिविशिष्‍ट अतिथियों आदि के आगमन और इनकी विदेश यात्रा तथा प्राकृतिक आपदाओं आदि का कवरेज भी करता है। इन कवरेज रीलों का उपयोग पाक्षिक समाचार पत्रिकाओं को बनाने एवं पुरातात्‍विक सामग्री के संकलन में भी किया जाता है।
फिल्‍म प्रभाग की लोकप्रिय कार्टून फिल्‍म इकाई में भी सैल या पुरानी एनिमेशन के स्‍थान पर कंप्‍यूटर एनिमेशन के साथ उच्‍च प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल किया गया है। हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों में आधुनिक टेक्‍नोलॉजी से लैस यह इकाई अब ओपस, कंसर्टों, हाई एंड तथा माया सहित समुन्‍नत सॉफ्टवेयर के साथ 2-डी तथा 3-डी एनिमेशन का निर्माण कर सकती है।
कमेंटरी अनुभाग में फिल्‍मों तथा समाचार पत्रिकाओं की डबिंग का कार्य किया जाता है जो 14 भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं में मूल संस्‍करण (अंग्रेजी/हिन्‍दी) से किया जाता है।
प्रभाग की दिल्‍ली स्थित इकाई को रक्षा मंत्रालय और स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण विभाग तथा अन्‍य मंत्रालयों / विभागों के लिए अनुदेशात्‍मक तथा प्रेरणात्‍मक फिल्‍में बनाने का दायित्‍व सौंपा गया है। बदलते हुए परिदृश्‍य को अपनाने के विचार से इस इकाई को वीडियो फिल्‍म बनाने की सुविधा से सज्जित किया गया है।
कोलकाता और बैंगलोर स्थित प्रभाग के क्षेत्रीय केन्‍द्र सामाजिक और राष्‍ट्रीय मुद्दों जैसे परिवार कल्‍याण, सामुदायिक सौहार्द, दहेज, बंधुआ मजदूर, अस्‍पृश्‍ता आदि के संदेश फैलाने के लिए सामाजिक तथा शैक्षिक लघु फिल्‍में भी तैयार करते हैं।
वितरण विंग
वितरण विंग का नेतृत्‍व वितरण के प्रभारी अधिकारी करते हैं और यह कोलकाता, लखनऊ, नागपुर, मुम्‍बई, हैदराबाद, विजयवाड़ा, बैंगलोर, चेन्‍नई, मदुरै और तिरुवनंतमपुरम में स्थित 10 वितरक शाखा कार्यालयों का नियंत्रण भी करते हैं। इन शाखाओं का नेतृत्‍व या तो वरिष्‍ठ शाखा प्रबंधक अथवा शाखा प्रबंधक करते हैं जो कार्यालय प्रमुख के अलावा संबंधित शाखाओं के डीडीओ के तौर पर भी कार्य करते हैं और वे सभी सिनेमा थियेटरों में अनुमोदित फिल्‍मों की आपूर्ति के लिए उत्तरदायी हैं (जो केन्‍द्रीय सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत आवश्‍यक है), करारनामे का निष्‍पदन, फिल्‍म प्रभाग प्रमाणपत्र जारी करना और साथ ही प्रदर्शकों से एक प्रतिशत का किराया जमा करना।
फिल्‍म प्रभाग द्वारा 52 अनुमोदित फिल्‍मों के 262 प्रिंट (कुल 13676) जिन्‍हें एनएफडीसी की 8 फिल्‍मों (कुल 2024 प्रिंट) के साथ देश भर में 8410 सिनेमा गृहों में प्रति सप्‍ताह जारी किए गए हैं, जिनसे मार्च 2008 तक 6,01,42,481 रु. की कमाई हुई है।
वितरण विंग ने स्‍वयं को पुन: परिभाषित किया है और फिल्‍म महोत्‍सवों को राज्‍य और जिला स्‍तर पर एक नियमित गतिविधि बना दिया है, जो स्‍वतंत्र रूप से या गैर सरकारी संगठनों, फिल्‍म संस्‍थाओं, शैक्षिक संस्‍थानों आदि के सहयोग से जन समूह तक पहुंचने और लघु फिल्‍म आंदोलन को प्रोत्‍साहन तथा बढ़ावा देने के लिए आयोजित किए जाते हैं। वितरण शाखा कार्यालयों ने मार्च 2008 तक 50 फिल्‍म महोत्‍सवों का आयोजन किया जो भारत के सबसे दूरदराज के स्‍थानों तक भी पहुंचें। इन फिल्‍म महोत्‍सवों को सभी वर्गों के दर्शकों से प्रशंसा मिली।
फिल्‍म लाइब्रेरी अनुभाग
फिल्‍म प्रभाग की फिल्‍म लाइब्रेरी भारत के समकालीन इतिहास और इसकी समृद्ध विरासत एवं कलापूर्ण परम्‍परा का मूल्‍यवान पुरातात्‍विक खजाना है। इसकी मांग पूरी दुनिया के फिल्‍म निर्माताओं के बीच है। यह स्‍टॉक फुटेज बिक्री के माध्‍यम से राजस्‍व अर्जित करने के अलावा सेवाएं प्रदान कर फिल्‍मों के निर्माण के लिए महत्‍वपूर्ण फुटेज का योगदान देता है। फिल्‍म लाइब्रेरी का कुल संग्रह 8200 शीर्षकों के लगभग 1.9 लाख मदों का है, जिसमें मूल चित्रों के नेगेटिव, डेपू / इंटरनेगेटिव, साउंड नेगेटिव, मास्‍टर इंटर पॉजिटिव, संतृप्‍त प्रिंट, प्री डब साउंड ने‍गेटिव, 16 मि.मी. प्रिंट, लाइब्रेरी प्रिंट और आंसर प्रिंट आदि इन फिल्‍मों को पुरातात्‍विक मूल्‍य के आधार पर सर्वाधिक कीमती, कीमती और सामान्‍य फिल्‍मों की श्रेणी में बांटा गया है। सर्वाधिक कीमती श्रेणी की 1102 फिल्‍मों को उच्‍च परिभाषा के फॉर्मेट में डिजीटल रूप में भंडारित किया गया है और 4213 शीर्षकों को मानक परिभाषा फॉर्मेट में अंतरित किया गया है। यह लाइब्रेरी प्रयोक्‍ता अनुकूल कम्‍प्‍यूटरीकृत सूचना प्रणाली का उपयोग करती है। फिल्‍म लाइब्रेरी के विवरण वेबसाइट पर भी उपलब्‍ध हैं।
प्रशासनिक विंग
प्रशासनिक विंग द्वारा वित्त, कार्मिक, भंडार, लेखा, कारखाना प्रबंधन और सामान्‍य प्रशासन जैसी अनिवार्य सु‍विधाएं प्रदान की जाती हैं। यह विंग वरिष्‍ठ प्रशासनिक अधिकारी के प्रत्‍यक्ष नियंत्रण में है, जिनकी सहायता निम्‍नलिखित अधिकारी करते हैं:
सहायक प्रशासनिक अधिकारी, जो कार्मिक प्रबंधन, क्रय, सामान्‍य प्रशासन, सतर्कता और सुरक्षा से संबंधित मामलों की देखभाल करते है
वित्त और लेखा के मामलों में आं‍तरिक महोत्‍सव सलाहकार के परामर्श में लेखा
केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड
सिनेमाटोग्राफ अधिनियम 1952 के तहत् स्‍थापित केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड, भारत में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्‍मों का प्रमाणन करता है। बोर्ड में एक अध्‍यक्ष और 25 अन्‍य गैर सरकारी अधिकारी होते हैं। बोर्ड का मुख्‍यालय मुंबई में है और इसके नौ क्षेत्रीय कार्यालय - बैंगलोर, मुंबई, नई दिल्‍ली, कोलकाता, हैदराबाद, चैन्‍नई, तिरुवनंतपुरम, कटक तथा गुवाहाटी में हैं। सलाहाकर पैनल फिल्‍मों की जांच में क्षेत्रीय कार्यालयों की सहायता करते हैं। इन पैनलों में समाज के विभिन्‍न वर्गों के लोग शामिल होते हैं। जानी मानी फिल्‍मी ह‍स्‍ती श्रीमती शर्मिला टैगोर वर्तमान में बोर्ड की अध्‍यक्षा के रूप में कार्यरत हैं।
सिनेमाटोग्राफ अधिनियम 1952 के अनुच्‍छेद 5बी (2) के तहत् केंद्र सरकार द्वारा जारी सांविधिक दिशानिर्देशों का उल्‍लंघन किए जाने के कारण 43 भारतीय और 16 विदेशी फीचर फिल्‍मों के प्रमाणपत्र नामंजूर किए गए। इनमें से कुछ को बाद में संशोधन के बाद प्रमाणपत्र दे दिए गए।
केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड के सदस्‍यों की 108वीं बैठक हैदराबाद में 27 मार्च, 2006 को हुई। केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड के सदस्‍यों की 109वीं बैठक बैंगलोर में 31 जुलाई, 2006 को हुई। केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड के सदस्‍यों की 110वीं बैठक पुडुचेरी में 17 दिसंबर, 2006 को हुई। सभी बैठकों श्रीमती शर्मिला टेगौर जो बोर्ड की अध्‍यक्षा के सामने हुई।
फिल्‍मों के निरीक्षण के लिए सलाहकार पैनल के सदस्‍यों के लिए कार्य गोष्‍ठी का आयोजन किया गया। सलाहकार पैनल के सदस्‍यों तथा निरीक्षण अधिकारियों के लिए पिछले वर्ष विभिन्‍न क्षेत्रीय केंद्रों में कार्य गोष्ठियां आयोजित की गई। इस दौरान फिल्‍मों के निरीक्षण से संबद्ध विभिन्‍न मुद्दों पर चर्चा की गई और फिल्‍मों को प्रमाणपत्र देने संबंधी विभिन्‍न दिशानिर्देशों को समझाने के लिए कुछ चुनिदां फिल्‍मों से काटे गए हिस्‍से दिखाए गए। इन कार्य गोठिष्‍यों में अनुशासन और आचार संहिता पर अमल की आवश्‍यकता पर बल दिया गया।
सिनेमेटोग्राफ अधिनियम के तहत् न तो बोर्ड और न ही केंद्र सरकार के पास फिल्‍मों के प्रदर्शन के समय बोर्ड के फैसले लागू करने का अधिकार है। यह अधिकार राज्‍य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को दिया गया है। बोर्ड ने फिल्‍मों में अंतर्वेशन की पहचान को व्‍यवस्थित करने के समय-समय पर प्रयास किए हैं। वर्ष के दौरान सभी नौ क्षेत्रों में प्रतिबंधों का उल्‍लंघन रोकने में प्राइवेट जासूसी एजेंसियों की मदद ली गई।
वर्ष 2006 में जनवरी से दिसंबर तक फिल्‍मों में विभिन्‍न स्‍थानों पर अंतर्वेशन 46 मामले सामने आए और इनकी जांच रिपोर्ट संबंधित न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट को आवश्‍यक कार्रवाई के लिए भेजी गई।
सीबीएफसी का कार्यभार विभिन्‍न चैनलों की फिल्‍मों के प्रमाणन के कारण बढ़ता गया है, जैसा कि मुम्‍बई उच्‍च न्‍यायालय के निर्णय में बताया गया। वीडियो फिल्‍मों के प्रमाणन में वृद्धि 2005 में 4188 से बढ़कर 2006 में 7129 हो गई है। लक्ष्‍य और समय सीमाओं को पूरा करने के लिए प्रमाणन कार्य में तेजी लाने हेतु सीबीएफसी के विभिन्‍न क्षेत्रों में सीबीएफसी ने विभिन्‍न सेटेलाइट चैनलों के कार्य को वितरित किया है। फिल्‍मों के कार्य के निपटान हेतु केन्‍द्रीय सरकार के कार्यालयों से अतिरिक्‍त जांच अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर बुलाया गया है।
राष्‍ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड
राष्‍ट्रीय फिल्‍म विकास निगम लिमिटेड की स्‍थापना 1975 में हुई थी। वर्ष 1980 में भारतीय चलचित्र निर्यात निगम और फिल्‍म वित्त निगम के विलय के बाद इसका पुनर्गठन किया गया। इस निगम का मुख्‍य उद्देश्‍य भारत में सिनेमा की गुणवत्‍ता में सुधार लाना और श्रव्‍य-दृश्‍य तथा संबंधित क्षेत्रों में अति आधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करना है। निगम की मुख्‍य गतिविधियों में शामिल हैं: सामाजिक दृष्टि से उपयुक्‍त विषयों पर रचनात्‍मक व कलात्‍मक उत्‍कृष्‍टता वाली और प्रायोगिक स्‍वरूप वाली बढ़िया फिल्‍मों का वित्त पोषण और निर्माण तथा विभिन्‍न माध्‍यमों से फिल्‍मों का‍ वितरण व प्रसार। राष्‍ट्रीय फिल्‍म विकास निगम उद्योग को नवीनतम प्रौद्योगिकी के अनुरूप आवश्‍यक निर्माण पूर्व और निर्माण पश्‍चात बुनियादी सुविधाएं उपलब्‍ध कराता है। यह फिल्‍म समितियों, राष्‍ट्रीय फिल्‍म सर्किल सप्‍ताहों, भारतीय फिल्‍मों की झांकी और फिल्‍म समारोहों के आयोजन से फिल्‍म संस्‍कृति और फिल्‍मों की समझ विकसित करने के प्रयास करता है।
एनएफडीसी गुणवत्‍ता, विषय वस्‍तु और निर्माण मूल्‍यों दृष्टि से उत्‍कृष्‍ट, कम बजट की फिल्‍मों की अवधारणा को बढ़ावा देता है।
एनएफडीसी वेणु निर्दशित निगम की पिरनामम (मलयालम) को अशदोद अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह इज्रराइल में सर्वश्रेष्‍ठ पटकथा के लिए अंतरराष्‍ट्रीय पुरस्‍कार मिला।
निगम ने सीआईआई के साथ मिलकर आईएफएफआई के दौरान गोवा में फिल्‍म बाजार का आयोजन किया।
एनएफडीसी द्वारा स्‍थापित सिने कलाकार कल्‍याण कोष भारतीय फिल्‍म उद्योग का सबसे बड़ा ट्रस्‍ट है। इसका संग्रहित कोष 4.48 करोड़ रुपए हैं।
फिल्‍म समारोह निदेशालय
फिल्‍म समारोह निदेशालय की स्‍थापना 1973 में की गई। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन इस निदेशालय का उद्देश्‍य, अच्‍छे सिनेमा को प्रोत्‍साहन देना है। इसके लिए यह निम्‍न वर्गों के तहत् अपनी गतिविधियों का संचालन करता है:
अंतरराष्‍ट्रीय भारतीय फिल्‍म समारोह।
राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार तथा दादा साहेब फाल्‍के पुरस्‍कार।
सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम तथा विदेशों में शिष्‍टमंडलों के ज़रिए भारतीय फिल्‍म प्रदर्शन का आयोजन।
भारतीय पनोरमा का चयन।
विदेशों में अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोहों में भागीदारी।
भारत सरकार की ओर से विशेष फिल्‍मों का प्रदर्शन।
प्रिंट संग्रहण तथा अभिलेखन।
ये गतिविधियां, सिनेमा के क्षेत्र में भारत और अन्‍य देशों के बीच विचारों, संस्‍कृति तथा अनुभव के आदान-प्रदान के लिए बेजोड़ मंच प्रदान करती हैं। ये भारतीय सिनेमा को सशक्‍त मंच प्रदान करती हैं
तथा भारतीय फिल्‍मों के लिए व्‍यावसायिक अवसरों को बढ़ावा देती हैं। देश के भीतर इसने विश्‍व सिनेमा की नवीनतम प्रवृत्तियां आम जनता, फिल्‍म उद्योग तथा विद्यार्थियों तक पहुंचने का काम किया है।
भारत का राष्‍ट्रीय फिल्‍म अभिलेखागार
भारत के राष्‍ट्रीय फिल्‍म अभिलेखागार की स्‍थापना फरवरी 1964 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन एक स्‍वतंत्र मीडिया इकाई के रूप में की गई। एनएफएआई का प्राथमिक चार्टर भारतीय सिनेमा की विरासत को प्रदर्शन हेतु सुरक्षित रखना है और यह देश में एक स्‍वस्‍थ फिल्‍म संस्‍कृति के प्रसार के लिए एक केन्‍द्र के रूप में कार्य करता है। सिनेमा के विभिन्‍न पक्षों पर फिल्‍म छात्रवृत्तियों और अनुसंधान को प्रोत्‍साहन देना भी इसकी उद्देश्‍यों का भाग है। भारतीय सिनेमा के साथ विदेशी दर्शकों को परिचित करना और अभिलेखागार के अन्‍य घोषित कार्य में इसे दुनिया भर में और अधिक दृष्‍टव्‍य बनाना शामिल है।
एनएफएआई मई 1969 से अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म अभिलेखागार का सदस्‍य है जो संरक्षण तकनीकी और दस्‍तावेज़ीकरण आदि के बारे में इसे विशेषज्ञों की सलाह उपलब्‍ध कराता है। अभिलेखागार के पास अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म परिरक्षण मानकों के अनुरूप अपना फिल्‍म वॉल्‍ट्स है। रंगीन फिल्‍मों के संरक्षण हेतु विशेष वॉल्‍ट का निर्माण भी जारी है। विश्‍व भर में सिनेमा के बारे में प्रकाशित 25,000 से अधिक पुस्‍तकों की लाइब्रेरी सिनेमा के गंभीर छात्रों के लिए एक वरदान है। लाइब्रेरी में 100 से अधिक भारतीय और विदेशी फिल्‍म पत्रिकाएं आती हैं। केंद्रीय फिल्‍म प्रमाणन बोर्ड से प्राप्‍त भारतीय और विदेशी फिल्‍मों की 30,000 से अधिक पटकथाएं भी अभिलेखागार में सुरक्षित हैं।
यह पुरातत्‍व विभाग का कार्य है कि संग्रह को समृद्ध बनाने के लिए राष्‍ट्रीय तथा अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍मों की खोज और अधिग्रहण करें। विश्‍व भर में सिनेमा के बारे में प्रकाशित 30,000 से अधिक पुस्‍तकों की लाइब्रेरी सिनेमा के गंभीर छात्रों के लिए एक वरदान है। लाइब्रेरी में 100 से अधिक भारतीय और विदेशी फिल्‍म पत्रिकाएं आती हैं। केंद्रीय फिल्‍म प्रमाणन बोर्ड से प्राप्‍त भारतीय और विदेशी फिल्‍मों की 30,000 से अधिक पटकथाएं भी अभिलेखागार में सुरक्षित हैं।
अनुसंधान और दस्‍तावेजीकरण केंद्र में भारतीय सिनेमा की सहायक सामग्री का विशाल संग्रह है। यह केंद्र फिल्‍मों के फोटोग्राफ/स्टिल्‍स, गीतों की पुस्तिकाएं, पोस्‍टर, पर्चे और अन्‍य प्रचार सामग्री एकत्र करने की कोशिश करता है, जो विभिन्‍न फिल्‍म प्रमाणित की जाती हैं।
एनएफएआई सिनेमा के सभी पहलुओं के बारे में अनुसंधान और अकादमिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है। यह जाने माने भारतीय फिल्‍म निर्माताओं और अग्रणी फिल्‍मी हस्तियों के बारे में मोनोग्राफ, भारतीय सिनेमा से जुड़ी विषयवस्‍तु पर अनुसंधान वृत्त और वरिष्‍ठ कलाकारों और तकनीशियनों से इतिहास की रिकॉर्डिंग का काम सौंपता है। अभिलेखागार अब तक ऐसी 12 परियोजना का प्रकाशन कर चुका है। फिल्‍म संस्‍कृति के प्रचार के लिए एनएफएआई के पास फिल्‍म वितरण लाइब्रेरी है जो फिल्‍म सोसायटियां, शिक्षा संस्‍थानों और सांस्‍कृतिक संगठनों को फिल्‍म की आपूर्ति करती है। यह मुंबई, कोलकाता, बैंगलोर, चैन्‍नई, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, जमशेदपुर, पुणे और दिल्‍ली जैसे केंद्रों पर संयुक्‍त प्रदर्शन का काम भी करता है। यह भारत और विदेश में अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह के लिए फिल्‍मों का बड़ा स्रोत है।
एनएफआई पिछले तीन दशक से पुणे में भारतीय फिल्‍म एवं टेलीविजन संस्‍थान के सहयोग से हर वर्ष चार सप्‍ताह का फिल्‍म समीक्षा पाठ्यक्रम चलाता है। विभिन्‍न पेशों से जुड़े लोगों को भारत और विश्‍व के सर्वश्रेष्‍ठ सिनेमा के बारे में जानकारी मिलती है। इसमें फिल्‍म माध्‍यम की मूल बातें, एक कला के रूप में सिनेमा, फिल्‍म इतिहास, फिल्‍म सिद्धांत, सिनेमा का अन्‍य कलाओं से संबंध के बारे में पढ़ाया जाता है। अभिलेखागार पुणे से बाहर की शिक्षा संस्‍थाओं और सांस्‍कृतिक संगठनों के सहयोग से इसी तरह से पाठ्यक्रम चलाता है।
भारत और विदेश के विद्वान और शोधकर्त्ता एनएफएआई को स्रोत का बड़ा केंद्र मानते है, जहां उन्‍हें भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े संग्रह और संभवत: सिनेमा कला से जुड़ी सर्वश्रेष्‍ठ लाइब्रेरी मिलती है। एनएफएआई की वेबसाइट http://www.nfaipune.gov.in (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)है।
भारतीय बाल फिल्‍म समिति
भारतीय बाल फिल्‍म समिति की स्‍थापना 1955 में बच्‍चों को फिल्मों के माध्‍यम से उच्‍च आदर्शों की प्रेरणा देने वाला मनोरंजन प्रदान करने के उद्देश्‍य से की गई। समिति बच्‍चों की फिल्‍मों का निर्माण, संग्रहण, वितरण/प्रदर्शन और संवर्द्धन करती है।
बाल फिल्‍म समिति का मुख्‍यालय मुंबई में है और नई दिल्‍ली तथा चेन्‍नई में इसके क्षेत्रीय/शाखा कार्यालय है। समिति द्वारा निर्मित/संग्रहित फिल्मों का प्रदर्शन राज्‍य/जिलावार बाल फिल्‍म समारोहों, थियेटरों और स्‍कूलों में गैर थियेटर मंचों के माध्‍यम से वितरकों तथा गैर सरकारी संगठनों के जरिए किया जाता है। बाल फिल्‍मों का राज्‍य और जिला स्‍तर पर समारोहों का आयोजन अप्रैल-मई 2006 में उत्‍तर पूर्व क्षेत्र में किया गया। मेघालय, असम, त्रिपुरा में लगभग 97,000 बच्‍चों के लिए 206 शो किए गए। समिति अपनी फिल्‍मों के वीडियो कैसेट तथा सीडी का विक्रय भी करती है। भारतीय बाल फिल्‍म समिति की फिल्‍मों का प्रसारण नियमित रूप से टेलीविजन चैनलों पर किया जाता है। समिति द्वारा निर्मित फिल्‍मों का प्रसारण नियमित रूप से टेलीविजन चैनलों पर किया जाता है। समिति द्वारा निर्मित फिल्‍मों का प्रसारण विभिन्‍न राष्‍ट्रीय तथा अंतरराष्‍ट्रीय समारोहों में किया गया। इन फिल्‍मों ने कई पुरस्‍कार भी जीते। वर्ष 2006-07 के दौरान समिति ने अंतरराष्‍ट्रीय बाल फिल्‍म समारोह में हिस्‍सा लिया। यह हर दूसरे वर्ष अंतरराष्‍ट्रीय बाल फिल्‍म समारोह का आयोजन करती है। भारतीय बाल फिल्‍म समिति के सार्थक अस्तित्‍व के 50 वर्ष पूरे होने पर यह अपनी स्‍वर्ण जयंती मना रही हैं, जिसे 14 से 18 नवम्‍बर 2006 में सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्‍ली में मनाया गया।
विज्ञापन और दृश्‍य प्रचार निदेशालय
डीएवीपी भारत सरकार की प्रमुख मल्‍टीमीडिया विज्ञापन एजेंसी है। सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को विभिन्‍न माध्‍यमों से प्रचारित करने वाली यह सिंगल-विंडो एजेंसी है। इन माध्‍यमों में समाचार पत्र विज्ञापन, मुद्रित प्रचार सामग्री (फोल्‍डर, पोस्‍टर, ब्रोशर, किट, पुस्तिकाएं, कैलेंडर तथा डायरियां), बाहरी प्रचार (होर्डिंग, बस बैक पैनल, बैनर, कियोस्‍क, कंप्‍यूटर, एनिमेशन डिस्‍प्‍ले इत्‍यादि), दृश्‍य-श्रव्‍य प्रचार (ओडियो वीडियो स्‍पॉट, लघु फिल्‍में, डॉक्‍यु ड्रामा, जिंगल, प्रयोजित कार्यक्रम इत्‍यादि) और प्रदर्शनियां शामिल हैं। विज्ञापन और दृश्‍य प्रचार निदेशालय का मुख्‍यालय दिल्‍ली में है। इसके बैंगलोर तथा गुवाहाटी में दो क्षेत्रीय कार्यालय हैं और देश भर में इसकी 32 क्षेत्रीय प्रदर्शनी इकाइयां हैं।
प्रेस विज्ञापन: डीएवीपी की सूची में 3000 समाचार पत्र तथा सावधि प्रकाशन हैं, जिन्‍हें सभी राज्‍यों में जानी जाने वाली 22 भाषाओं में विज्ञापन जारी किए जाते हैं। यह सूची भारत सरकार की विज्ञान नीति के दिशानिर्देशों तथा प्रक्रियाओं के आधार पर तैयार की जाती है। इसका उद्देश्‍य सरकार के संदेशों, लक्ष्‍यों तथा बजट का विज्ञापनों के माध्‍यम से अधिक से अधिक प्रचार करना है। निदेशालय ने वित्त वर्ष 2006-07 के दौरान तक 19,010 विज्ञापन जारी किए।
दृश्‍य-श्रव्‍य प्रचार: डीएवीपी का दृश्‍य-श्रव्‍य कक्ष, मंत्रालयों तथा विभागों के लिए सामाजिक विषयों पर स्‍पॉट तथा कार्यक्रम बनाता है तथा प्रसारित करता है। निदेशालय दृश्‍य/श्रव्‍य कार्यक्रम सूचीबद्ध निर्माताओं द्वारा निर्मित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में ऑडियो तथा वीडियो स्‍पॉट/जिंगल, प्रयोजित तथा लोकसंगीत आधारित रेडियो कार्यक्रम, प्रेरणादायक टेली फिल्‍में शामिल हैं जिन्‍हें राष्‍ट्रीय प्रसारण के लिए हिंदी, अंग्रेजी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में डब किया जाता है। वर्ष 2006-07 के दौरान रेडियो स्‍पॉट/जिंगल, 467 वीडियो स्‍पॉट/फिल्‍मों तथा प्रायोजित रेडियो/‍वीडियो कार्यक्रमों सहित 1,34,380 ऑडियो-वीडियो कार्यक्रमों का निर्माण विभिन्‍न भाषाओं में किया गया।
मुद्रित प्रचार सामग्री: सरकार द्वारा जन-जन तक पहुंचाने के लिए सामाजिक महत्‍व के संदेशों के बारे में निदेशालय द्वारा विभिन्‍न प्रकार की प्रचार सामग्री जैसे पोस्‍टर, फोल्‍डर, पुस्तिकाएं, ब्रोशर, डायरी, कैलेंडर, दीवार पर लटकाने की सामग्री, स्टिकर आदि की डिजाइन और मुद्रण हिंदी, अंग्रेजी और विभिन्‍न भारतीय भाषाओं में होता है। वर्ष 2006-07 के दौरान डीएवीपी ने प्रचार मदों पर 570.35 लाख रु. मूल्‍य का प्रकाशन विभिन्‍न भाषाओं में किया।
प्रदर्शनी: फोटो प्रदर्शनियां राष्‍ट्रीय विकास और सामाजिक महत्‍व के विभिन्‍न मुद्दों का संदेश प्रचारित करने का महत्‍वपूर्ण माध्‍यम हैं। डीएवीपी निदेशालय विभिन्‍न विषयों पर प्रदर्शन के लिए प्रदर्शनी सामग्री, फिल्‍म-संग्रंथन (मोंटाज़) शिल्‍प तथ्‍य को मूर्त रूप देता है तथा तत्‍संबंधी डिजाइन, विकास और निर्माण कार्य करता है। वर्ष 2006-07 के दौरान देशभर में 704 फोटो प्रदर्शनियां लगाई गई, जो 2,860 प्रदर्शनी दिवसों तक जारी रहीं।
बाहरी प्रचार: केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों की नीतियों/कार्यक्रमों का संदेश प्रदर्शित करने के लिए डीएवीपी द्वारा होर्डिंग्‍स, दीवारों पर चित्रांकन, सिनेमा स्‍लाइड्स, कंप्‍यूटरीकृत एनिमेशन डिस्‍प्‍ले, कियोस्‍क, बस क्‍यू शेल्‍टरों, बस के पीछे लगे पैनल आदि विभिन्‍न प्रकार के बाह्य प्रचार-प्रचार का इस्‍तेमाल किया गया। यह एक पारम्‍परिक किन्‍तु किसी संदेश को फैलाने और प्रदर्शित करने का एक प्रभावी साधन है जो आने जाने वालों को लगातार इसकी याद दिलाता है। वर्ष 2006-07 में 449.38 लाख रु. मूल्‍य के 7870 डिस्‍प्‍ले का निष्‍पादन निदेशालय द्वारा किया गया।
मास मेलिंगडीएवीपी की मास मेलिंग विंग के पास 16.5 लाख से अधिक संगठनों के पते संरक्षित हैं, जहां लक्षित जानकारी और संदेश भेज कर देश भर में व्‍यापक जनसमुदाय तक पहुंचा जा सकता है। वर्ष 2006-07 के दौरान विभिन्‍न विषयों पर मुद्रित 1.18 करोड़ प्रतियां भेजी गई।
स्‍टूडियो: डीएवीपी का अपना एक संपूर्ण स्‍टूडियो हैं, जिसमें विभिन्‍न अभियानों के लिए अपेक्षित प्रचार सामग्री तैयार की जाती है। जिस क्षेत्र में प्रचार अभियान शुरू किया जाना है उसकी विशेष प्रचार जरुरतों को देखते हुए सामग्री का डिजाइन डीएवीपी ने अपने स्‍टूडियो में तैयार किए जाता है। स्‍टूडियो में डी.टी.पी. सेल है जिससे मुद्रित प्रचार सामग्री, प्रेस विज्ञापन, बाहरी विज्ञापन आदि तैयार किए जाते हैं।
प्रशिक्षण
भारतीय फिल्‍म तथा टेलीविजन संस्‍थान
पुणे का भारतीय फिल्‍म तथा टेलीविजन संस्‍थान, फिल्‍म निर्माण और टेलीविजन कार्यक्रमों के निर्माण की कला तथा शिल्‍प का प्रशिक्षण देने वाला एक प्रमुख संस्‍थान है। यह संस्‍थान फिल्‍म और टेलीविजन में तीन साल का पोस्‍ट ग्रेजुएट डिप्‍लोमा पाठ्यक्रम तथा टेलीविजन में एक वर्ष का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाता है। संस्‍थान ने अब फीचर फिल्‍म पटकथा लेखन में एक वर्ष का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम और अभिनय में दो वर्ष का डिप्‍लोमा पाठ्यक्रम भी शुरू किया है। शैक्षिक वर्ष 2005-06 से कला निर्देशन में दो वर्ष का पोस्‍ट ग्रेजुएट डिप्‍लोमा पाठ्यक्रम जिसमें 12 छात्र भर्ती किए गए, और एनिमेशन तथा कंप्‍यूटर ग्राफिक्‍स में डेढ़ वर्ष का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। संस्‍थान, दूरदर्शन के कर्मचारियों के लिए टेलीविजन निर्माण तथा तकनीकी कार्यों का प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाता है और अब तक पांच हजार से अधिक प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। यह मीडिया से संबंधित विभिन्‍न व्‍यवसायिक विषयों में अल्‍पावधि पाठ्यक्रम भी चलाता है।
संस्‍थान अपने छात्रों द्वारा निर्मित फिल्‍में नियमित रूप से राष्‍ट्रीय तथा अंतरराष्‍ट्रीय समारोहों से प्रतियोगिता तथा गैर-प्रतियोगिता दोनों वर्गों के लिए भेजता है, ताकि उन्‍हें अपने काम के प्रदर्शन का मौका मिल सके। इनमें से कई फिल्‍मों ने राष्‍ट्रीय तथा अंतरराष्‍ट्रीय पुरस्‍कार जीते हैं। संस्‍थान अपने छात्रों और संकाय सदस्‍यों के लिए आदान-प्रदान कार्यक्रम द्वारा दुनिया के प्रमुख अन्‍य फिल्‍म स्‍कूलों के साथ गठबंधन सुदृढ़ बनाने में भी शामिल है।
संस्‍थान का एक महत्‍वपूर्ण वार्षिक आयोजन चार सप्‍ताह का ग्रीष्‍मकालीन फिल्‍म समीक्षा पाठ्यक्रम है, जिसे वह पुणे के राष्‍ट्रीय भारतीय फिल्‍म अभिलेखागार के सहयोग से चलाता है।
सत्‍यजीत रे फिल्‍म तथा टेलीविजन संस्‍थान
सत्‍यजीत रे फिल्‍म तथा टेलीविजन संस्‍थान, कोलकाता की स्‍थापना, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत्, एक स्‍वायत्त शैक्षिक संस्‍थान के रूप में की गई। इसका पंजीकरण 1995 में, पश्चिम बंगाल, संस्‍था पंजीकरण अधिनियम, 1961 के अंतर्गत किया गया। यह एक राष्‍ट्रीय संस्‍थान है जिसमें 3 वर्ष के पोस्‍ट ग्रेजुएट डिप्‍लोमा पाठ्यक्रम:
फिल्‍म निर्देशन और पटकथा लेखन
मोशन फिल्‍म फोटोग्राफी
संपादन फिल्‍म और वीडियो और
साउंड रिकॉर्डिंग में चलते हैं।
विभिन्‍न पाठ्यक्रमों में भर्ती के लिए, संस्‍थान अखिल भारतीय स्‍तर पर परीक्षा आयोजित करता है। 'चेन पाओ चाइनीज चिली सॉस', 'हियर इज माय नॉक्‍टर्न' और 'फ्लाइट ऑफ डिस्‍ट्रेस' नामक वृत चित्रों को मुंबई फिल्‍म समारोह 2006 में अधिकारिक प्रविष्टि मिली। 'हियर इज माय नॉक्‍टर्न' को केंस फिल्‍म समारोह 2006 में प्रदर्शन के लिए चुना गया। संस्‍थान की कई फिल्‍मों को भारत और विदेश के राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोहों का आमंत्रण मिला। संस्‍थान के छात्रों के प्रयासों को विश्‍व के सिने प्रेमियों ने हमेशा सराहा। संस्‍थान फिल्‍मों और दृश्‍य कला/मीडिया पर नियमित रूप से गोष्ठियों/सम्‍मेलन/प्रदशर्नियों का आयोजन करता है। संस्‍थान ने दिसंबर 2005 में दोएज-2005 नाम पटकथा विकास, सह-निर्माण पर अंतरराष्‍ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जो बहुत सफल रहा। इसके अलावा संस्‍थान ने भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों और केंद्रीय विद्यालय जैसे अन्‍य शिक्षा संस्‍थाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए।