अन्तरजाल पर स्थित हिन्दी पत्रिकाएँ

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अनुभूति
अभिव्यक्ति
प्रवक्‍ता समाचार-विचार वेबपोर्टल
पाखी हिंदी पत्रिका
अरगला इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की त्रैमासिक पत्रिका
तरकश - हिन्दी का लोकप्रिय पोर्टल
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सृजनगाथा- साहित्य, संस्कृति और भाषा की मासिक पत्रिका
अनुरोध : भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठापन का अनुरोध
ताप्तीलोक
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पाञ्चजन्य : राष्ट्रीय विचारों का हिन्दी साप्ताहिक
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हंस - हिन्दी कथा मासिक
अक्षय जीवन - आरोग्य मासिक पत्रिका
अक्षर पर्व - साहित्यिक वैचारिक मासिक
मनोवेद - मानसिक स्वास्थ्य की हिन्दी मासिक
पर्यावरण डाइजेस्ट - पर्यावरण चेतना का हिन्दी मासिक
ड्रीम २०४७ - विज्ञान प्रसार की मासिक पत्रिका (पीडीएफ)
गर्भनाल ( प्रकाशक : श्री आत्माराम शर्मा )
मीडिया विमर्श
वागर्थ : साहित्य और संस्कृति का समग्र मासिक
काव्यालय
कलायन पत्रिका
निरन्तर - अब सामयिकी जालपत्रिका में समाहित
भारत दर्शन - न्यूजीलैण्ड से हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका
सरस्वती (कनाडा से)
HELM : Hindi Electronic Literary Magazine from UK
अन्यथा - magazine of Friends from India in America
परिचय - सायप्रस से अप्रवासी भारतीयों की हिन्दी पत्रिका
प्रज्ञा (BHU की पत्रिका)
प्रतिध्वनि : IIT कानपुर की पत्रिका
Hindi Nest dot Com
तद्भव
उद्गम : हिन्दी की साहित्यिक मासिका
शब्दांजलि (फिलहाल निष्क्रिय)
कृत्या : कविताओं की पत्रिका
ताजमहल
Attahaas : हास्य पत्रिका
पंचायिका : MP govt monthly for panchaayats
रंगवार्ता : विविध कलारुपों का मासिक
क्रिकेट टुडे - एक-दो मास पुराने अंक
गृहलक्ष्मी - एक-दो मास पुराने अंक
साधना पथ - एक-दो मास पुराने अंक
स्पैन : भारत में अमेरिकी दूतावास की पत्रिका
स्वूप (SWOOP) - अमरीका की अंतरराष्ट्रीय नीति की जानकारी का साप्ताहिक
क्षितिज - त्रैमासिक हिन्दी साहित्यिक पत्रिका
इन्द्रधनुष इण्डिया : साहित्य और प्रकृति को समर्पित
सार-संसार : विदेशी भाषाओं से सीधे हिंदी में अनूदित साहित्य की त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका
लेखनी - हिन्दी और अंग्रेजी की मासिक जाल-पत्रिका
मधुमती - राजस्थान साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका
जदीद मरकज - देवनागरी लिपि में ऊर्दू का साप्ताहिक
अपनी दिल्ली (साप्ताहिक)
असामान्य विश्व (पाक्षिक)
वेलायुधन - सम्पूर्ण पारिवारिक हिन्दी जाल-पत्रिका
रविवार
साहित्य वैभव - संघर्षशील रचनाकारों का राष्ट्रीय प्रतिनिधि
विश्वा
सनातन प्रभात
हम समवेत
वाङ्मय - त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका
समाज विकास - अखिल भारतीय मारवाडी सम्मेलन की पत्रिका
गृह सहेली
साहित्य कुंज - पाक्षिक पत्रिका
लोकमंच
Osho world patrika
Osho Times Online
उर्वशी - सहित्य और शोध के लिये समर्पित़ डा०राजेश श्रीवास्तव शम्बर द्वारा सम्पादित वेब पत्रिका प्रतिमाह प्रकाशित

Comments

Unknown said…
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इस्लामिक मान्यताओं में कुर्बानी प्रथा की बड़ी अहमियत है. बकरीद पर्व पर अल्लाह को प्रसन्न करने के लिये अपनी किसी प्यारी चीज की कुर्बानी देने का रिवाज है. और इस मौके पर इस्लाम धर्मावलंबी बकरा, या ऊँट जैसे जानवरों की बलि देकर अपनी परम्परा का निर्वहन करते हैं.
अब सवाल यह है कि महज परम्परा के नाम पर निरीह प्राणियों का दर्दनाक क़त्ल कर देना कहाँ तक जायज है. अल्लाह इतना निष्ठुर नहीं हो सकता कि वो अपने ही बनाये जीवों का क़त्ल व खून देखकर प्रसन्न हो. महज कुछ हजार में कुर्बानी के लिये खरीद कर लाया गया जीव आपका प्यारा कैसे हो सकता है. परम्पराओं व रीति रिवाजों के नाम पर कब तक हम निरीह बेजुबान प्राणियों का क़त्ल करते रहेंगे ?