टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने 2001 की जनगणना के आधार पर माना है कि 551.4 मिलियनलोग भारत में हिंदी बोलते हैं. मैं इन आँकड़ों की प्रामाणिकता के बारेमें चर्चा नहीं करना चाहता, लेकिन इस विडंबना की ओर आप सबका ध्यान आकृष्टकरना चाहता हूँ कि इतने बड़े जनबल के बावजूद हिंदी में तकनीकी विषयों परपढ़ने-लिखने वालों की संख्या बिल्कुल नगण्य है. कदाचित् यही कारण है किहिंदी में गंभीर विषयों पर विशेषकर तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी जैसेविषयों पर नेट पर बहुत कम सामग्री उपलब्ध है. यद्यपि माइक्रोसॉफ़्ट और सीडैक जैसी कंपनियों ने इस दिशा में जबर्दस्त पहल की है, लेकिन उनकी अपनीवेबसाइट भी अब तक हिंदी में विकसित नहीं की जा सकी है.
कुछ दिन पूर्व रेडमंड (माइक्रोसॉफ्ट का अमरीका में स्थित मुख्यालय) मेंएक बैठक के दौरान माइक्रोसॉफ्ट के आकाओं से यह प्रश्न पूछा गया किमाइक्रोसॉफ्ट ने विश्व की अधिकांश भाषाओं में अपनी वेबसाइट बनाई है,लेकिनहिंदी में क्यों नहीं बनाई, जबकि विश्व भर में हिंदी बोलने और समझनेवालों की संख्या चीनी और अंग्रेज़ी के बाद तीसरे स्थान पर है. कुछ लोग तोइसका स्थान दूसरा भी मानते हैं. इस पर उत्तर मिला कि हिंदी में इन विषयोंको पढ़ने वाले लोगों की तादाद न के बराबर है.
इस घटना से व्यथित होकर माइक्रोसॉफ़्ट के ही एक वरिष्ठ अधिकारी अभिषेककांत ने निजी तौर पर इस चुनौती को स्वीकार किया और यह संकल्प किया किअगले तीन महीने में वे हिंदी प्रेमियों के सहयोग से निम्नलिखित वेबसाइटको हिंदी में भी बना देंगे और तब यह देखेंगे कि इसे कितने हिंदी भाषीदेखते हैं. http://support.microsoft.com/?ln=hi-inफिलहाल इस वेबसाइट का मात्र इंटरफ़ेस ही हिंदी में है.
अपने इस अनुष्ठान को सार्थक बनाने के लिए उन्होंने एक छोटी-सी पहल करनेका संकल्प किया है और हिंदी-अनुवाद के महारथी श्री चंद्रमोहन ऱावल कीअध्यक्षता में हिंदी अनुवादकों का एक पैनल गठित किया. यह पैनल तीन महीनेकी अवधि में लगभग 100 से 200 पृष्ठों को हिंदी में अनूदित करेगा. यहकार्य पूरी तरह से स्वैच्छिक और निःशुल्क होगा,लेकिन इस कार्य के संपन्नहोने के बाद प्रत्येक सहभागी को माइक्रोसॉफ़्ट की ओर से एक प्रमाणपत्रदिया जाएगा.
इस संबंध में निम्नलिखित विशेषज्ञ सहयोग प्रदान करेंगेः
1. शब्दावली और वर्तनी की एकरूपता के बारे में विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व निदेशक (राजभाषा),रेल मंत्रालय, भारत सरकार malhotravk@gmail.com मोबाइल 91-9910029919
2. अनुवाद के बारे में श्री चंद्रमोहन रावल, पूर्व सहायक प्रबंधक (हिंदी), रिजर्व बैंक औरभारतीय अनुवादक संघ (ITA India) के उपाध्यक्ष और प्रोज़ डॉट कॉम(ProZ.com) के सदस्य cmrawal@yahoo.com मोबाइल 09818450779
3. तकनीकी मार्गदर्शन के बारे में अभिषेक कांत, Community Program Manager, Microsoft Corp (India)Pvt. Ltd.,गुड़गाँवabhishek.Kant@microsoft.com मोबाइलः 09899115376
इन विषयों पर विचार करने के लिए नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई है. जोहिंदी प्रेमी और विशेषज्ञ इस बैठक में भाग लेना चाहें ,वे कृपया अपनीसहभागिता के बारे में उक्त में से किसी को भी सूचना भेज दें ताकि आवश्यकव्यवस्था का जा सके.
सम्यक् प्रतिष्ठान
के 13 बेसमेंट
ग्रीनपार्क एक्सटेंशन,
नई दिल्ली
Wednesday, March 24, 2010
Monday, March 15, 2010
खेलेगा हर कोई जीतेगी दिल्ली - विषय पर खालसा कालेज में संगोष्ठी आयोजित
दिल्ली विश्वविधालय के श्री गुरू तेगबहादुर खालसा कालेज के ‘‘स्पोर्टस इकानामिक्स एण्ड मार्केटिंग’’ और ‘‘वेब पत्रकारिता’’ के विद्यार्थियों द्वारा एक दिवसीय खेल उत्सव ‘‘जोश’’ का आयोजन किया गया। इस उत्सव में अनेक खेल प्रतियोगिताओं के साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेल से संबंधित विषय ‘‘खेलेगा हर कोई, जीतेगी दिल्ली’’ विषय पर संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं सीएनईबी चैनल के सी.ई.ओ. श्री राहुल देव थे। उन्होंने देश के विकास में खेलों की उपयोगिता पर बात करते हुए कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि जिस कोर्स को खालसा कालेज ने शुरू किया है उसे ज्यादा से ज्यादा कालेजों द्वारा अनुसरण किया जाए। साथ ही यह भी जरूरी है कि जो आधारभूत ढांचा राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तैयार किया जा रहा है उसका बेहतर उपयोग इन खेलों के बाद भी होता रहे तभी देश के विकास में इसकी सार्थक भूमिका होगी। वह अस्थायी विकास का साधन बनकर न रह जाए। अन्य वक्ताओं में ईएसपीएन के सौमित्र बोस ने नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर खालसा कालेज को बधाई देते हुए कहा कि आज खेलों पर आधारित पाठयक्रम की अत्यंत आवश्यकता है। यह बड़ी खुशी की बात है कि खालसा कालेज देश का ऐसा पहला कालेज है जिसने खेल और बाजार के संबंधों को पहचाना। राष्ट्रमंडल के सलाहकार समिति के सदस्य अविनाश सिंह ने खेल और विकास के आपसी संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि खेल के एक आयोजन से किसी भी शहर, देश के आर्थिक परिदृश्य में बहुत बदलाव आता है। जिस तरह से आइ.पीएल के आगमन से खेलों का आर्थिक परिदृश्य बहुत उपर चला गया है। पैट्रोलियम मंत्रालय के अखिलेश झा ने खेल के वित्तीय पक्ष को उजागर करते हुए कहा कि खेलों में वित्तीय आडिट के साथ सामाजिक आडिट होना भी बहुत जरूरी है, तभी खेल अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। कोर्स डेवलपर एवम स्पोर्टस एंकर अर्जुन जे. चौधरी ने कालेज प्रधानाचार्य डा. जसविंदर सिंह की सार्थक भूमिका को सराहते हुए कहा कि नए विचार को पाजिटिव रुख अपनाना ही आधी सफलता हो जाती है। कोर्स के सफल होने के पीछे प्रशासन की सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है। उन्होंने खेल और मीडिया के आपसी मजबूत संबंधों पर भी प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि खेल के विकास में विज्ञापन की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है और खेलों में पैसा तभी आता है। धन्यवाद ज्ञापन पाठयक्रम समन्वयक डा. स्मिता मिश्र ने करते हुए कहा कि आज शिक्षा को परम्परागत विषयों से आगे बढ़ाने की जरूरत है। प्रतियोगिताओं में जंकयार्ड वार्स,स्पोर्ट्स क्विज, स्पोर्टस पायट्री, बास्केटबाल, क्लिक ए पिक, आर्म रेसलिंग जैसे रोचक इवेंट आयोजित किए जिसमें भारी संख्या में विद्यार्थियों ने ‘‘जोश’’ में बढ़चढ़ कर भाग लिया।
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी। इस पद्य में कबीर साहब अपनी उलटवासी वाणी के माध्यम से लोगों की अज्ञानता पर व्यंग्य किये हैं कि ...
-
रविवार, अगस्त 28, 2011 दिल्ली में लहलहाती लेखिकाओं की फसल Issue Dated: सितंबर 20, 2011, नई दिल्ली एक भोजपुरी कहावत है-लइका के पढ़ावऽ,...
-
हिंदी पत्रकारिता का दूसरा युग 1873 से 1900 तक चलता है। इस युग के एक छोर पर भारतेंदु का "हरिश्चंद्र मैगजीन" था ओर नागरीप्रचारिणी सभ...