महिला पहलवान अलका तोमर ने किया द्विभाषिक समाचार पत्र स्पोर्ट्स क्रीड़ा का लोकार्पण

दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल की स्वर्ण पदक विजेता एवं अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित महिला पहलवान अलका तोमर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में मासिक खेल समाचार-पत्र स्पोर्ट्स क्रीड़ा का  लोकार्पण किया। लोकार्पण समारोह में अलका तोमर ने अपने संघर्षपूर्ण दिनों का उल्लेख करते हुए कहा कि कुश्ती जैसे पुरुष प्रधान खेल में आने का निर्णय जब उन्होंने लिया तो पिता ने काफी साथ दिया जिसके कारण उन्हें समाज का विरोध सहना पड़ा।  लेकिन उन्हे खुशी है कि उन्होंने सफलता प्राप्त कर पिता के निर्णय को सही सिद्ध किया।
उन्होंने प्रसन्नता भी जताई कि उनकी इन उपलब्धियों से उनके गाँव में अब अनेक लड़कियाँ कुश्ती को अपना रही हैं। तमाम माता-पिता भी सहर्ष अपनी बेटियों को पहलवान बना रहे हैं। उन्होंने इस मौके पर मौजूद छात्राओं से कहा कि वे पढ़ाई के साथ खेलों में भी रूचि ले।
अलका के प्रशिक्षक  जबर  सिंह  ने अलका के प्रशिक्षण पर प्रकाश डालते हुए उसे एक अनुशासित खिलाड़ी बताया। उन्होंने कहा कि महिला कुश्ती के विकास से खेलों में महिलाओं के लिये समान अवसर की स्थितियाँ पैदा हुई हैं। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। उन्होंने स्पोर्ट्स क्रीड़ा को एक अच्छी पहल बताया और महिला संपादिका होने पर बधाई भी दी| उनहोंने  कहा कि यह अच्छी बात है कि यह समाचार-पत्र सभी खेलों और महिला खिलाड़ियों पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं खालसा कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ जसविंदर सिंह ने श्री जबर सिंह को शाल उड़ाकर सम्मानित किया| उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि  महिलाओं के खेलों में प्रवेश को देश के लिये अत्यंत शुभ बताया। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में खेलों का महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिये महिलाएँ जितना अधिक खेलों में आएंगी ,उतना ही महिलाओं के लिये नये रास्ते खुलेंगे|उनहोंने कहा कि आज का मीडिया केवल क्रिकेट को ही प्रमुखता देता है,अन्य खेल और खिलाड़ी हाशिये पर रह जाते हैं| मैं आशा करता हूँ कि स्पोर्ट्स क्रीडा जैसे समाचार-पत्र उन खेलों की कवरेज करेंगे| लिमका बुक ऑफ रिकार्ड्स के पत्रकार एवं स्पोर्ट्स क्रीड़ा के सलाहाकार संपादक सुरेश कुमार लौ ने अलका तोमर के खेल रिकार्ड का परिचय देते हुए कहा कि महिलाओं का खेलों में प्रवेश समाज के विकास के लिये अत्यंत आवश्यक होता है। क्योंकि वही लड़की भविष्य में माँ बनती है। जिस घर में माँ खेलों से लगाव रखेगी वहाँ बच्चे स्वयं ही खेलों की ओर रूख करेंगे। खेल- पत्रकारिता में स्पोर्ट्स क्रीडा का प्रकाशन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि संभवत: यह ऐसा पहला समाचार पत्र है जो किसी महिला ने प्रारंभ किया और महिला ही संपादिका है|
स्पोर्ट्स क्रीड़ा की संपादिका स्मिता मिश्र ने कहा कि खेल स्त्री सशक्तीकरण का बेहतर उदाहरण है।  खेल का क्षेत्र पुरुष का क्षेत्र माना जाता रहा है। क्योंकि खेल के मैदान से लेकर खेल के निर्णायकों तक का क्षेत्र पुरुष के ही अधीन रहा है। यहाँ तक की खेल की खबर देने वाला मीडिया पर भी पुरुष का वर्चस्व रहा है। क्योंकि खेल खेलने की परिस्थितियाँ एवं शर्तें स्त्री के अनुकूल कभी नहीं रहीं। किंतु इधर समय ने करवट ली है। भारत के लिये ओलंपिक में पदक जीतने वाली तीनों महिलाओं ने  इस मिथ को तोड़ दिया कि महिलाएं कमजोर होती है़। अलका ने पहलवानी जैसे बलप्रधान खेल में श्रेष्ठता हासिल कर नया रास्ता खोल दिया। स्पोर्ट्स क्रीड़ा के माध्यम से महिला खिलाड़ी की उपल्बधियों पर तो विशेष दृष्टि रहेगी ही, साथ ही स्कूल एव़ं कालेज स्तर पर भी खेल की गतिविधियों को भी कवर करने का प्रयास किया जाएगा।
खेल मीडिया विशेषज्ञ अर्जुन जे .चौधुरी ने अलका को कालेज की जैकेट  सम्मान स्वरूप प्रदान करते हुए  कहा कि ज्यों- ज्यों खेल में बेहतर प्रदर्शन आएगा त्यों- त्यों खेल और खिलाड़ी के पास पैसा आएगा। जिससे अधिकाधिक लोग खेलों को अपना कैरियर बनाएंगे।ग्रासरूट स्तर पर महिला खिलाड़ी के साथ भेदभाव होता है किंतु जब वह उपलब्धि हासिल करती है तब यह अपेक्षाकृत कम हो जाता है| स्पोर्ट्स क्रीड़ा खेलों के मूलभूत मुद्दों के साथ महिला खिलाड़ियों की भी बुनियादी समस्याओं को उठाने में सफल हो ऐसी मैं कामना करता हूँ|
इस मौके पर उपस्थित नोएडा कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन की उपाध्यक्षा श्रीमती उषा राजपूत ने बहुत प्रेरक एवं काव्यात्मक  स्वर में स्पोर्ट्स क्रीड़ा के प्रकाशन पर बधाई दी तथा इसे एक क्रांतिकारी प्रयास बताया|जीसस एंड मेरी कालेज की डॉ अंजु लूथरा, डॉ नचिकेता सिंह और पत्रकार सन्नी कुमार गोंड भी उपस्थित थे।


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